महाभियोग क्या होता है?

भारतीय संविधान के भाग V में अनुच्छेद 124 से 147 तक उच्चतम न्यायालय (Supreme court) के गठन, उसकी स्वतंत्रता, न्यायक्षेत्र, शक्तियों और प्रक्रिया आदि का उल्लेख किया गया है| भारत का राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय के न्यायधीशों की नियुक्ति करता है|

उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति, उच्चतम न्यायालय के अन्य न्यायधीशों एवं उच्च न्यायालयों के न्यायधीशों की सलाह के आधार पर करता है|

महाभियोग क्या है?

Impeachment in Hindi- महाभियोग का अर्थ अनाचार के लिए आरोपित किया जाना होता है। संविधान के अनुसार उच्च न्यायालयों (High Courts) के न्यायाधीशों व मुख्य न्यायाधीशों को तथा सर्वोच्च न्यायालय (Supreme court) के न्यायाधीशों व प्रधान न्यायाधीश को अनाचार और अयोग्यता के आरोप साबित होने पर संसद के दोनों सदनों (लोकसभा एवं राज्यसभा) में एक प्रस्ताव पारित हो जाने के बाद राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।

उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश को कैसे हटाया जाता है?

न्यायाधीश जांच अधिनियम (1968), सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश को हटाने के संबंध में पूरी प्रक्रिया का वर्णन किया गया है-

  1. जज को हटाने की प्रक्रिया को शुरू करने के लिए सबसे पहले संसद सदस्यों को निष्कासन  प्रस्ताव को (यदि प्रस्ताव लोक सभा में लाया जाता है तो 100 सदस्यों द्वारा और यदि राज्य सभा द्वारा लाया जाता है तो 50 सदस्यों) हस्ताक्षर के बाद लोकसभा अध्यक्ष /सभापति को सौंपा जाता है|
  2. इस निष्कासन के प्रस्ताव को अध्यक्ष /सभापति स्वीकार या अस्वीकार भी कर सकते हैं|
  3.  प्रस्ताव के स्वीकृत होने के पश्चात अध्यक्ष /सभापति को प्रस्ताव में लगाये गए आरोपों की जाँच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन करना पड़ता है|
  4. इस समिति में ये लोग शामिल होते हैं-
  • सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायधीश या कोई वरिष्ठ न्यायधीश
  • किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायधीश
  • प्रतिष्ठित कानून विशेषज्ञ
  1. गठित की गई समिति, न्यायधीश के कदाचार, दुर्व्यवहार अथवा किसी असंवैधानिक या अनैतिक कार्य की जाँच करके अपनी रिपोर्ट को सदन को भेज देती है|
  2. निष्कासन प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों का विशेष बहुमत प्राप्त होना चाहिए, अर्थात सदन के दो तिहाई मत इस प्रस्ताव के पक्ष में होने चाहिए |
  3. विशेष बहुमत से पारित होने के उपरांत निष्कासन प्रस्ताव को भारत के राष्ट्रपति के पास भेज दिया जाता है|
  4. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद न्यायाधीश को पद से हटाने का आदेश जारी किया जाता है. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर करने की तिथि से न्यायाधीश को  उसके पद से अपदस्थ मान लिया जाता है.|

अभी तक उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) के किसी भी न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग नही लगाया गया है| महाभियोग का पहला मामला उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश वी. रामास्वामी का है| इस मामले में गठित की गई जांच समिति ने वी. रामास्वामी को दोषी पाया था लेकिन संसद में प्रस्ताव पारित नही हो सका था|


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