शेर शाह सूरी का इतिहास | Sher Shah Suri History in Hindi

History of Sher Shah Suri in Hindi

शेर शाह के बचपन का नाम फरीद था,और वह बिहार की एक छोटी सी जागीर के अफगान सरदार का पुत्र था| उसके पिता का नाम हसन था| शेरशाह सूरी के जन्म के बारे में इतिहासकारों में मतभेद है और कुछ इतिहासकार उसका जन्म 1486 मानते हैं|

इतिहासकारों के मत के अनुसार एक बार फरीद के मालिक के ऊपर एक शेर ने हमला कर दिया था| तब उसने अपने मालिक की जान बचाने के लिए उस शेर को मार डाला था तब से फरीद का नाम शेरख़ाँ पड़ गया|

जब शेरखा ने राज गद्दी संभाली तब वह शेरशाह सूरी (Sher Shah Suri) के नाम से विख्यात हुआ| शेरशाह ने जौनपुर नामक स्थान पर फारसी, इतिहास, साहित्य एवं अरबी का ज्ञान अर्जित किया था| वह बहुत ही कुशाग्र बुद्धि का था और उसकी योग्यता से प्रभावित होकर बिहार के सूबेदार जमालखान ने उसके पिता को शेरख़ाँ के साथ अच्छा व्यवहार करने का आदेश दिया|

Sher Shah Suri Short History in Hindi-

शेरशाह सूरी का जन्म 1486 ईसवी
शेरशाह के बचपन का नाम फरीद
पिता का नाम हसन
प्रमुख युद्ध चौसा का युद्ध, कन्नौज का युद्ध|
मृत्यु 1545 ईसवी
शेरशाह सूरी का मकबरा सासाराम ( बिहार)

 

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शेरशाह सूरी प्रारंभ में बाबर की सेना में भर्ती हुआ था और इसी कारण से उसे मुगलों की सैन्य शक्ति एवं सैन्य संगठन का संपूर्ण ज्ञान प्राप्त था| बाबर के हाथों घागरा एवं पानीपत के युद्ध में पराजित होने पर अफगानों की शक्ति पूर्ण रूप से नष्ट नहीं हुई थी और शेरशाह ने उन्हें पुनः संगठित किया|

धीरे-धीरे उसने बिहार में अपना प्रभुत्व स्थापित किया और वह संपूर्ण बिहार का शासक बन गया, इसके पश्चात उसने चौसा के युद्ध और कन्नौज के युद्ध में विजय प्राप्त करके अपनी शक्ति में पर्याप्त वृद्धि कर ली थी|

कन्नौज के युद्ध में विजय प्राप्त करने के उपरांत शेरशाह सूरी ने मुगलों से उनकी सत्ता छीन ली| शेरशाह ने हुमायु को अपदस्त कर दिल्ली राज सिंहासन पर अपना अधिकार कर लिया| हुमायु को भारत छोड़कर भाग जाना पड़ा और लगभग 15 वर्ष तक उसने निर्वासित जीवन व्यतीत किया| इस लगभग 15 वर्ष की अवधि में शेर शाह सूरी और उसके उत्तराधिकारियों ने उत्तर भारत मैं अपने राज्य का विस्तार किया और शासन किया|

शेरशाह के प्रमुख युद्ध-

चौसा का युद्ध सन 1539 ईस्वी|
कन्नौज का युद्ध संत 1540 ईस्वी|
इन प्रमुख युद्धों के अलावा उसने बंगाल, मालवा, रणथंभोर आदि प्रांतों पर अपनी विजय पताकाएं स्थापित की|

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इमारतों का निर्माण-

शेर शाह को भवनों एवम इमारतों से बहुत लगाव था वह भवन निर्माण कराने का शौकीन था| उसने दिल्ली का पुराना किला स्थापित करवाया जिसके अंदर उसने एक सुंदर मस्जिद भी बनवाई| झेलम नदी के किनारे उसने रोहतासगढ़ नामक किले का निर्माण कराया, जो कि बहुत प्रसिद्ध है| शेरखान ने बिहार सासाराम में अपना मकबरा भी बनवाया और यह मकबरा स्थापत्य कला की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है|

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शेरशाह सूरी की मृत्यु-

Death History of Sher Shah Suri in Hindi- 

शेरशाह सूरी ने 1540 ईस्वी से 1545 ईस्वी तक लगभग 5 वर्ष दिल्ली की गद्दी पर शासन किया और उसने अपनी अंतिम चढ़ाई कालिंजर के राजा पर की थी|

उसकी सेना ने राजपूत किले की दीवार पर से घेरा डालने वालों पर बड़े-बड़े पत्थर लुढ़काये और अंत में जब कालिंजर का किला फतह होने की स्थिति में था तब अचानक से ही बारुद में आग लग गई और इस आग में शेरशाह काफी जल गया| इसके किले को तो उसने जीत लिया परंतु उसकी हालत बिगड़ती गई और अंत में शेरशाह सूरी की 22 मई 1545 ईसवीं को मृत्यु हो गई|


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