Pitts India Act 1784 in Hindi पिट्स इंडिया एक्ट
जैसा की हम सभी जानते हैं कि 1773 ईसवी में रेग्युलेटिंग एक्ट पारित किया गया था, परन्तु उस एक्ट में कई सारी खामियां थी अतः रेग्युलेटिंग एक्ट कि उन कमियों को दूर करने के लिए 1784 में पिट्स इंडिया एक्ट पारित किया गया था| पिट्स इंडिया एक्ट को ईस्ट इंडिया कंपनी एक्ट भी कहा जाता है|
इस अधिनियम के परिणामस्वरूप ब्रिटिश सरकार और ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत कि संपत्तियों पर दोहरा नियंत्रण (पहला ब्रिटिश सरकार का दूसरा ईस्ट इंडिया कंपनी का) हो गया| हुआ। यह अधिनियम 1858 तक प्रभावी रहा।
जिस समय यह एक्ट पारित हुआ था उस समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री “विलियम पिट द यंगर” थे और उन्ही के नाम पर इस अधिनियम का नाम पिट्स इंडिया एक्ट (Pitt’s India Act 1784) रखा गया था|
Provisions of Pitt’s India Act in Hindi-
पिट्स इंडिया एक्ट के प्रावधान-
- इस एक्ट के अंतर्गत राजनीतिक मामलों के लिए ‘नियंत्रण बोर्ड’ (Board of Control) बनाया गया था और वाणिज्यिक मामलों के लिए ‘निदेशक मंडल’ (Court of Directors) नियुक्त किया गया था।
- नियंत्रण बोर्ड नागरिक और सैन्य मामलों की देखभाल करता था, इसमें 6 सदस्य शामिल थे:
- राज्य सचिव (बोर्ड अध्यक्ष)
- राजकोष के चांसलर
- चार प्रिवी काउंसलर्स (Privy Councillors)
- इस एक्ट कि नियंत्रण प्रणाली दोहरी नियंत्रण प्रणाली थी, पहली प्रणाली कंपनी की निदेशक मंडल और दूसरी प्रणाली ब्रिटिश सरकार द्वारा नियंत्रित होती थी|
- इस अधिनियम में अनिवार्य है कि सभी सैन्य अधिकारी भारत और ब्रिटेन में अपनी जोइनिंग के दो महीने के भीतर अपनी संपत्ति का ब्यौरा प्रदान करेंगे|
- इस एक्ट के बाद गवर्नर जनरल की परिषद की ताकत कम होकर तीन सदस्यों की हो गयी| उन तीनों में से एक मेंबर भारत में ब्रिटिश क्राउन की सेना का कमांडर-इन-चीफ होगा।
- गवर्नर जनरल को वीटो का अधिकार दिया गया था।
- मद्रास और बॉम्बे की प्रेसीडेंसी बंगाल प्रेसिडेंसी के अधीनस्थ हो गई। और कलकत्ता भारत में ब्रिटिश संपत्तियों की राजधानी बन गई।
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Features of Pitt’s India Act 1784 in Hindi-
पिट्स इंडिया एक्ट 1784 की विशेषताएं-
- इस अधिनियम ने ईस्ट इंडिया कंपनी की वाणिज्यिक और राजनीतिक गतिविधियों के बीच एक अंतर बना दिया।
- इस एक्ट ने ब्रिटिश प्रशासन को भारतीय प्रशासन पर प्रत्यक्ष नियंत्रण दिया।
- इस एक्ट के कारण ईस्ट इंडिया कंपनी ब्रिटिश सरकार के अधीनस्थ हो गई|
- इस अधिनियम ने भारतीय क्षेत्रों के नागरिक और सेना पर ब्रिटिश क्राउन के अधिकार की स्थापना की, जबकि व्यापारिक गतिविधियों पर अभी भी कंपनी का एकाधिकार था।
Drawbacks of Pitt’s Act in Hindi-
पिट्स एक्ट की विफलता के कारण-
इस अधिनियम में कुछ कमियां थी जिसकी वजह से यह एक्ट विफल रहा| इस एक्ट की सबसे प्रमुख कमी यह थी की इस अधिनियम में कंपनी की शक्तियों और सरकार के अधिकार के बीच की सीमाओं पर कोई स्पष्टता नहीं थी। जिसके कारण कौन सा कार्य किसके अधिकार क्षेत्र में है यह तय कर पाना मुश्किल था|
इसलिए हम यह कह सकते हैं की यह एक्ट (Pitt’s India Act) बहुत ही महत्वपूर्ण था, इस एक्ट के बाद ब्रिटिश सरकार का कंपनी के मामलों और उसके प्रशासन पर सर्वोच्च नियंत्रण हो गया| यह पहली बार था जब कंपनी की संपत्ति को ब्रिटिश संपत्ति कहा जाने लगा|
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