सम्राट अशोक का इतिहास Samrat Ashoka History in Hindi

चक्रवर्ती सम्राट अशोक का इतिहास-

Samrat Ashoka History and Biography in Hindi

16 महाजनपदों में मगध महाजनपद अत्यधिक शक्तिशाली था| चंद्रगुप्त के बाद बिंदुसार मगध साम्राज्य के सिंहासन पर आसीन हुआ| सम्राट अशोक बिंदुसार का ही पुत्र था और वह अपने पिता एवं पितामाह की तरह प्रारंभ में वैदिक या ब्राह्मण धर्मानुयाई था|

अशोक की माता का नाम सुभद्रांगी (रानी धर्मा) था, धर्मा एक ब्राह्मण कन्या थी| अशोक की कई पत्नियां थी जिनमें ‘देवी’ और ‘पद्मावती’ का नाम उल्लेखनीय है| अशोक के पुत्र महेंद्र एवं पुत्री संघमित्रा की माता का नाम देवी था तथा कुणाल का जन्म पद्मावती के गर्भ से हुआ था| कुणाल तक्षशीला एवं अवंति का प्रांतपति रह चुका था|

अशोक का सिंहासनारोहण-

विद्वानों के मतानुसार अशोक ने अपने 99 सौतेले भाइयों को मारकर राज सिंहासन प्राप्त किया था| इतिहासकारों में इस विषय पर मतभेद है और वे इसे केवल कपोल-कल्पना मानते हैं|

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अशोक की विजयें –

जब सम्राट अशोक (Samrat Ashok) राज सिंहासन पर आसीन हुआ तो उस समय कश्मीर मौर्य साम्राज्य में सम्मिलित नहीं था, उसने सर्वप्रथम कश्मीर को अपने साम्राज्य में मिलाया| उसने साम्राज्य विस्तार के लिए अपने पितामह चंद्रगुप्त की साम्राज्यवादी नीति को अपनाया|

कलिंग का युद्ध और विजय-

हाथीगुंफा शिलालेखों के अनुसार नंद राजाओं ने कलिंग विजय की थी परंतु कालांतर में नंद राजाओं के पतन के बाद कलिंग पुनः स्वतंत्र हो गया था| चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने अपनी विशाल सेना को लेकर कलिंग के ऊपर आक्रमण कर दिया|

इस विशाल सेना का उल्लेख करते हुए यूनानी राजदूत मेगास्थनीज ने लिखा है कि कलिंग नरेश की सेना में लगभग 60,000 पैदल सैनिक, 1000 अश्व योद्धा, एवं 700 हाथी सवार थे| कलिंग के युद्ध में बहुत भीषण रक्तपात हुआ था जिसमें असल के सैनिक मारे गए थे और नारियां विधवा हो गई थी|

सम्राट के हृदय पर इन सब का गहरा आघात हुआ और उसने भविष्य में युद्ध न करने की प्रतिज्ञा ली| कलिंग युद्ध के परिणाम स्वरुप उसने युद्ध त्याग दिया और धर्म यात्राएं करते हुए बौद्ध धर्म का प्रचार एवं प्रसार करने लगा|

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सम्राट अशोक और बौद्ध धर्म-

बौद्ध धर्म के उत्थान में सम्राट अशोक का योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण था| कलिंग युद्ध के पश्चात अशोक के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए और वह युद्ध में हुए विनाशकारी परिणाम से काफी दुखी हुआ|

इसी युद्ध के उपरांत वह पूर्ण बौद्ध बन गया और अशोक द्वारा बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लेने से, बौद्ध धर्म राजधर्म बन गया| राजधर्म बनने से बौद्ध धर्म की उन्नति का मार्ग प्रशस्त हुआ और उसने विश्व के कई देशों में अपनी ख्याति प्राप्त की|

सम्राट अशोक के ही शासनकाल में तृतीय बौद्ध संगीति आयोजित की गई थी| तृतीय बौद्ध संगीति की समाप्ति के पश्चात सम्राट अशोक ने विभिन्न क्षेत्रों में धर्म प्रचारक भेजे|

महेंद्र के मिशन के साथ ही भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में भी बौद्ध धर्म की स्थापना हुई| उसने लुंबिनी जाकर भूमि पर लगने वाले कर की दर को बहुत कम करवा दिया तथा धर्म पर लगने वाले कर को समाप्त कर दिया|

अशोक ने बुद्ध के भस्मावशेषों पर अनेक स्तूपों का निर्माण कार्य करवाया| अशोक ने बौद्ध धर्म के लिए बहुत ही व्यापक पैमाने पर अभियान चलाएं| अशोक के इन कार्यों से अशोक के धम्म के साथ ही साथ बौद्ध धर्म का भी विकास हुआ|

अशोक का धम्म-

अशोक के अभिलेखों में एक शब्द का उल्लेख बार बार मिलता है, वह शब्द है “धम्म|” धम्म के सम्यक पालन के लिए उसने जनमानस को हर प्रकार से प्रोत्साहित किया था परंतु उसने इस धम्म को कोई नाम नहीं दिया था|

इसी कारणवश धम्म के वास्तविक अर्थ के बारे में इतिहासकारों में गहरा मतभेद है| ऐसा माना जाता है कि धम्म का अर्थ धर्म है| वस्तुतः अशोक शुद्ध आचरण एवं नैतिक जीवन के मौलिक तत्व को ही वास्तविक धम्म मानता था|

उसके धम्म में परिवार नैतिकता की आधारशिला थी| उसके अनुसार धर्म का आरंभ गृह (घर) से होता है, क्योंकि परिवार के माता पिता, छोटे बड़ों के साथ उचित संबंध निर्वाह ही धर्म है|

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सम्राट अशोक के बारे में रोचक तथ्य / Interesting Facts about Samrat Ashoka in Hindi –

  • अशोक का पूरा नाम “अशोक वर्धन मौर्य” (Ashok vardhan Maurya) था। अशोक का अर्थ है – बिना शोक का यानि जिसको कोई शोक, दुःख या पीड़ा न हो।
  • अशोक ने बाद में देवनंपिय पियदसी यानि “देवताओं का प्रिय और प्रेम से देखने वाला” की उपाधि धारण की थी|
  • अपने 100 भाइयों की हत्या के कारण सम्राट अशोक को लोग चण्ड अशोक के नाम से भी जानते थे, जिसका अर्थ है बेरहम, निर्दयी या निर्मम अशोक।
  • 18 साल की उम्र में अशोक को उज्जैन के एक प्रान्त, जिसका नाम अवन्ति था, का वायसराय नियुक्त किया गया था।
  • अशोक की पहली पत्नी देवी एक बौद्ध व्यापारी की पुत्री थी। देवी कभी भी राजधानी पाटलिपुत्र नहीं गयी।
  • श्रीलंका में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए महेद्र और संघमित्रा को उत्तरदायी माना जाता है।
  • कलिंग के युद्ध में लाखों लोगों की मृत्यु ने अशोक के ह्रदय पर गहरा आघात किया और इस युद्ध के उपरांत उसने शांति की तलाश में धीरे-धीरे बौद्ध धर्म को अपना लिया।
  • बौद्ध धर्म को स्वीकार करने के पहले अशोक भगवान् शिव का उपासक था।
  • अशोक के शासन काल में शिक्षा के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई और अनेक विश्वविद्यालयों की स्थापना की गयी, जिसमे तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय प्रमुख हैं।

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अशोक के शिलालेख

सम्राट अशोक के 14 शिलालेख हैं जोकि विभिन्‍न लेखों का समूह है| ये शिलालेख आठ भिन्‍न-भिन्‍न स्थानों से प्राप्त किए गये हैं| इन स्थानों के नाम हैं-

  1. धौली– धौली उड़ीसा राज्य के पुरी जिला में स्थित है। धौली पहाड़ी के क्षेत्र को कलिंग युद्ध का क्षेत्र माना जाता है। धौली पहाड़ी के ऊपर शिखर पर स्थित एक बड़ी चट्टान पर महान सम्राट अशोक के शिलालेख पाए गए हैं|
  2. शाहबाज गढ़ी– Shahbaz Garhi पाकिस्तान के पेशावर में स्थित है। शाहबाज गढ़ी से प्राप्त शिलालेख सम्राट अशोक के शिला लेखों में सबसे प्राचीन हैं, यहाँ से प्राप्त शिलालेख खरोष्ठी लिपि में लिखे हुए हैं|
  3. मानसेहरा– मानसेहरा का स्थान पाकिस्तान के हजारा जिले में स्थित है।
  4. कालपी– यह उत्तरांचल राज्य के देहरादून जिले में है ।
  5. जौगढ़– यह उड़ीसा राज्य में स्थित है।
  6. सोपरा– सोपरा महाराष्ट्र राज्य के थाणे जिले में स्थित है।
  7. एरागुडि– यह आन्ध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले में स्थित है।
  8. गिरनार– यह काठियाबाड़ में जूनागढ़ के पास है|

अशोक के लघु शिलालेख

मौर्य सम्राट अशोक के लघु शिलालेख चौदह शिलालेखों के मुख्य वर्ग में सम्मिलित नहीं है, अतः इन्हे लघु शिलालेख कहा गया है। अशोक के लघु शिलालेख निम्नांकित स्थानों से प्राप्त हुए हैं-

  1. रूपनाथ– यह मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में है।
  2. गुजरी– गुजरी मध्य प्रदेश के दतुया जिले में स्थित है।
  3. भबू– यह राजस्थान के जयपुर जिले में स्थित है।
  4. मास्की– यह रायचूर जिले में स्थित है।
  5. सहसराम– सहसराम बिहार के शाहाबाद जिले में स्थित है।

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