
किरचॉफ का नियम क्या है? Kirchhoff's Law in Hindi
किरचॉफ का नियम | Kirchhoff's Law in Hindi
किरचॉफ के नियमों का व्यापक रूप से प्रयोग इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में किया जाता है। इन नियमों से इलेक्ट्रिकल सर्किट के प्रत्येक बिंदु पर करंट और विभव के मान को प्राप्त करने में उपयोग किया जाता है। किरचॉफ के नियम ऊर्जा के संरक्षण सिद्धांत और विद्युत परिपथों के आवेश पर आधारित हैं।
इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि किरचॉफ का नियम क्या होता है (प्रथम और द्वितीय नियम), इसकी खोज, इसके सूत्र, महत्व और उदहारण के बारे में।
किरचॉफ के नियम की खोज किसने की?
किरचॉफ के समीकरण और सूत्र का उपयोग थर्मोडायनामिक्स में किया जाता है। 1845 में गुस्ताव किरचॉफ ने किरचॉफ के नियम का दिया था। वह जर्मनी के महान गणितज्ञ और भौतिक विज्ञानी थे।
जब से किरचॉफ के नियम की खोज हुई है तब से इन नियमों का प्रयोग कई प्रकार के कार्यों के लिए अलग अलग क्षेत्रों में किया जाता है। इसके अलावा, ये नियम बहुत जटिल भौतिक सिद्धांतों को भी हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
[ पढ़िए- कूलाम नियम क्या है? ]
किरचॉफ का नियम क्या है?
विद्युत परिपथों के विश्लेषण में आमतौर पर हर जगह ओम के नियम का ही उपयोग करना पर्याप्त नहीं होता है, इसके लिए किरचॉफ के नियमों का भी उपयोग किया जाता है। इसके लिए किरचॉफ ने दो नियमों का उल्लेख किया है-
- किरचॉफ का पहला नियम,
- किरचॉफ का दूसरा नियम|
किरचॉफ के प्रथम और द्वितीय नियमों को अच्छे से समझने के लिए आपको पहले विद्युत परिपथों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें जाननी होंगी, तभी यह नियम आप सही से समझ सकेंगे, जैसे कि -
- नोड (Node): दो या दो से अधिक संवाहक तारों के बीच के मिलन बिंदु को नोड कहा जाता है।
- शाखा (Branch): सर्किट के वे तत्व जो दो परस्पर नोड्स के बीच में होते हैं, और जिसके माध्यम से एक ही धारा प्रवाहित होती है, उन्हें शाखा कहते हैं।
[ पढ़िए- पास्कल का नियम क्या है? ]
किरचॉफ का प्रथम नियम क्या है?
किरचॉफ के प्रथम नियम को धाराओं का नियम या नोड्स का नियम भी कहा जाता है। इस नियम के अनुसार:
"एक नोड में प्रवेश करने वाली धाराओं का योग उससे निकलने वाली धाराओं के योग के बराबर होता है। अर्थात किसी दिए गए विद्युत नोड से गुजरने वाली सभी धाराओं का योग शून्य के बराबर होता है।"
गणितीय रूप में, पहला नियम इस प्रकार व्यक्त किया जाता है:
∑ I = 0 (या I1 + I2 +I3 ….. + In =0)|
उपरोक्त समीकरण के अनुसार- चूंकि विद्युत आवेश न तो निर्मित होता है और न ही नष्ट होता है, इसलिए नोड में प्रवेश करने वाली सभी धाराओं का योग, नोड से निकलने वाली सभी धाराओं के योग के बराबर होगा।
नीचे दिए गए चित्र के अनुसार- i1 + i2 +i3 + i4 +i5 =0
उदाहरण-
उपरोक्त चित्र में नोड में प्रवेश करने वाली दो धाराओं (I1 और I2) को लाल रंग से दिखाया गया है, जबकि नोड से निकलने वाली तीन धाराओं (I3 , I4 और I5) को हरे रंग में दिखाया गया है।
तो किरचॉफ के प्रथम के नियम के अनुसार-
I1+ I2 = I3 + I4 + I5
पक्षान्तर करने पर I1+ I2 - I3 - I4 - I5= 0 |
[ जानिए - घनत्व किसे कहते हैं? ]
किरचॉफ का दूसरा नियम क्या है?
किरचॉफ के दूसरे नियम को हम वोल्टेज का नियम भी कहते हैं। इस नियम के अनुसार-
"किसी बंद परिपथ (या लूप) में वोल्टेज का बीजगणितीय योग शून्य होता है।"
गणितीय रूप में, किरचॉफ का दूसरा नियम इस प्रकार व्यक्त किया जाता है:
∑ V = 0 (या V1 + V2 + V3 ….. + Vn =0)|
उदाहरण-
उपरोक्त चित्र में एक बंद परिपथ abcda दिखाया गया है, जोकि घड़ी की दिशा में घूमता है। तो किरचॉफ के द्वितीय के नियम के अनुसार-
- V1 + V2 + V3 - V4 + V5 = 0 |
[ जानिए - विद्युत फ्लक्स का SI मात्रक क्या होता है? ]
किरचॉफ के नियमों का महत्व
ये नियम हमें भौतिकी के क्षेत्र में कई घटनाओं और प्रक्रियाओं को समझने में सहायक होते हैं। इसका उपयोग इलेक्ट्रिकल के क्षेत्र में बहुत ही व्यापक पैमाने पर किया जाता है।
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