रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय
Category : Biography in Hindi
रामवृक्ष बेनीपुरी एक महान विचारक, चिन्तक, मनन करने वाले क्रान्तिकारी साहित्यकार, संपादक, पत्रकार थे। आप एक सच्चे देश भक्त एवं क्रांतिकारी भी थे। रामवृक्ष बेनीपुरी हिन्दी साहित्य के शुक्लोत्तर युग के प्रसिद्ध साहित्यकार थे।
रामवृक्ष बेनीपुरी का जीवन परिचय-
श्री रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म 23 December 1899 ईसवी में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुरी नामक ग्राम में हुआ था| आपके गांव का नाम बेनीपुरी था अतः आपने अपना उपनाम “बेनीपुरी” रखा| इनके पिता का नाम श्री फुलवन्त सिंह था| इनके पिता का देहांत बचपन में ही हो गया था, अतः इनका पालन पोषण इनकी मौसी ने किया| सामान्य कृषक परिवार में जन्मे रामवृक्ष बेनीपुरी के हृदय में देश- प्रेम की भावना प्रारंभ से ही विद्यमान थी| आपकी प्रारम्भिक शिक्षा आपके गाँव की पाठशाला में ही हुई थी| इसके उपरांत आप आगे की शिक्षा के लिए मुज़फ़्फ़रपुर के कॉलेज में भर्ती हो गए। सन 1920 ईस्वी में असहयोग आंदोलन में कूद पड़े| अतः उनका शिक्षाक्रम भंग हो गया बाद में इन्होंने हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग से विचारक परीक्षा उत्तीर्ण की| आपने अपने क्रांतिकारी कार्यों के लिए अनेक बार जेल की सज़ा भी भोगी। आपने अपने जीवन के लगभग आठ वर्ष जेल में ही व्यतीत किये|
Rambriksh Benipuri biography in Hindi
नाम | रामवृक्ष बेनीपुरी |
जन्म तिथि | 23 December 1899 ईसवी |
जन्म स्थान | मुजफ्फरपुर |
पिता का नाम | फुलवन्त सिंह |
मृत्यु | 7 September 1968 |
मृत्यु स्थान | मुजफ्फरपुर |
बेनीपुरी स्वतंत्रता के दीवाने थे| पत्र पत्रिकाओं में लिखकर स्वयं उसका संपादन करके देशवासियों में देश भक्ति की लहर संचारित करने के आरोप में भी उन्हें अनेक बार जेल यात्रा करनी पड़ी| रामवृक्ष बेनीपुरी की मृत्यु 9 September 1968 को मुजफ्फरपुर में हुई|
साहित्यिक सेवाएं
बेनीपुरी जी के क्रांतिकारी व्यक्तित्व ने उत्कृष्ट देश भक्ति मौलिक साहित्य प्रतिभा अथक समाज सेवा की भावना और चारित्रिक पावनता का अद्भुत समन्वय था| स्वतंत्रता के पदों और उपाधियों से दूर रहकर देश में पनपती पद लोलुपता और भोगवादी प्रवृत्तियां पर तीखे प्रहार किए और सशक्त भारत के निर्माण का मंगलमय प्रयास किया|
रामवृक्ष बेनीपुरी की रचनाएं-
नाटक
- अम्बपाली -1941-46
- सीता की माँ -1948-50
- संघमित्रा -1948-50
- अमर ज्योति -1951
- तथागत
- सिंहल विजय
- शकुन्तला
- रामराज्य
- नेत्रदान -1948-50
- गाँव के देवता
- नया समाज
- विजेता -1953.
- बैजू मामा, नेशनल बुक ट्र्स्ट, 1994
- शमशान में अकेली अन्धी लड़की के हाथ में अगरबत्ती – 2012
सम्पादन एवं आलोचन
- विद्यापति की पदावली
- बिहारी सतसई की सुबोध टीका
जीवनी
- जयप्रकाश नारायण
संस्मरण तथा निबन्ध
- पतितों के देश में -1930-33
- चिता के फूल -1930-32
- लाल तारा -1937-39
- कैदी की पत्नी -1940
- माटी -1941-45
- गेहूँ और गुलाब – 1948–50
- जंजीरें और दीवारें
- उड़ते चलो, उड़ते चलो
ललित गद्य
- वन्दे वाणी विनायक −1953-54.
साहित्य में स्थान
बेनीपुरी जी ने हिंदी की विविध विधाओं में साहित्य सृजन किया फिर भी वे ललित निबंधकार, रेखा चित्रकार, संस्मरण- लेखक तथा पत्रकार के रूप में विशेष उभर कर आए हैं| इन्होंने अपनी बहुमुखी प्रतिभा से हिंदी साहित्य को भाषा एवं गुण दोनों दृष्टियों से समृद्ध किया है और इस प्रकार हिंदी साहित्य में अपना प्रमुख स्थान बना लिया है|