टिंडल प्रभाव क्या है? Tyndall Effect in Hindi

टिंडल प्रभाव क्या है उदाहरण सहित बताइए?

Note- Tyndall Effect meaning in Hindi = टिण्डल प्रभाव| Tyndall Effect को हिंदी में टिण्डल प्रभाव के नाम से जाना जाता है।

भौतिकी और रसायन विज्ञान दोनों में, एक ऐसी घटना का अध्ययन किया जाता है जो यह समझाने में मदद करती है कि कुछ कण निश्चित समय पर ही क्यों दिखाई देते हैं। इस घटना को टिंडल प्रभाव के रूप में जाना जाता है। यह एक भौतिक घटना है|

इस लेख में हम आपको टिंडल प्रभाव क्या है (Tyndall prabhav kya hai), इसकी खोज किसने की, इसके महत्व और उदाहरण के बारे में आवश्यक सब कुछ बताने जा रहे हैं।

टिंडल प्रभाव की खोज किसने की थी?

जॉन टिण्डल का जन्म 1820 में आयरलैंड में हुआ था| 1869 में, वैज्ञानिक जॉन टिण्डल ने एक ऐसी घटना की खोज की जिसको हम टिण्डल प्रभाव के नाम से जानते हैं। टिण्डल प्रभाव के खोजकर्ता जॉन टिण्डल थे|

वह एक बहुत ही बहुमुखी वैज्ञानिक थे, जिन्होंने कई महत्वपूर्ण खोजें कीं। उन्होंने ग्रीनहाउस प्रभाव, फाइबर ऑप्टिक्स, कार्बन डाईऑक्साइड की माप, आदि कई क्षेत्रों में कई उल्लेखनीय योगदान दिए।

टिंडल प्रभाव क्या है? Tyndall Prabhav Kya Hai

टिण्डल प्रभाव एक ऐसी भौतिक घटना है जो यह समझाने में मदद करती है कि प्रकाश की किरण के संपर्क में आने पर कुछ कण जो नग्न आंखों को दिखाई नहीं देते हैं, उन्हें कभी-कभी क्यों देखा जा सकता है। अर्थात इस घटना से हमें वातावरण में उपस्थित वे कण भी दिखाई देने लगते हैं जिन्हे हम नंगी आँखों से नहीं देख पाते।

टिंडल प्रभाव की परिभाषा- “टिंडल प्रभाव प्रकाश का प्रकीर्णन है जब प्रकाश पुंज कोलाइड (रासायनिक मिश्रण ) से होकर गुजरता है। इसमें अलग-अलग निलंबन कण प्रकाश को बिखेरते हैं, और प्रकाश को प्रतिबिंबित करते हैं, जिससे किरण दिखाई देती है।”

उदाहरण के लिए- टिंडल प्रभाव को हम तब देखते हैं जब हम कोहरे में कार की हेडलाइट्स चालू करते हैं या जब सूरज की रोशनी धूल वाले कमरे में प्रवेश करती है।

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टिण्डल प्रभाव के उदाहरण क्या हैं?

टिण्डल प्रभाव के प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित हैं-

  • जब हम एक गिलास के दूध में टॉर्च चमकाते हैं तो हम टिण्डल प्रभाव को देख सकते हैं।
  • धुंए में मोटरसाइकिल या कार के इंजन से निकलने वाले धुएं के नीले रंग में देखा जा सकता है। यह भी इसका एक उदाहरण है।
  • कोहरे में हेडलाइट्स से निकलने वाले प्रकाश में भी हमें यह प्रभाव देखने को मिलता है।

अभी तक आपने पढ़ा कि टिण्डल प्रभाव किसे कहते हैं और इसके उदाहरण क्या हैं, अब हम इसके महत्त्व और इसको प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में जानेंगें|

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टिंडल प्रभाव का महत्व

भौतिकी और रसायन विज्ञान दोनों में, टिण्डल प्रभाव (Tyndall effect in Hindi) का कुछ अध्ययनों में बहुत योगदान है और इसका बहुत महत्व है, जैसे की हम इसी के कारण यह समझ सकते हैं कि आकाश नीला क्यों है?

हम जानते हैं कि सूर्य से जो प्रकाश आता है वह सफेद होता है। जब यह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो यह विभिन्न गैसों के अणुओं से टकराता है जो इसे बनाते हैं।

पृथ्वी का वायुमंडल ज्यादातर नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, आर्गन जैसी गैसों के अणुओं से बना है। और इसमें बहुत कम मात्रा में ग्रीनहाउस गैसें हैं, जैसेकि कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और जल वाष्प आदि हैं।

जब सूर्य का प्रकाश इन सभी निलंबित कणों से टकराता है, तो यह अलग-अलग विक्षेपण से गुजरता है। गैस के अणुओं के साथ सूर्य के प्रकाश की किरण के विक्षेपण के कारण यह अलग-अलग रंग का हो जाता है। ये रंग तरंग दैर्ध्य और विचलन के कोण पर निर्भर करते हैं।

वे रंग जो सबसे अधिक विचलित होते हैं वे बैंगनी और नीले होते हैं, क्योंकि उनकी तरंग दैर्ध्य कम होती है। इसीलिए हमें आकाश का रंग नीला दिखाई पड़ता है।

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टिंडल प्रभाव को प्रभावित करने वाले कारक

जैसा कि हम जानते हैं कि टिण्डल प्रभाव प्रकाश को बिखरने से सम्बंधित है और यह तब होता है जब एक प्रकाश किरण कोलाइड से गुजरती है। अतः इस प्रभाव को प्रभावित करने वाले कारक वे कारक होंगे जो प्रकाश के गुण से सम्बंधित होंगे।

इसलिए हम यह कह सकते हैं कि टिंडल प्रभाव को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक प्रकाश की आवृत्ति और कणों का घनत्व हैं। इस प्रकार के प्रभाव में देखे जा सकने वाले प्रकीर्णन की मात्रा पूरी तरह से प्रकाश की आवृत्ति और कणों के घनत्व के पर निर्भर करती है।


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