तानसेन की जीवनी Tansen Biography in Hindi

Tansen information in Hindi-

तानसेन को सम्राट अकबर के दरबार के नवरत्नों में से एक थे और इसके साथ ही साथ वह भारतीय शास्त्रीय संगीत के सबसे महान व्यक्तियों में से एक हैं| उनका जन्म ग्वालियर में एक हिंदू परिवार में हुआ था। उनके पिताका नाम मुकुंद मिश्रा था जो कि एक प्रसिद्ध कवि थे।

Tansen Biography in Hindi-

तानसेन का जन्म सतना के पास एक गाँव में एक हिंदू परिवार में 1506 में हुआ था। जब उनका जन्म हुआ, तो उनके परिवार ने उनका नाम रामतनु रखा, और उन्हें तन्नु कहा जाने लगा। 5 वर्ष की आयु तक, तानसेन हर औसत दर्जे के बच्चे की तरह थे लेकिन उनके गुरु हरिदास जो कि उस समय के एक प्रसिद्ध गायक थे उन्होंने तानसेन की बहुमुखी प्रतिभा की पहचान की|

तानसेन ने सबसे पहले मेवा बांधवगढ़ के राजा रामचंद्र को अपनी प्रतिभा दिखाई। बाद में, उन्हें मुगल सम्राट अकबर के सामने अपनी बहुमुखी प्रतिभा और कौशल का प्रदर्शन करने का अवसर मिला। तानसेन केवल एक गायक ही नहीं, बल्कि एक प्रसिद्ध कवि भी थे, जिन्होंने कई दोहे रचे थे।

जब तानसेन अकबर के दरबार में थे, तो उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत पर आधारित नए रागों की रचना की| अपनी रचना शुरू की। उन्हें हिंदुस्तानी संगीत का जनक माना जाता है। सम्राट अकबर ने उन्हें मियां की उपाधि दी थी अतः उन्हें मियां तानसेन भी कहा जाता था। उन्होंने संगीत की ‘द्रुपद’ शैली को भी लोकप्रिय बनाया।

तानसेन के बारे में कहा जाता है कि उनकी दो पत्नियां थीं- एक हिंदू और दूसरी मुस्लिम थी|

More History of Tansen in Hindi

तानसेन लंबे समय तक स्वामी हरिदास के शिष्य रहे, जो वृंदावन के एक प्रसिद्ध संगीतकार थे और राजा मान सिंह तोमर के ग्वालियर दरबार का भी हिस्सा थे। तानसेन स्वामी हरिदास से कैसे मिले, यह बहस का विषय है। कुछलोगों का दावा है कि दोनों पहली बार मिले थे जब हरिदास और रामतनु जंगलों से होकर गुजर रहे थे तब तानसेन ने हरिदास के संगीत की नकल की और इस वजह से हरिदास प्रभावित हुए|

ऐसा माना जाता है कि जब तानसेन एक महान गायक बनने की तैयारी कर रहे थे उसी दौरान उनके पिता का निधन हो गया और उन्होंने सब कुछ छोड़ दिया और घर लौट कर वह वहां के एक शिव मंदिर में गाते थे| उन्होंने संगीत पर दो महत्वपूर्ण दस्तावेज लिखे- संगीता सारा और राजमाला।

मुहम्मद गौस उनके आध्यात्मिक गुरु बने और उन्हें इस्लाम से परिचित कराया। तानसेन का अकबर के साथ जुड़ने लेकर कई तक पूर्ण कहानियां आती हैं| कुछ लोगों का मानना है कि तानसेन भारत के रीवा के राजा रामचंद्र बघेला के दरबार में शामिल हुए थे, जहाँ वे 1555-1562 तक रहे थे।

अकबर ने जब उनके बारे में सुना तो अपने एक दूत को राजा और तानसेन के पास भेजा| तानसेन अकबर के दरबार में आने को राजी हो गए और 1562 में अकबर के दरबार में आए| जबकि कुछ लोगों का मानना है कि अकबर की बेटी तानसेन से मंत्रमुग्ध थी जिसके कारण तानसेन अकबर के दरबार में आए थे| ऐसा माना जाता है कि बाद में तानसेन ने इस्लाम भी कुबूल कर लिया था|

इतिहासकारों ने यहां बताया है कि तानसेन को अकबर के दरबार में अपने पहले प्रदर्शन में एक लाख सोने के सिक्के दिए गए थे।वास्तव में उनकी आवाज इतनी मधुर थी कि अक्सर कहा जाता है कि जब तानसेन गाते थे तो चमत्कार होता था|

उदाहरण के लिए, तानसेन राग मेघ मल्हार द्वारा बारिश करा देते थे और राग दीपक के साथ आग लगा सकता है। उनके संगीत की ऐसी शक्ति थी कि जब वे अकबर के दरबार में गाते थे, तो मोमबत्तियाँ अपने आप जल उठती थीं।

जब तानसेन अपने गायन की शैली के साथ खड़े होते हैं तो किसी भी तरह की तुलना कभी नहीं हो सकती है। संगीत की दुनिया में उनका योगदान अमूल्य है और आज भी दुनिया के प्रमुख गायकों और संगीतकारों द्वारा उनकी पूजा की जाती है।

Tansen’s Death

सभी संगीतकारों में सबसे महान, तानसेन की मृत्यु 1589 में हुई थी| तानसेन को ग्वालियर में उनके सूफी गुरु शेख मुहम्मद गौस के मकबरे के परिसर में दफनाया गया है।


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