पानीपत का द्वितीय युद्ध Second Battle of Panipat in Hindi

पानीपत का द्वितीय युद्ध-

जैसा की हम जानते हैं सम्राट अकबर को सबसे पहले सूर अफगानों का सामना करना पड़ा था| मोहम्मद आदिल ने अभी शेरशाह सूर के साम्राज्य को फिर से प्राप्त करने की आशा न छोड़ीं थी| हेमू अभी भी उसकी सेवा में था|

हेमू एक सुयोग्य सेनापति एवं राजनीतिज्ञ था, उसने उच्च कोटि की वीरता एवं संगठन शक्ति प्रदर्शित की थी| पहले वह मेवात के रेवाड़ी गांव का एक साधारण दुकानदार था लेकिन अपनी योग्यता के बल से उन्नति करते हुए वह आदिल शाह का प्रधानमंत्री बन गया था|

धीरे-धीरे अफगान दरबार में हेमू का प्रभाव बहुत बढ़ गया और वह अपनी इच्छा अनुसार जागीरों का वितरण करने लगा, इस समय उसने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की| अबुल फजल भी स्वीकार करता है कि उसने साधारण योग्यता एवं सफलता के साथ राज्य प्रबंध किया|

उसने युद्धों में बड़ा यश प्राप्त किया, वह 22 युद्धों में विजय प्राप्त कर चुका था और अपने स्वामी के प्रतिद्वंदी इब्राहिम खान को पराजित कर चुका था| हुमायूं की आकस्मिक मृत्यु एवं उसके अल्पवयस्क उत्तराधिकारी (अकबर) से उसे हिंदुस्तान का साम्राज्य प्राप्त करने की आशा हुई|

मोहम्मद आदिल, ने जो इस समय पूर्व में था, उसे 500 हाथियों एवं 50000 सवारों की एक सेना लेकर आगरा की ओर भेजा, जिसे उसने बड़ी आसानी से ले लिया| इसके बाद उसने आगरा से भागती हुई शाही सेना का पीछा करते हुए दिल्ली पर हमला किया|

जहां पुराने एवं अनुभवी मुगल सेनापति से उसका सामना किया, उस समय उस सेनापति के सुपुर्द दिल्ली थी| हेमू ने विजय प्राप्त की और आसानी से दिल्ली पर अधिकार जमा लिया|

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