मलिक काफूर का इतिहास Malik Kafur History in Hindi
Malik Kafur History in Hindi-
मलिक काफूर का इतिहास- मलिक काफुर को अलाउद्दीन खिलजी का प्रेमी कहा जाता है लेकिन इतिहासकारों के पास इस तथ्य का कोई सबूत नहीं है, परंतु इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि काफूर अलाउद्दीन खिलजी का बहुत करीबी था और खिलजी ने हर मामले में काफूर से उसकी राय ली, चाहे वह राय कोई निजी हो या राज्य के मामले हों।
मलिक काफूर को “ताज अल-दिन इज्ज अल-द्वा” के नाम से भी जाना जाता है| मलिक काफुर मूल रूप से एक हिंदू गुलाम था| अलाउद्दीन के जनरल नुसरत खान ने उसे खरीदने के लिए 1,000 दीनार का भुगतान किया था और इसीलिए मलिक काफुर को ” हजार दिनारी” भी कहा जाता है।
Malik Kafur Biography in Hindi-
नाम | मलिक काफूर |
उपनाम | हजार दिनारी |
प्रमुख युद्ध | वारंगल, द्वारसमुद्र, देवगिरी, डेक्कन आदि |
पद | वजीर |
मृत्यु | फरवरी 1316 ईसवी |
More History of Malik Kafur in Hindi-
मलिक काफूर अलाउद्दीन खिलजी का गुलाम और उसकी सेना का जनरल था| 1299 में अलाउद्दीन खिलजी के जनरल नुसरत खान ने गुजरात पर हमला किया और उसने सूरत शहर को लूटा| सूरत शहर से वह धन संपदा के साथ-साथ मलिक काफूर और कमला देवी को भी अपने साथ ले लिया|
कमल देवी अलाउद्दीन खिलजी की तीसरी पत्नी थी| कालांतर में मलिक काफूर इतना शक्तिशाली हो गया था कि अलाउद्दीन खिलजी की अनुपस्थिति में वह राज्य के सारे निर्णय लेता था| मलिक काफूर एक अवसरवादी एवम महत्वाकांक्षी व्यक्ति था|
वह खिलजी को प्रसन्न करने का कोई अवसर नहीं छोड़ता था| अलाउद्दीन की दक्षिण की विजय में मलिक काफूर का बहुत महत्वपूर्ण एवं अहम योगदान था| उसने अपनी क्षमताओं और सेवा के कारण अपने सुल्तान का विश्वास जीता और जल्द ही मलिक काफूर अलाउद्दीन खिलजी की सेना का वजीर बन गया|
इसके बाद खिलजी ने काफूर को शाही सेनाओं का कमांडर-इन-चीफ बना दिया| खिलजी ने मलिक काफूर को डेक्कन के अभियानों के लिए प्रभारी बनाया और काफूर ने अभियानों में काफी सफलताएं अर्जित की जिससे उसको बहुत सारा धन और प्रतिष्ठा प्राप्त हुई|
मलिक काफुर एक बहुत ही सक्षम जनरल साबित हुआ और थोड़े ही समय में उसने वारंगल, द्वारसमुद्र, देवगिरी और मदुरा के दक्कन राज्य जीते और अपने सुल्तान को भारी मात्रा में लूटा गया धन समर्पित किया| मलिक काफूर रामेश्वरम गया और वहां पर उसने एक मस्जिद का निर्माण करवाया|
दक्कन में मलिक कफूर की सफलता ने उसे इतना शक्तिशाली बना दिया कि अलाउद्दीन खिलजी अब उसके हाथों की कठपुतली बन गया था| जब खिलजी का अंत समय आया तब मलिक काफूर ने अलाउद्दीन खिलजी की पत्नी, उसके बेटे खिज्र खान और अल्प खान को बंदी बनवा दिया| अल्प खान, खिलजी की सेना में गवर्नर के पद पर आसीन था|
मलिक काफूर की मृत्यु-
फरवरी 1316 ईसवी में खिलजी के तीन पूर्व सुरक्षाकर्मियों ने मलिक काफूर को मारने का निर्णय लिया और मलिक काफूर के कक्ष में प्रवेश करके उसे मार डाला| मलिक काफूर का मकबरा 14-15 वीं शताब्दी में दिल्ली में स्थित था परंतु वर्तमान समय में यह स्थान अज्ञात है|
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