कोशिका किसे कहते हैं? परिभाषा, प्रकार, भाग, कार्य

कोशिका किसे कहते हैं?

कोशिका एक अभिन्न हिस्सा है, जो सभी जीवित प्राणियों में पायी जाती है। यह छोटे जीवों से लेकर बड़े जानवरों तक हम सबमें उपस्थित होती हैं और ये हमारे कार्यों को करने में हमारी मदद करती हैं।

दोस्तों आपसे कई बार Koshika kya hoti hai? और Koshika kitne prakar ki hoti hai? जैसे प्रश्न पूंछें गए होंगे, और यह बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है, जो कई बार परीक्षाओं में पूंछा जाता है।

इस आर्टिकल में हम कोशिका क्या होती है? कोशिका किसे कहते हैं? इसके बारे में चर्चा करेंगे और साथ ही साथ हम कोशिका कितने प्रकार की होते हैं? और उनकी विशेषताएं क्या हैं इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।

कोशिका क्या होती है?

कोशिका की परिभाषा-

कोशिका सभी जीवित प्राणियों की एक मौलिक, संरचनात्मक और कार्यात्मक इकाई होती हैं। 1665 में, रॉबर्ट हुक ने एक कॉर्क के पेड़ की छाल की जांच करते हुए कोशिका के बारे में पता लगाया था। इसलिए उन्हें कोशिका के खोजकर्ता के रूप में जाना जाता है।

क्यूंकि कोशिकाएं मौलिक इकाइयां हैं, इसलिए उनमे कई प्रकार की समान विशेषताएं पायी जाती हैं, जैसे कि- कोशिकाओं का विकसित होना,  बढ़ना, उपापचय, और प्रजनन करने की क्षमता इत्यादि। 

कोशिकाओं की प्रमुख विशषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • कोशिकाओं में DNA के रूप में संग्रहीत आनुवंशिक जानकारी होती है। अर्थात कोशिकाओं से अनुवांशिकता का पता लगाया जा सकता है।
  • कोशिकाओं के भीतर होने वाली प्रक्रियाओं के माध्यम से ही हर प्राणी अपने बुनियादी और महत्वपूर्ण कार्य करने में सक्षम हो पाते हैं।
  • कोशिकाएं संरचनात्मक निर्माण कार्यों में भी महत्वपूर्ण हैं, इन्ही के कारण अंगों और ऊतकों को आकार मिलता है।
  • राइबोसोम का उपयोग करके कोशिकाएं प्रोटीन का संश्लेषण करती हैं।
  • कोशिकाएं एक प्लाज्मा झिल्ली द्वारा घिरी होती हैं, लेकिन वो अपने बहरी वातावरण से सम्पर्क रखती हैं।
  • कोशिकाओं के पास जैवाणु (Biomolecule) से बना एक उपापचय होता है।
  • बैक्टीरिया को प्राणियों की तरह कोशिकाओं की आवश्यकता नहीं होती है। वहीँ कुछ प्राणी ऐसे हैं जिन्हे केवल एक कोशिका की आवश्यकता होती है। इस प्रकार के जीवों को एककोशिकीय जीव कहा जाता है।
  • इसके अतिरिक्त पृथ्वी पर बहुत सारे सजीव ऐसे हैं, जिन्हे जीवित रहने के लिए कई प्रकार की कोशिकाओं की आवश्यकता होती है, इन्हे बहुकोशिकीय जीव कहा जाता है। 

कोशिकाओं की इन्ही विशेषताओं के कारण विभिन्न प्रकार के जीवों में विभिन्न प्रकार की कोशिकाएं पायी जाती हैं, और हम उन कोशिकाओं को उनके गुणों के आधार पर विभाजित कर सकते हैं।

कोशिका किसे कहते हैं इस बारे में अब आपको जानकारी प्राप्त हो गयी है, तो चलिए जानते हैं कि-

कोशिका कितने प्रकार की होती हैं?

कोशिकाओं की विशेषताओं के आधार पर हम उन्हें 2 वर्गों में विभाजित कर सकते हैं।  अर्थात हम यह कह सकते हैं कि कोशिकाएं 2 प्रकार की होती हैं, जो निम्नलिखित हैं-

  • यूकैरियोटिक कोशिकाएं (Eukaryotic cell)
  • प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं (Prokaryotic cell)

कोशिकाओं का पहला वर्गीकरण केंद्रक की उपस्थिति या उनकी अनुपस्थिति पर निर्भर करता है। इस वर्गीकरण के अनुसार, हम कोशिकाओं को प्रोकैरियोटिक और यूकेरियोटिक कोशिकाओं में विभाजित करते हैं।

यूकैरियोटिक कोशिकाएं (Eukaryotic cell)

  • यूकैरियोटिक कोशिका में एक नाभिक उपस्थित होता है। इस नाभिक में प्रत्येक जीव की आनुवंशिक जानकारी समाहित होती है, जिसे गुणसूत्रों में भी व्यवस्थित किया जाता है। इसके अंगों में एक झिल्ली भी होती है। इस प्रकार की कोशिकाओं में RNA (Ribonucleic acid) संश्लेषण नाभिक में होता है, और प्रोटीन को साइटोप्लाज्म में राइबोसोम द्वारा संश्लेषित किया जाता है|
  • इस प्रकार की कोशिकाओं में सूक्ष्मनलिकाओं (Microtubules) से बना एक बहुत ही विकसित साइटोस्केलेटन प्राप्त होता है। यह साइटोस्केलेटन उन अंगो की सहायता करता है, जो कोशिकाओं के कार्य में मदद करते हैं।
  • इस प्रकार की कोशिकाओं में जो सबसे महत्वपूर्ण है, वह माइटोकॉन्ड्रिया है। यहाँ शरीर के लिए ऊर्जा का उत्पादन होता है।
  • यूकेरियोटिक कोशिकाओं के साइटोप्लाज्म के भीतर खुरदुरा एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (Rough endoplasmic reticulum -RER) होता है, जिसमें प्रोटीन संश्लेषण के लिए राइबोसोम होते है। इसके अतिरिक्त चिकने एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (Smooth endoplasmic reticulum- SER) होते हैं, जो लिपिड को संश्लेषित करता है, और कोशिकाओं से विषाक्त पदार्थों को निकालते हैं।
  • गॉल्जी तंत्र का कार्य अन्य जीवों से प्राप्त उत्पादों को संसाधित और उनका परिवहन करना होता है, ताकि कोशिका में या इसकी सतह पर उपयोग के लिए तैयार पुटिकाएं बनाई जा सकें।
  • इस प्रकार की कोशिकाओं में अणुओं को संसाधित करने के लिए एंजाइम के साथ लाइसोसोम (Lysosomes) होते हैं।
  • इनके पास तारककेंद्रक (Centrioles) भी होते हैं, जो अर्धसूत्रीविभाजन के दौरान माइटोटिक स्पिंडल (mitotic spindle) बनाने के लिए आवश्यक होते हैं।
  • उनके पास सिलिया या फ्लैगेला (Cilia or Flagella) हो सकता है, जो विस्तार वाली कोशिकाएं होती हैं और ये कणों को स्थानांतरित करती हैं।

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प्रोकैरियोटिक कोशिकाएं (Prokaryotic cell)

प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं की मुख्य विशेषताएं हैं:

  • उनके पास नाभिक नहीं होता है|
  • इनके अंगों में झिल्ली नहीं होती है।
  • इसकी बाहरी सीमा में एक पेप्टिडोग्लाइकन कोशिका भित्ति (peptidoglycan cell wall) होती है, जो इसे कठोरता देती है|
  • इसमें साइटोस्केलेटन नहीं होता है जिस कारण से उनके अंग कोशिका द्रव्य में व्यवस्थित होते है।
  • इनके पास एक ऐसा निकाय होता है, जो आवश्यकता पड़ने पर पोषक तत्वों को संग्रहीत करता है, और काम पड़ने पर उनको प्रयोग में लाता है।

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कोशिका के भाग

कोशिका में तीन बुनियादी घटक होते हैं, और उनमें से कुछ में विशिष्ट संरचनाएं होती हैं:

प्लाज्मा झिल्ली (Plasma membrane) 

इसे जंतु कोशिकाओं में कोशिका झिल्ली तथा पादप कोशिकाओं में कोशिका भित्ति के नाम से जाना जाता है। यह कोशिका की सुरक्षा करती है, और साथ ही बाहर से संपर्क की अनुमति देती है।

कोशिका केन्द्रक (Cell nucleus)

यह केवल यूकेरियोटिक कोशिकाओं में मौजूद होता है, और यह वह जगह है जहाँ आनुवंशिक सामग्री (DNA) संग्रहीत होती है। प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में नाभिक नहीं होता है, इसलिए उनकी आनुवंशिक सामग्री संग्रहीत नहीं होती है।

साइटोप्लाज्म (Cytoplasm)

यह वह तरल है, जहां प्रत्येक कोशिका के सभी विशेष तत्व तैरते हैं (DNA, माइटोकॉन्ड्रिया, राइबोसोम, आदि)। यूकेरियोटिक कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य में कुछ विशिष्ट कोशिका संरचनाएं पायी जाती हैं। उनमें से कुछ हैं:

गॉल्जी काय (Golgi apparatus)

यह कोशिका द्वारा निर्मित यौगिकों को संश्लेषित करता है, और उन्हें कोशिका द्रव्य में वितरित करता है।

माइटोकॉन्ड्रिया (Mitochondria)

यह वह अंग है, जहां कोशिका को अपने कार्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक ऊर्जा का उत्पादन होता है। इसे शरीर का पावर हाउस भी कहा जाता है।  

राइबोसोम (Ribosomes) 

यह वह स्थान है जहाँ कोशिकाएं प्रोटीन का संश्लेषण करती हैं।

अंतर्द्रव्यी जालिका (Endoplasmic reticulum)

यह दो प्रकार का हो सकता है- पहला है खुरदरा रेटिकुलम, जो प्रोटीन को संश्लेषित करता है और दूसरा है- चिकना रेटिकुलम, जो वसा को संश्लेषित करता है।

पेरिक्सोसोम (Peroxisomes)

इनमें हाइड्रोजन पेरोक्साइड का अपचयन और फैटी एसिड का ऑक्सीकरण होता है|

लाइसोसोम (Lysosomes) 

लाइसोसोम, वह स्थान है जहाँ कोशिकीय मलबे का पाचन या क्षरण होता है।

क्लोरोप्लास्ट (Chloroplasts) 

ये पौधों की कोशिकाओं के अनन्य अंग हैं, और इनके कारण पौधों में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया होती है। जानिए 👉 क्लोरोप्लास्ट की खोज किसने की थी?  

कोशिका के कार्य

कोशिका तीन महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करती है: 

  • यह अपने पर्यावरण के साथ सम्बन्ध स्थापित करती है, 
  • ये प्रजनन करती है,
  • और ऊर्जा के लिए भोजन करती है। 

ये कार्य न केवल कोशिकाओं के अस्तित्व के लिए आवश्यक हैं, बल्कि सभी जीवित प्राणियों के समुचित कार्य के लिए भी आवश्यक हैं। अब हम कोशिका के कार्यों को विस्तार रूप में समझेंगे-

बाहरी वातावरण से सम्बन्ध का कार्य

कोशिकाएं जीवित चीजों को अपने आसपास के वातावरण से जोड़ती हैं। वे इन कार्यों को बाहरी या आंतरिक उत्तेजनाओं की पहचान और प्रतिक्रिया के माध्यम से करती हैं। अर्थात जब बाहरी या आंतरिक वातावरण में कोई उत्तेजना या हलचल होती है, तो कोशिकाएं उन्हें समझ जाती हैं।

प्रजनन कार्य 

नई कोशिकाओं को उत्पन्न करने के लिए, कोशिकाएं प्रजनन कार्य को करती हैं। और वे इसे समसूत्रण (Mitosis) के माध्यम से करती  हैं, जो तब होता है, जब कोशिका दो नई समान कोशिकाओं को उत्पन्न करती है, या अर्धसूत्रीविभाजन द्वारा करती हैं, जब कोशिका चार अलग-अलग नई कोशिकाओं को उत्पन्न करती है।

पोषण कार्य 

ऊर्जा प्राप्त करने के लिए कोशिका को कार्बनिक पदार्थों पर निर्भर होने की आवश्यकता होती है।

जब कोशिकाएं अकार्बनिक पदार्थ (कार्बन डाइऑक्साइड, पानी, खनिज लवण) से अपना स्वयं का कार्बनिक पदार्थ (अर्थात भोजन) पैदा करती हैं, तो इसे इस तरह की कोशिकाओं को स्वपोषी कोशिका कहा जाता है। कुछ प्रकार के बैक्टीरिया, शैवाल और पौधों में इस प्रकार की कोशिकाएं पायी जाती हैं।

यदि कोशिका को अन्य जीवों से कार्बनिक पदार्थ (अर्थात भोजन) प्राप्त होता है, तो इस तरह की कोशिकाओं को विषमपोषी कोशिका कहा जाता है। यह जानवरों, मनुष्यों, कवक और कुछ प्रकार के जीवाणुओं में पायी जाती हैं|

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