खिलजी वंश का इतिहास Khilji Dynasty History in Hindi

खिलजी वंश Khilji Dynasty in Hindi

गुलाम वंश के पतन के बाद दिल्ली सल्तनत को कई विद्रोह और आंतरिक आक्रमणों का सामना करना पड़ा और इसी कारण वश यह सल्तनत बहुत अस्थिर हो गया था।

जिस कारण वश खिलजी वंश के लोगों ने जलालुद्दीन खिलजी का राज्याभिषेक किया और उसने सन 1290 में दिल्ली सल्तनत पर अपनी हुकूमत का कार्य प्रारम्भ किया| अर्थात खिलजी वंश के संस्थापक जलालुद्दीन खलजी थे।

जब जलालुद्दीन ने सत्ता संभाली तो उनकी उम्र लगभग सत्तर साल थी| खिलजी वंश गुलाम वंश के बाद भारत की दिल्ली सल्तनत पर शासन करने वाला दूसरा वंश था।

खिलजी वंश को खलजी वंश के नाम से भी जाना जाता है। खिलजी राजवंश ने 1290 से 1320 ईस्वी तक दिल्ली सल्तनत पर शासन किया था।

खिलजी वंश का इतिहास क्रूर युद्धों और शासकों के बीच आंतरिक संघर्षों इर्द गिर्द ही संचालित होता रहा था|

जलालुद्दीन खिलजी के राज्यारोहण के कुछ समय पश्चात ही उसके भतीजे अलाउद्दीन खिलजी ने एक साजिश के तहत उन्हें मार दिया था और दिल्ली सल्तनत की बागडोर अपने हाथों में ले ली थी|

Khilji Dynasty in Hindi-

Jalal-ud-din Khilji (1290-1296)-

खिलजी वंश का पहला शासक जलाल उद-दीन फिरोज खिलजी था| उसने 1290 से 1296 तक शासन कार्य किया।

उसने भारत पर आक्रमण किया और दिल्ली में अपनी राजधानी बनायी, हालांकि उसने वास्तव में दिल्ली से शासन नहीं किया। उसने किलोक्री में एक और राजधानी का निर्माण किया और लगभग 6 वर्षों तक वहीँ से शासन किया।

वह हिंदुओं के प्रति बहुत उदार था और यह बात उसके ख़ास राजनीतिज्ञों एवं साथियों को स्वीकार नहीं थी| उस समय के दौरान मंगोलों ने देश पर हमला किया|

जलाल-उद-दीन खिलजी ने बहादुरी से मंगोल आक्रमणकरियों से मोर्चा संभल|। जब जलाल-उद-दीन खिलजी कड़ा की यात्रा करने जा रहा था तब उसकी हत्या उसके भतीजे ने कर दी थी|

Ala-ud-din Khilji (1296 -1316)-

अलाउद्दीन खिलजी खिलजी वंश का सबसे शक्तिशाली एवं प्रभावशाली राजा था| वह जलालुद्दीन खिलजी का भतीजे और दामाद था|

उसने जलाल-उद-दीन खिलजी को मार डाला, और 1296 में दिल्ली के सिंघासन पर अपना कब्ज़ा जमाया| उन्होंने अपने राज्य का विस्तार बहुत बड़े क्षेत्र में किया, जिसमें ज्यादातर भारत और पाकिस्तान और अफगानिस्तान का हिस्सा शामिल था।

वह दिल्ली का ऐसा पहला तुर्क शासक था, जिसने राजनीति से धर्म को अलग रखा था। अलाउद्दीन खिलजी ने अपनी शक्तिशाली सेना के साथ मिलकर गुजरात (1298), रणथंभोर (1301), मेवार (1303), माल्वा (1305), जालोर (1311) पर अपना कब्जा जमाया|

डेक्कन में, मलिक काफूर की अगुवाई में अलुद्दीन की सेना ने राम चंद्र, प्रताप रुद्रदेव, वीर बल्लल तृतीय और वीर पंड्या को हराया।

इस तरह से उसने अपने साम्राज्य का विस्तार चारो और किया| अलाउद्दीन द्वारा किए गए कार्यों में सबसे महत्वपूर्ण कार्य बाज़ार को नियंत्रित करने का कार्य था| अलाउद्दीन ने सभी वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने की मांग की थी|

Malik Kafur-

मालिक काफूर एक दास था जो की अलाउद्दीन खिलजी की सेना में सेनापति के रूप में कार्य करता था| मालिक काफूर को हजार-दीनारी कहा जाता था क्योंकि नुसरत खान ने 1297 में काफूर को 1,000 दिनारों में खरीदा था|

काफूर ने पांड्या के साम्राज्य पर आक्रमण किया था, उस समय तक किसी भी सम्राट ने इतना दूर तक आक्रमण नहीं किया था| 

काफूर ने अलाउद्दीन की मौत के बाद उन सरे राजकुमारों को मार डाला था, जोकि अलाउद्दीन का उत्तराधिकारी था, केवल मुबारक शाह ही उसके आतंक से बच पाया था|

Shihabuddin Omar: 1316-

शिहाबुद्दीन ओमर का कार्यकाल बहुत कम समय के लिए था|

यह भी जानिये 👉 मुग़ल वंश का इतिहास

More History of Khilji Vansh in Hindi-

Qutb-ud-din Mubarak Shah (1316-1320)-

कुतुब-उद-दीन मुबारक शाह अपने पिता अलाउद्दीन खिलजी के उत्तराधिकारी थे, और 1316 ईस्वी में खिलजी वंश के सुल्तान बने थे।

कुतुब-उद-दीन मुबारक शाह खिलजी वंश के शासकों में सबसे कमजोर शासक था, और अपने शासनकाल के दौरान उसने सभी करों और दंड समाप्त कर दिए|

 यहाँ तक की उसने सभी कैदियों को भी रिहा कर दिया था| वह राजवंश के अंतिम शासक थे 1320 ईस्वी में एक सैन्य नेता खुसरो खान ने मुबारक शाह की हत्या की जिसके बाद खिलजी वंश का अंत हो गया।

Khusrau Khan (1320)-

खुसरो खान ने गजनी मलिक और उसके पुत्र फक्र-उद दीन जैमा के विद्रोह का विरोध करने का प्रयास किया परन्तु गजनी खान के हाथों मारा गया| और इस तरह से दिल्ली सल्तनत से खिलजी वंश का अंत और तुगलक वंश का प्रारम्भ हुआ|


Related Articales

Logo

Download Our App (1Mb Only)
To get FREE PDF & Materials

Download