स्वराज्य पार्टी की स्थापना Swaraj Party History in Hindi
Swaraj Party History in Hindi-
चौरी चौरा की घटना के बाद महात्मा गांधी ने अचानक से असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया और इसके बाद कांग्रेस के पास ऐसा कोई और आंदोलन नहीं बचा| इस आंदोलन की वापसी ने कांग्रेस के नेताओं में आपसी मतभेद को बढ़ावा दिया|
देखते ही देखते कांग्रेस पार्टी दो वर्गों में विभाजित हो गई| पहले दल में कांग्रेस के नेता थे, जो असहयोग आंदोलन को जारी रखना चाहते थे, और दूसरे दल में वे नेता थे जो इस आंदोलन स्थगित करके मतदान की प्रक्रिया को बढ़ाना चाहते थे|
स्वराज्य पार्टी की स्थापना कब हुई थी?
स्वराज पार्टी की स्थापना में अपरिवर्तनवादी नेताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी| कांग्रेस पार्टी के टूटने के पश्चात चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल आदि नेताओं ने गांधी जी का साथ दिया और उन्हें “अपरिवर्तनवादी नेता” कहा गया, जबकि चितरंजनदास, मोतीलाल नेहरू आदि नेताओं को परिवर्तनवादी नेता कहा गया| परिवर्तनवादी नेताओं ने मिलकर 1 जनवरी 1923 ईस्वी को स्वराज पार्टी की स्थापना की थी|
स्वराज पार्टी की स्थापना कहां हुई थी?
चित्तरंजन दास को स्वराज पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया जबकि मोतीलाल नेहरू को इस पार्टी का सचिव बनाया गया| मोतीलाल नेहरू ने अन्य नेताओं के साथ मिलकर स्वराज पार्टी की स्थापना इलाहाबाद में की थी| इलाहाबाद उत्तर प्रदेश का एक जिला है|
स्वराज पार्टी के उद्देश्य क्या थे?
स्वराज पार्टी के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
- एक संविधान तैयार करने का अधिकार प्राप्त करना।
- नौकरशाही पर नियंत्रण स्थापित करना।
- पूर्ण प्रांतीय स्वायत्तता प्राप्त करना।
- प्रभुत्व की स्थिति प्राप्त करना
- स्वराज्य प्राप्त करना।
- स्थानीय और नगरपालिका निकायों को नियंत्रित करना।
- व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देने के लिए एशियाई देशों का संघ स्थापित करना।
- कांग्रेस के रचनात्मक कार्यक्रमों में शामिल होना।
स्वराज पार्टी की सफलताएं-
स्वराज पार्टी की कुछ प्रमुख सफलताएं निम्नलिखित है-
- स्वराज पार्टी के विठ्ठलभाई पटेल सन 1925 में केंद्रीय विधानसभा के अध्यक्ष बने।
- उन्होंने बजटीय अनुदान से संबंधित मामलों में कई बार सरकार का साथ नहीं दिया|
- उन्होंने मोंटगु-चेम्सफोर्ड सुधारों की कमजोरियों का खुलासा किया।
- उन्होंने विधानसभा में स्वराजऔर नागरिक स्वतंत्रता पर कई भाषण दिए।
स्वराज पार्टी का पतन-
शुरुआत में स्वराज पार्टी में कुछ ऐतिहासिक कार्य किए परंतु चितरंजन दास की मृत्यु के पश्चात स्वराज पार्टी कमजोर होती चली गई| यह पार्टी अपनी नीतियों को पूरा करने में असमर्थ दिखाई पड़ने लगी,इसके अतिरिक्त इस पार्टी के नेताओं में सामंजस्य की कमी हो गई| अंततः सन 1930 में स्वराज पार्टी का पतन हुआ और यह पार्टी कांग्रेस में शामिल हो गए|
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