सजीव किसे कहते हैं? परिभाषा, लक्षण, गुण और प्रकार
जीव विज्ञान में जीवों की जटिलता का अध्ययन और विश्लेषण सदियों से किया जा रहा है। चार्ल्स डार्विन जैसे वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन, विश्लेषण और कई प्रयोगों ने समाज को जीवित चीजों को विस्तार से समझने के लिए कई आवश्यक जानकारियाँ प्रदान की हैं। इस आर्टिकल में हम सजीव किसे कहते हैं, इसकी परिभाषा, उनके लक्षण, गुण और विशेषताओं की चर्चा करेंगे।
सजीव किसे कहते हैं? Sajiv kise kahate hain-
एक या कई कोशिकाओं से बने सभी प्राणियों को सजीव कहा जाता है। सजीव कई प्रकार के कार्य करने की क्षमता रखते हैं, जैसे कि सांस लेना, प्रजनन करना, बढ़ना और विकसित होना, खाना, अपने पर्यावरण के साथ बातचीत करना और प्रतिक्रिया करना।
दूसरे शब्दों सजीव की परिभाषा यह है कि पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीवितों को जिनमें जीवन पाया जाता है, उन्हें सजीव कहा जाता है। सजीव प्राणी अपने पर्यावरण के साथ ऊर्जा और पदार्थ का आदान-प्रदान करने में सक्षम होते हैं।
मनुष्य, गाय, जिराफ, केकड़े, शार्क, व्हेल, घोंघे, कीड़े, लाइकेन, पौधे , कवक, मूंगा और सूक्ष्म जीवाणु सभी जीवित प्राणी हैं, अर्थात ये सभी सजीव हैं।
सभी जीवित प्राणियों कि एक प्रमुख विशेषता यह होती है कि इनमें जीवन पाया जाता है। इसके विपरीत जिनमें जीवन नहीं होता है उन्हें निर्जीव कहा जाता है, उदाहरण के लिए चट्टानें, हवा, पानी, इत्यादि।
जीवित प्राणियों जिन्हे कि सजीव कहा जाता है, उन्हें परिभाषित करना आसान नहीं होता है, क्योंकि हमारे ग्रह पर जीवों की एक विशाल संख्या है, और ये सभी जीव किसी न किसी प्रकार से एक दूसरे से बहुत अलग होते हैं।
सजीव प्राणी निर्जीव से कई प्रकार से भिन्न हैं, जैसे कि -
- पोषण- सजीव पर्यावरण से या अन्य प्राणियों से अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए आवश्यक सामग्री ग्रहण करते हैं।
- क्रिया- सजीव, अन्य जीवित प्राणियों, निर्जीवों और पर्यावरण के साथ कुछ न कुछ क्रियाएं करते हैं।
- जनन- एक ही प्रजाति के नए प्रकार के सजीवों को जन्म देने के लिए सजीव जनन की क्रिया करते हैं।
- मृत्यु- सभी सजीवों का अंत निश्चित होता है।
अभी तक आपने सजीव किसे कहते हैं इसकी जानकारी प्राप्त की, अब हम आगे जानेंगे कि सजीवों के लक्षण और उनकी विशेषताएं क्या होती हैं।
सजीवों के लक्षण और विशेषताएं
सजीवों के लक्षण और प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
सभी सजीव कोशिकाओं से बने होते हैं
सभी जीवित प्राणी के संगठन की मूल इकाई कोशिका होती है। इसका मतलब है कि सबसे जटिल प्राणियों (जैसे स्तनधारी) से लेकर सबसे सरल (जैसे बैक्टीरिया ) तक, सभी सजीव कोशिकाओं से बने हैं।
हालांकि उनकी कोशिकाओं में जटिलता के विभिन्न स्तर होते हैं: कुछ सरल होते हैं और कुछ अधिक जटिल होते हैं इसी कारण से वे अलग-अलग कार्य करते हैं और उनकी रचनाएं, आकार और अंग अलग-अलग होते हैं।
सभी सजीव सांस लेते हैं
सभी जीवित प्राणियों का एक महत्वपूर्ण कार्य श्वसन होता है। श्वसन के माध्यम से, जीव कई प्रकार की गैसों (जैसे कि ऑक्सीजन और नाइट्रोजन) को अपने शरीर में अंदर लेते हैं, और फिर कुछ अन्य गैस (जैसे कि कार्बन डाईऑक्साइड) को शरीर से बाहर निकालते हैं।
सजीव प्रजनन करते हैं
प्रजनन यकीनन जीवित प्राणियों की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है। यह पृथ्वी पर रहने वाले जीवों की कई प्रजातियों के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रजनन से ही कोई भी सजीव अपनी आगे की पीढ़ी को पैदा करता है या नए सजीव बनता है।
सजीवों में प्रजनन दो तरह से हो सकता है: अलैंगिक या यौन रूप से।
यौन प्रजनन
यौन प्रजनन अधिकतर बहुकोशिकीय जीवों द्वारा किया जाता है जोकि यूकेरियोटिक कोशिकाओं से बने होते हैं।
अलैंगिक प्रजनन
यह एक प्रकार का प्रजनन है जो बैक्टीरिया, आर्किया और प्रोकेरियोटिक कोशिका वाले एककोशिकीय जीवों में होता है। इसके अतिरिक्त कुछ कवक में और कई प्रकार के पौधों में भी अलैंगिक प्रजनन होता है।
सजीवों में उपापचय होता है
सभी सजीव भोजन और पोषक तत्वों से ऊर्जा प्राप्त करते हैं, जिससे वे अपने कार्यों और गतिविधियों को करते हैं। भोजन के बिना इनका बढ़ना और विकसित होना संभव नहीं है।
सजीवों में विकास होता है
सभी जीवित चीजें विकास करने में सक्षम होती हैं। वृद्धि किसी भी जीव की आकार में वृद्धि करने की क्षमता है, हर सजीव पोषक तत्वों , भोजन , पानी आदि का प्रयोग करके एक निश्चित वृद्धि तक विकास करता है।
सजीव एक जीवन चक्र से गुजरते हैं
प्रत्येक जीवित प्राणी एक जीवन चक्र का पालन करता है, यह चक्र उसके जन्म से लेकर मृत्यु तक का समय होता है। हर प्राणी का जीवन चक्र एक दूसरे से बहुत भिन्न हो सकते हैं, और यही कारण है कि कुछ जीवित चीजें लंबे समय तक जीवित रहती हैं और धीमी गति से जीवन व्यतीत करती हैं, जबकि कुछ अन्य जल्दी मर जाते हैं।
प्रत्येक जीवन चक्र में निम्नलिखित चरण होते हैं:
- जन्म- दुनिया में एक प्रजाति के एक नए जीव की उत्पत्ति या तो गर्भ से, या अंडे से या पूर्वजों की कोशिका से होती है। अर्थात प्रत्येक सजीव का जन्म किसी न किसी प्रकार से होता है।
- विकास- जन्म के बाद हर सजीव में किसी न किसी प्रकार का विकास होता है। उदहारण के लिए शरीर का बढ़ना, नए अंगो का बनना, चलना, पर्यावरण से बात करना इत्यादि।
- प्रजनन- यह वह चरण है जिसमें सजीव अपने जैसे नए सदस्यों को दुनिया में लाते हैं।
- बुढ़ापा और मृत्यु- प्रत्येक सजीव एक समय के बाद बूढा हो जाता है और अंत में उसकी मृत्यु हो जाते है। सजीवों के जीवन चक्र का यही अंतिम चरण होता है।
सजीव कितने प्रकार के होते हैं?
सर्वप्रथम सजीवों को या तो एक पौधे या एक जानवर के रूप में वर्गीकृत किया गया था। आगे चलकर सजीवों के प्रकार के बारे में कई खोजें हुई और उनके आधार पर सजीव को कई प्रकार से विभाजित किया गया। जैसे कि-
कोशिकाओं के आधार पर हम सजीवों को दो प्रकार से विभाजित कर सकते हैं|
- एककोशिकीय जीव- जिनके शरीर एक ही कोशिका से बने होते हैं। उदाहरण के लिए: अमीबा, पैरामीशिया और सूक्ष्म जीव।
- बहुकोशिकीय जीव- जिनके शरीर विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं से बने होते हैं| जैसे इंसान, जानवर, मुर्गियां, पेड़, मछली आदि।
अगर हम सजीवों का वर्गीकरण जगत के हिसाब से करें, तो सजीव पांच प्रकार के हो सकते हैं -
- मोनेरा जगत- जिसमें बैक्टीरिया, नीला-हरा शैवाल (सायनोबैक्टीरिया) पाए जाते हैं।
- प्रॉटिस्टा जगत- जिसमें प्रोटोजोआ और विभिन्न प्रकार के शैवाल पाए जाते हैं।
- कवक जगत- इसमें मोल्ड, मशरूम, खमीर, फफूंदी आदि पाए जाते हैं।
- पादप जगत- इसमें सभी प्रकार के पौधे, फूल आदि पाए जाते है। (पढ़िए पादप कोशिका किसे कहते हैं? )
- जंतु जगत- इसमें कीड़े, मछली, उभयचर, सरीसृप, पक्षी और स्तनधारी जैसे जीव पाए जाते हैं। ( जानिए जंतु कोशिका किसे कहते हैं? )
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