पेशवा माधवराव इतिहास Peshwa Madhavrao Information in Hindi

पानीपत के तृतीय युद्ध के 4 महीने के उपरांत पेशवा बालाजी बाजीराव की मृत्यु हो गई| उनकी मृत्यु के पश्चात उनका पुत्र माधवराव पेशवा बना| परंतु उस समय माधवराव अल्पवयस्क था अतः शासन कार्य उसके चाचा रघुनाथ राव (राघोबा) के हाथों में रहा| माधवराव अत्यंत ही प्रभावशाली एवं गुण संपन्न शासक था|

इतिहासकार सरदेसाई के अनुसार- माधवराव पेशवाओ में सबसे महान शासक था|

पेशवा माधवराव के सामने अनेक कठिनाइयां थी, उसके अल्पवयस्क के होने के कारण शासन की सारी शक्तियां उसके चाचा रघुनाथराव के हाथों में ही केंद्रित थी| रघुनाथराव स्वयं बहुत ही स्वार्थी एवं महत्वाकांक्षी व्यक्ति था|

जब माधवराव कुछ समझदार हुआ तो उसने शासन सकती अपने हाथ में लेने और राघोबा के प्रभाव से मुक्त होने का प्रयास किया| इससे रुष्ट होकर राघोबा और उसके दीवान सखाराम बापू ने अपने पद से पद त्याग कर दिया|

माधवराव ने शासन में सहायता लेने के लिए नाना फड़नवीस को नियुक्त किया| असंतुष्ट राघोबा माधवराव के विरुद्ध शत्रुओं को भड़काने का कुचक्र करता रहा| मराठा सरदारों की फूट के अतिरिक्त पेशवा माधवराव की अन्य कठिनाइयां भी थी|

हैदराबाद का निजाम मराठों का पुराना शत्रु था| दक्षिण में हैदरअली भी एक नई शक्ति के रूप में उभरकर सामने आया था| कर्नाटक का नवाब अंग्रेजों की सहायता से दक्षिण में मराठों की शक्ति को चुनौती दे रहा था और पुणे का राजकोट भी लगभग रिक्त हो चुका था| माधवराव ने इन सारी कठिनाइयों का सफलता से सामना किया और अपनी कुशल योग्यता का परिचय दिया|

माधवराव की मृत्यु

कठिनाइयों से जूझते हुए और उन पर सफलता प्राप्त करते हुए 18 नवंबर सन 1772 ईसवी को रोग ग्रस्त होने के कारण माधवराव पेशवा की मृत्यु हो गई| इस समय उसकी अवस्था केवल 27 वर्ष की थी| उसकी मृत्यु से मराठों को बहुत बड़ी हानि हुई|
ग्रांड डफ के अनुसार- उसकी मृत्यु मराठों के लिए पानीपत की पराजय से भी अधिक हानिकारक सिद्ध हुई|

इतिहासकार सरदेसाई ने भी इस बारे में लिखा है कि माधवराव प्रथम की असामायिक मृत्यु मराठों के लिए पानीपत के युद्ध से भी महंगी पड़ी|


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