रॉलेट एक्ट- Rowlatt Act and Satyagraha in Hindi
Rowlatt Act 1919 in Hindi-
नवम्बर 1918 में प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हो चुका था. जर्मनी और उसके साथी देशों को ब्रिटेन और उसके सहयोगी देशों ने मिलकर बुरी तरह से परास्त कर दिया था| इस जीत ने भारत के वातावरण को भी बिल्कुल बदल दिया था और इस जीत ने रौलेट एक्ट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई|
रॉलेट ऐक्ट भारत की ब्रिटिश सरकार द्वारा 18 मार्च 1919 में भारत में उभर रहे राष्ट्रीय आन्दोलनों को कुचलने के उद्देश्य से निर्मित किया गया एक कानून था। इस एक्ट को सर सिडनी रौलेट की अध्यक्षता वाली समिति की शिफारिशों के आधार पर निर्मित किया गया था।
इस समिति को रॉलेट समिति (Rowlatt Committee) नाम दिया गया था| रौलेट समिति की स्थापना की घोषणा 10 दिसम्बर 1917 को हुई थी तथा इस समिति ने लगभग चार महीनों तक पूरी जांच पड़ताल की| इस समिति ने भारत के देशभक्तों द्वारा किये गए प्रदर्शनों को दंगों एवं आतकवाद के रूप में बढ़ा चढ़ा के बड़े ही उग्र रूप में प्रस्तुत किया था| 15 अप्रैल, 1918 के दिन रौलेट समिति के सभापति ने अपनी रिपोर्ट भारत मंत्री के सम्मुख प्रस्तुत कि और उसी दिन यह रिपोर्ट भारत में भी प्रकाशित की गई, यह रिपोर्ट “रौलेट समिति की रिपोर्ट” कहलाई|
रॉलेट एक्ट के नियमानुसार ब्रिटिश हुकूमत को यह अधिकार प्राप्त हो गया था कि वह किसी भी भारतीय पर अदालत में बिना मुकदमा चलाए और बिना दंड दिए उसे जेल में बंद कर सकती थी, अर्थात बिना किसी सजा के सिद्ध हुए भी ब्रिटिश हुकूमत किसी को भी जेल में बंद कर सकती थी|
इसके साथ ही साथ इस क़ानून में यह भी प्रावधान था कि अपराधी को उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने वाले का नाम जानने का अधिकार नहीं है| यह एक ऐसा कानून था जिसमें मुजरिम को यह भी नहीं पता होता था कि उसका कुसूर क्या है और किस व्यक्ति ने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है| इस कानून के विरोध में सम्पूर्ण भारत में हड़तालें, जूलूस और प्रदर्शन होने लगे। महात्मा गाँधी जी ने व्यापक सत्याग्रह का आह्वान किया।
Rowlatt Act Satyagraha 1919 in Hindi-
जिस समय यह एक्ट पारित हो रहा था तब तक महात्मा गांधी जी का भारतीय राजनीति में प्रवेश हो चुका था। उन्होंने 6 अप्रैल, 1919 ई. को इस एक्ट के विरोध में एक देशव्यापी हड़ताल करवायी। स्वामी श्रद्धानंदजी ने दिल्ली में इस आन्दोलन की बागडोर संभाली, दिल्ली में जो प्रदर्शनकारी प्रदर्शन कर रहे थे उनपर गोलियां भी चलवाई गयी जिस गोलीबारी में 5 आन्दोलनकारी आहत हुए, इसके साथ ही साथ लाहौर एवं पंजाब में भी भीड़ पर गोलियाँ चलायी गईं।
स्वामी श्रद्धानंद एवं डॉक्टर सत्यपाल के निमंत्रण पर महात्मा गांधी दिल्ली की ओर चले। रौलट ऐक्ट की आलोचना करते हुए गांधी जी ने इसके विरुद्ध सत्याग्रह करने के लिए ‘सत्याग्रह सभा’ की स्थापना की। इस सत्याग्रह को रौलेट सत्याग्रह (Rowlatt Satyagraha) के नाम से भी जाना जाता है|
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