जहांगीर का इतिहास | Jahangir History in Hindi

Jahangir Biography in Hindi-

जहांगीर का प्रारंभिक जीवन-

जहांगीर के बचपन का नाम सलीम था और उसका जन्म बड़ी ही तीर्थयात्राओं एवं प्रार्थना आदि के बाद प्रसिद्ध संत शेख सलीम चिश्ती के आशीर्वाद से 31 August 1569 ईस्वी में हुआ था| शेख सलीम के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए सम्राट अकबर ने अपने पुत्र का नाम सलीम रखा था|

सलीम की मां आमेर के राजपूत राजा बिहारीमल की पुत्री जोधाबाई थी| जहांगीर की प्रारंभिक शिक्षा बैरम खान के पुत्र अब्दुर्रहीम खानखाना के संरक्षण में हुई| अब्दुर्रहीम अकबर के नवरत्नों में से एक थे और उनसे ही सलीम को तुर्की एवं फारसी भाषाओं का ज्ञान प्राप्त हुआ था|

जहांगीर ने थोड़े ही समय में फारसी एवं तुर्की भाषाओं का अच्छा ज्ञान अर्जित कर लिया और इसके साथ ही साथ उसने अस्त्र-शस्त्र में भी अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया| उसे संगीतकला एवं चित्रकला का भी अच्छा ज्ञान था, उसने गणित (Math) इतिहास (History) एवं भूगोल (Geography) का भी अध्ययन किया था|

जहांगीर का विवाह-

जहांगीर ने सम्राट अकबर की राजपूत नीतियों को जारी रखा और उसने राजपूत राजाओं के साथ अपने संबंधों को सुदृढ़ किया| उसकी मां एक राजपूत राजकुमारी थी और उसने स्वयं एक हिंदू राजकुमारी से विवाह किया था|

जहांगीर का विवाह 15 वर्ष की अल्प आयु में ही सन 1585 ईस्वी में आमेर के राजा भगवानदास की पुत्री मानबाई के साथ संपन्न हुआ था| यह विवाह हिंदू एवं मुस्लिम दोनों प्रकार के रीति रिवाजों के अनुसार हुआ था मानबाई से खुसरो का जन्म हुआ था, और खुसरो के विद्रोह से ही दुखी होकर मानबाई ने आत्महत्या कर ली थी|

इसके अतिरिक्त जहांगीर के और भी विवाह हुए जिनमें मारवाड़ के कोटा राजा उदय सिंह की पुत्री मानवती का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है| इसके अतिरिक्त जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर एवं अन्य कई राजघरानों की राजकुमारियों से भी उसका विवाह हुआ था|

उसके अंतःपुर में स्त्रियों की संख्या 800 बताई जाती है| उसने शेर अफगान की विधवा नूरजहां से विवाह किया था जो कि इतिहास में काफी उल्लेखनीय घटना है|

जहांगीर का इतिहास Jahangir History in Hindi-

जहांगीर का जन्म- 31 अगस्त 1569 ईस्वी
जहांगीर का राज्यभिषेक- 1605 ईस्वी
नूरजहां एवं जहांगीर का विवाह 1611 ईस्वी
सर टामस रो का भारत आगमन 1615 ईस्वी
खुर्रम का विद्रोह 1622 ईस्वी
महावत खां का विद्रोह 1626 ईस्वी
जहांगीर की मृत्यु 8 नवंबर 1627
नूरजहां की मृत्यु 1645 ईस्वी

 

सलीम का विद्रोह-

सलीम के विद्रोह का कार्यकाल सन 1599 ईस्वी से सन 1604 ईस्वी तक माना जाता है| जिस समय अकबर असीरगढ़ में डेरा डाले हुए था उसी समय सलीम सम्राट पद पाने की लालसा में आगरा होता हुआ इलाहाबाद पहुंचा और अपने को स्वतंत्र शासक घोषित कर दिया|

जब अकबर को इस बात का पता चला तो उसने पत्र द्वारा सलीम को समझाने का प्रयत्न किया, परंतु सलीम पर इस पत्र का कोई प्रभाव नहीं पड़ा| सलीम की विमाता सलीमा बेगम ने इलाहाबाद जाकर उसे समझाया एवं सम्राट के पास वापस बुला लायी|

सम्राट को उसने 770 हाथी एवं 2000 सोने की मोहरें भेंट की| सन 1603 ईस्वी में सलीम ने पुनः इलाहाबाद में आकर सम्राट के विरुद्ध विद्रोह किया किंतु इस बार भी उसे आगरा आकर सम्राट अकबर से क्षमा मांगने पड़ी, सम्राट ने इस बार भी उसे क्षमा कर दिया|

जहांगीर का राज्याभिषेक-

अकबर की मृत्यु के बाद सलीम का राज्याभिषेक नूरुद्दीन मोहम्मद जहांगीर के नाम से 24 अक्टूबर 1605 ईसवी में आगरा में संपन्न हुआ था| इस समय जहांगीर की आयु 36 वर्ष की थी| गद्दी पर बैठने के पश्चात जहांगीर ने मार्च 1606 में बड़ी ही धूमधाम से नौरोज का प्रथम उत्सव मनाया था| यह उत्सव 17-18 दिनों तक चला और इस के अंत में राज्य के राजभक्तों एवं सेवकों को उदारतापूर्वक पुरस्कार भी दिए गए|

जहांगीर की मृत्यु-

जहांगीर को मदिरापान कि बुरी आदत थी और इसी आदत के कारण उसका स्वास्थ्य बिगड़ता चला गया| उसे दमा की बीमारी भी थी और सन 1626-1627 ईस्वी तक उसका स्वास्थ्य बहुत ही बिगड़ गया था| वह नूरजहां एवं आसफ खान के साथ मार्च 1627 ईस्वी में कश्मीर गया था|

वहां से लौटते समय वह भीमसार के पास ठहरा था और वहां पर उसकी बीमारी बढ़ गई| योग्य से योग्य चिकित्सक भी उसे ठीक ना कर सके| 8 नवंबर सन 1627 को प्रातः काल ही जहांगीर की मृत्यु लाहौर में हुई और उसे वहीं पर दफनाया गया|


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