सुभद्रा कुमारी चौहान Subhadra Kumari Chauhan Biography in Hindi

सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय-

Subhadra Kumari Chauhan ka Jeevan Parichay in Hindi- सुभद्रा कुमारी चौहान एक प्रतिष्ठित भारतीय कवयित्री हैं, जिनकी रचनाओं बहुत ही भावनात्मक भावों का दर्शन मिलता है| उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना “झांसी की रानी” है जो बहादुर झांसी की रानी लक्ष्मी बाई के जीवन का वर्णन करती है।

सुभद्रा कुमारी चौहान को बचपन से ही काव्य-ग्रंथों से विशेष लगाव था। सुभद्रा का विद्यार्थी जीवन इलाहाबाद में ही बीता। सुभद्रा की पहली कविता अल्पायु में ही प्रकाशित हुई थी।

Subhadra Kumari Chauhan Biography in Hindi-

सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म नागपंचमी के दिन उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले के निहालपुर मोहल्ले में 16 अगस्त सन 1904 में हुआ| इनके पिता का नाम ठाकुर रामनाथ सिंह था|

सुभद्रा चार बहने और दो भाई थे- रानी, सुंदर, सुभद्रा और कमला| इन चार बहनों में सुभद्रा तीसरे नंबर की थी| महादेवी वर्मा और सुभद्रा दोनों बचपन की सहेलियाँ थीं। 

सुभद्रा कुमारी चौहान बचपन से ही बहुत ही कुशाग्र बुद्धि की थी और वह किसी भी गलत बात को पसंद नहीं करती थी| अगर कोई बात उन्हें बुरी लगती थी तो वह अपने भाई और बहनों को खिलाफ विद्रोह कर देती थीं|

बचपन में सुभद्रा का स्वभाव गुस्सैल था और वह किसी से भी नहीं डरती थी परंतु इसके साथ ही साथ सुभद्रा के स्वभाव में दया एवं ममता भी थी| 

सुभद्रा कुमारी चौहान ने 1921 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए प्रसिद्ध असहयोग आंदोलन में शामिल हो गई और उन्होंने भारत की महिला स्वतंत्रता सेनानियों में प्रमुख एवं अग्रणी रूप से अपनी छाप छोड़ी| सुभद्रा कुमारी चौहान नागपुर में गिरफ्तार की जानी वाली पहली महिला सत्याग्रही थी| सन 1923 और 1942 में ब्रिटिश शासन के विरोध के कारण उन्हें दो बार जेल की यात्रा भी करनी पड़ी थी|

Subhadra Kumari Chauhan Short Biography in Hindi–

नाम सुभद्रा कुमारी चौहान
पिता का नाम ठाकुर रामनाथ सिंह
पति का नाम ठाकुर लक्ष्मण सिंह
पति का नाम ठाकुर लक्ष्मण सिंह
जन्म तिथि 16 अगस्त 1950
जन्म स्थान निहालपुर, इलाहाबाद
मृत्यु तिथि 15 फरवरी 1948
मृत्यु का स्थान जबलपुर, मध्य प्रदेश

 

Subhadra Kumari Chauhan information in Hindi-

14 वर्ष की उम्र में आठवीं कक्षा पास करने के बाद सुभद्रा के भाई ने इनका विवाह नाटककार एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लक्ष्मण सिंह चौहान के साथ कर दिया| विवाह होने के उपरांत सुभद्रा कुमारी आगे चलकर सुभद्रा कुमारी चौहान के नाम से प्रसिद्ध हुई, जिसने “झांसी की रानी” जैसी ऐतिहासिक कविता लिखी|

नवी कक्षा के बाद सुभद्रा की पढ़ाई छूट गई| उन्होंने अपने पति के साथ जबलपुर आकर स्वतंत्रता संग्राम में खुलकर भाग लिया| उन्होंने काव्य साधना के साथ-साथ स्वतंत्रता संग्राम एवं समाज सेवा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया|

सुभद्रा कुमारी चौहान की मृत्यु-

Subhadra Kumari Chauhan Death in Hindi- 15 फरवरी सन 1948 को नागपुर से वापस जबलपुर आते समय उनकी कार एक पेड़ से टकरा गई और मात्र 44 वर्ष की आयु में ही उन का आकस्मिक निधन हो गया|

सुभद्रा कुमारी चौहान के नाम से एक भारतीय तट रक्षक जहाज इंडियन कोस्ट गार्ड शिप में शामिल किया गया है। इसके अतिरिक्त सुभद्रा कुमारी चौहान के सम्मान में मध्य प्रदेश सरकार ने जबलपुर के म्युनिसिपल कारपोरेशन ऑफिस के बाहर उनकी एक प्रतिमा भी स्थापित की है। भारतीय पोस्ट ऑफिस विभाग ने 6 अगस्त 1976 को उन्हें सम्मान देते हुए उनके नाम का पोस्टेज स्टेम्प भी जारी किया था|

सुभद्रा जी की रचनाएं-

सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखी गई कविताओं और गीतों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत के रूप में कार्य किया है। उन्होंने मुख्य रूप से अपने लेखन में हिंदी की सरल और स्पष्ट बोली का उपयोग किया।

उन्होंने बच्चों के लिए भी कविताएं लिखी तथा उन्होंने मध्य-वर्ग के भारतीयों की जीवनशैली के आधार पर कई छोटी कहानियां भी लिखी हैं। सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाएं निम्नलिखित हैं-

  • मुकुल (1930)
  • बिखरे मोती (1932)
  • सीधे-सादे चित्र (1946)
  • मेरा नया बचपन (1946)
  • खिलोने वाला
  • झाँसी की रानी
  • उन्मादिनी ( कहानी संग्रह)
  • गौरी ( कहानी संग्रह)
  • यह कदम के पेड़
  • त्रिधारा, पूरी तरवा से छोडो
  • एक माँ की बेबसी

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