कस्तूरबा गाँधी का इतिहास Kasturba Gandhi Biography in Hindi
मोहन दास करमचंद गांधी को एक वकील से भारत की आजादी का नायक और भारत का राष्ट्रपिता बनने में काफी समय लगा| एक ऐसे व्यक्ति जिसे राष्ट्रपिता के रूप में माना जाता है, उनके जीवन, आंदोलनों एवं संघर्षों में उनकी एक अभिन्न साथी उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी (Kasturba Gandhi) थी।
Kasturba Gandhi Biography in Hindi-
- कस्तूरबा गाँधी का जन्म कब हुआ था? 11 अप्रैल 1869
- कस्तूरबा गाँधी का जन्म कहाँ हुआ था? पोरबंदर (गुजरात)
- कस्तूरबा गाँधी के पिता का नाम क्या था? गोकुलदास
- कस्तूरबा गाँधी की माता का नाम क्या था? व्रजकुणवार
- कस्तूरबा गाँधी की मृत्यु कब और कहाँ हुई थी? 22 फरवरी 1944 (पूना)
Kasturba Gandhi History in Hindi-
कस्तूरबा गाँधी का जन्म 11 अप्रैल 1869 को पोरबंदर (गुजरात) में हुआ था, उनके पिता का नाम गोकुलदास और माता का नाम व्रजकुणवार था| कस्तूरबा के दो भाई थे।
उनके पिता अफ्रीका और मध्य पूर्व में अनाज और कपड़ा तथा सूती बाजारों में काम करते थे और वह वहां के बाजारों के एक प्रमुख व्यापारी थे| वह कुछ समय तक पोरबंदर के मेयर थे।
कस्तूरबा और महात्मा गाँधी के परिवार के सदस्य और उनके पिता आपस में घनिष्ठ मित्र थे| दोनों के पिता ने इस मित्रता को रिश्तेदारी में बदलने ले लिए जब कस्तूरबा और महात्मा की उम्र मात्रा 7 साल की थी उनकी एंगेजमेंट (Engagement) कर दी|
सगाई के लगभग 6 साल बाद जब उन दोनों की उम्र 13 साल की थी तब 1982 में कस्तूरबा की शादी महत्मा गाँधी से हुई|
अपनी शादी के बाद, कस्तूरबा राजकोट में महात्मा गांधी के परिवार के साथ रहने लगी| वह अपने नए घर में घर के काम काज करती थी और वहां वह अपनी सास और भाभी की सहायता करती थी|
शादी के बाद शुरुआती दिनों में कस्तूरबा और महात्मा गाँधी एक-दूसरे के मित्र के रूप में रहते थे न की पति पत्नी के रूप में| जब धीरे धीरे उनकी उम्र बढ़ी तो वह एक दुसरे को पति पत्नी की तरह समझने लगे|
जब कस्तूरबा की शादी हुई थी तब उन्हें पढ़ना लिखना नहीं आता था, उनकी शिक्षा की जिम्मेदारी गाँधी जी ने ली और उन्हें वर्णमाला सिखाई तथा लिखने का अभ्यास कराया| हालाँकि कस्तूरबा अपनी घरेलू जिम्मेदारियों के कारण ज्यादा ज्ञान नहीं अर्जित कर पायी थी|
जून 1885 में, कस्तूरबा अपने पहले बच्चे के साथ गर्भवती हुई थीं| हालांकि उनके बच्चे का जन्म समय से पहले नवंबर में हुआ और कुछ दिनों बाद उसकी मृत्यु हो गई थी।
उसी वर्ष में गाँधी जी के पिता की भी मृत्यु हो गयी| गाँधी जी के भाइयों के पास ज्यादा अच्छी नौकरियां नहीं थी अतः पिता के देहांत के बाद उनके परिवार की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी|
1988 में कस्तूरबा गाँधी एक बार फिर गर्भवती हुई और उन्होंने अपने पहले पुत्र को जन्म दिया, उनके पहले बेटे का नाम हरिलाल था| कस्तूरबा ने 28 अक्टूबर 1892 को अपने दूसरे बेटे मणिलाल को जन्म दिया। इसके छह महीने बाद अप्रैल 1893 में गांधी जी दक्षिण अफ्रीका गए।
जून 1896 में, गाँधी जी ने अपना कानून अभ्यास छोड़ दिया और भारत वापस चले गए। छह महीने बाद वह पुनः कस्तुरबा और बच्चों के साथ दक्षिण अफ्रीका वापस लौटे|
कस्तुरबा के लिए दक्षिण अफ्रीका बहुत ही अनजान देश था वहां की जीवनशैली और रहन सहन को अपनाना उनके लिए सबसे बड़ी कठिनाई थी पर उन्होंने इन कठिनाइयों को पार किया और अपने आपको वहां की परिस्थितियों के हिसाब से ढालना प्रारम्भ कर दिया|
वह 1910 के दशक के दौरान डरबन के पास फीनिक्स की स्थितियों में सक्रियता से शामिल हो गईं। उन्होंने 1913 में दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों द्वारा किये जा रहे कई विरोधों एवं आंदोलनों में हिस्सा लिया| दक्षिण अफ्रीका में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और तीन महीने की सजा सुनाई गई।
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कस्तूरबा गाँधी और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन-
भारत वापस होने के बाद भारत के स्वत्रंता आंदोलन में कस्तूरबा गाँधी बहुत ही सक्रीय हो गयी और इस तरह वह भारत की महिला स्वतंत्रता सेनानियों में अग्रणी स्थान रखती हैं| उन्होंने अपने पति की हर कठिनाई और समस्याओं में साथ और सुझाव दिया|
उन्होंने भारत की महिलाओं में देश प्रेम की भावना को जाग्रत किया। जब बिहार के चंपारण जिले में गाँधी जी ने चम्पारण सत्याग्रह किया तो कस्तूरबा अपने पति की सहायता के लिए अपने बेटे देवदास के साथ चंपारण गयी|
उन्होंने किसानों की पत्नियों और बेटियों के साथ काम किया और उस अभियान में सक्रीय भूमिका निभाने लगी| इसके अतिरिक्त उन्होंने गाँधी जी के अन्य आंदोलनों में भी हर तरह से सहायता प्रदान की|
जब भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हो गया था तो गांधी जी को शिवाजी पार्क में सार्वजनिक बैठक को संबोधित करना था पर इस सभा को करने से पहले ही उन्हें कैद कर लिया गया था| गांधी जी चाहते थे की उनकी जगह कस्तूरबा इस सभा को सम्बोधित करें|
कस्तूरबा गाँधी ने अपनी जिम्मेदारियों को समझा और जब वह उस सभा को सम्बोधित करने की लिए जा रही थी तब उन्हें रस्ते में गिरफ्तार कर लिया गया था| उस दिन पार्क में एक लाख से ज्यादा लोग थे और जब उन्होंने उनको गिरफ्तार होते देखा तब वे लोग बहुत ही क्रोधित हुए|
उन्हें कैद करके बॉम्बे में आर्थर रोड जेल भेजा गया। कस्तूरबा ने सुशीला से कहा था की, “मुझे एहसास है कि मैं अब जिंदा जेल से बहार नहीं आउंगी|”
जिस सेल में उन्हें रखा गया था वह बहुत ही गंदा था और वह बीमार पड़ गई। कुछ दिनों के बाद उन्हें पूना में आगा खान पैलेस में जहां गांधी जी को रखा गया था, यह उनकी आखिरी जेल की सजा थी।
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कस्तूरबा गाँधी की मृत्यु-
जनवरी 1944 में उन्हें दो बार दिल के दौरे पड़े और इसके बाद वह कभी पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो पायीं| 22 फरवरी 1944 की शाम को, उन्होंने बापू की गोद में आगा खान पैलेस डिटेन्शन शिविर में अपनी आखिरी सांस ली और 23 फरवरी 1944 को डिटेन्शन शिविर के परिसर में उनका दाह संस्कार किया गया।
गाँधी जी ने कहा था की “मैं बा के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकता।”
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