Pherozeshah Mehta Biography In Hindi फिरोजशाह मेहता का इतिहास

Life History of Pherozeshah Mehta In Hindi-

सर फिरोजशाह मेहता एक उदारवादी राष्ट्रवादी नेता थे| उनका जन्म 4 अगस्त सन 1845 में मुंबई के एक पारसी कुल में हुआ था| इनके पिता का नाम मेहरवांजी मेहता था| एम ए (M.A.) की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात वे कानून विषय का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड चले गए|

इंग्लैंड में इन्होने कानून का अध्ययन किया और सन 1869 में पुनः भारत वापस आए| इंग्लैंड में ही उनका संपर्क लंदन भारतीय सभा तथा “ईस्ट इंडिया ऐसोसिएशन” से हुआ और इसके उपरान्त ही उनके राजनीतिक, सामाजिक एवं साहित्यिक जीवन का शुभारंभ हुआ।

भारत वापस आकर उन्होंने मुंबई में ईस्ट इंडिया सोसाइटी में कार्य किया तथा 1886 ई में फिरोजशाह मेहता ने बंबई प्रेसीडेंसी एसोसिएशन की स्थापना की| सन 1886 ई में मेहता को मुंबई विधान परिषद का सदस्य चुना गया जहां पर उन्होंने 15 वर्ष तक सदस्य पद को सुशोभित किया|

1890 ईसवी में मेहता भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने| वह स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख स्वतंत्रा सेनानी, न्यायविद एवं पत्रकार थे, जिनका प्रयास था कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर कट्टरपंथियों का अधिकार न हो सके।

Short Biography of Pherozeshah Mehta In Hindi-

नाम फिरोजशाह मेहता
जन्मतिथि 4 अगस्त 1845
जन्म स्थान मुंबई
मृत्यु 5 नवंबर 1915
मृत्यु स्थान इंग्लैंड
पिता का नाम मेहरवांजी
शिक्षा वकालत
स्थापना बॉम्बे क्रॉनिकल

सन 1983 ईस्वी में फिरोजशाह मेहता ने बॉम्बे क्रॉनिकल की स्थापना की| मेहता मुंबई के बेताज बादशाह के नाम से विख्यात थे| सन 1901 में इन्होने मराठी और गुजराती भाषाओं को बी0 ए0 तथा एम0 ए0 के पाठ्यक्रम में लाकर बहुत ही उपयोगी और महत्वपूर्ण कार्य किया।

फिरोजशाह मेहता की मृत्यु कब हुई?

असामान्य योग्यता के कारण ही इनको बंबई विश्वविद्यालय के उपकुलपति का पद दिया गया| इसके साथ ही साथ इनको डाक्टर ऑफ़ लॉ की पदवी भी प्रदान की गई। मेहता जी उच्च कोटि के देशभक्त तथा श्रेष्ठ भारतीय थे। फिरोजशाह मेहता की मृत्यु 5 नवंबर 1915 को इंग्लैंड में हुई|

More facts about Pherozeshah Mehta in Hindi

  • फिरोजशाह मेहता भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक सदस्य और बॉम्बे प्रेसीडेंसी एसोसिएशन के अध्यक्ष थे। 
  • फिरोजशाह मेहता को "बॉम्बे का शेर" करार दिया गया था। 
  • वे एलफिंस्टन कॉलेज से मास्टर डिग्री प्राप्त करने वाले पहले पारसी बने।
  • मेहता का जन्म 1845 में एक मध्यमवर्गीय व्यापारी के परिवार में हुआ था और उन्होंने एलफिंस्टन कॉलेज में दाखिला लिया| जहां से उन्होंने 1964 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 'बॉम्बे का शेर' और 'मुंबई के अनक्राउन किंग' उनके उपनाम थे।
  • मेहता कानून का अध्ययन करने के लिए लंदन के लिंकन इन में गए और उन्हें 1868 में बार में बुलाया गया। 
  • वे भारत लौट आए, बार में भर्ती हुए, और कई वर्षों तक ब्रिटिश वकीलों के प्रभुत्व वाले क्षेत्र में जल्दी से एक अभ्यास स्थापित किया।
  • मेहता ही थे, जिन्होंने सबसे पहले बॉम्बे म्युनिसिपल सरकार के सुधार की आवश्यकता का मुद्दा उठाया था। उन्होंने 1872 का बॉम्बे म्यूनिसिपल एक्ट लिखा, जिससे उन्हें "बॉम्बे नगर पालिका के पिता" की उपाधि मिली। 
  • कानून का अभ्यास छोड़ने के बाद, मेहता अंततः राजनीति में प्रवेश करेंगे।
  • बदरुद्दीन तैय्यबजी और व्योमेश चंद्र बनर्जी जैसे लोगों के साथ उनकी दोस्ती ने बाद में भारतीय राष्ट्रवाद के इतिहास को आकार दिया। 
  • मेहता को व्यापक रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापकों में से एक और भारतीय राष्ट्रवाद में उदारवादी गुट के नेता के रूप में माना जाता है। 
  • उन्होंने बॉम्बे और इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल दोनों में मूल भारतीयों के हितों का समर्थन किया, मुद्दों पर उदार रुख अपनाया। 
  • इसके बाद उन्होंने इल्बर्ट बिल का समर्थन करते हुए आर्म्स एक्ट और वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट का विरोध किया।
  • वे विश्वविद्यालयों को सरकारी नियंत्रण में रखने की लॉर्ड कर्जन की नीति के भी विरोधी थे। 
  • लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का राजनीतिक उग्रवाद, जिसने "पूर्ण स्वराज" की मांग की, ने मेहता की स्थानीय स्वशासन और 
  • राजनीतिक संयम की वकालत के लिए एक चुनौती पेश की।
  • उन्होंने बॉम्बे क्रॉनिकल को प्रकाशित किया, जिसमें दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के साथ व्यवहार का विवरण दिया गया था| जिससे गांधी को वहां एक निष्क्रिय प्रतिरोध आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया गया था। 
  • जब महात्मा गाँधी भारत पहुंचे, तो 12 जनवरी, 1915 को फिरोजशाह मेहता ने उनके स्वागत के लिए एक जनसभा की अध्यक्षता की। भारत में राष्ट्रवादी आंदोलन के बारे में जनता की राय व्यक्त करने के लिए अखबार एक महत्वपूर्ण माध्यम था।
  • सर फिरोजशाह मेहता के नाम पर हॉल, सड़कों और लॉ कॉलेजों की संख्या उनके प्रभाव की सीमा को प्रदर्शित करती है।

FAQs

फिरोजशाह मेहता का जन्म कब हुआ था?
4 अगस्त सन 1845 में मुंबई के एक पारसी कुल में फिरोजशाह मेहता का जन्म हुआ था|

"बॉम्बे का शेर" किस नेता को कहा जाता था?
फिरोजशाह मेहता को "बॉम्बे का शेर" और "अनक्राउंड किंग ऑफ बॉम्बे" के नाम से जाना जाता है|

बॉम्बे प्रेसीडेंसी एसोसिएशन की स्थापना कब हुई?
फिरोजशाह मेहता, बदरूद्दीन तैयबजी तथा के.टी. तैलंग ने बॉम्बे प्रेसीडेंसी एसोसिएशन की स्थापना की थी।


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