स्थलमंडल क्या है? प्रकार, विशेषताएं Lithosphere in Hindi

Lithosphere Meaning in Hindi = स्थलमंडल 

पृथ्वी ग्रह आप जितना सोच सकते हैं उससे कहीं अधिक जटिल ग्रह है। इस ग्रह की सबसे दिलचस्प विशेषता यह है कि यह कई भागों से मिलकर बना हुआ है। पृथ्वी के कई भागों में से एक को हम स्थलमंडल के नाम से जानते हैं। स्थलमंडल, पृथ्वी के बाहरी हिस्से से मेल खाता है और यह वायुमंडल के सीधे संपर्क में रहता है।

स्थलमंडल किसे कहते हैं अथवा स्थलमंडल क्या है, इसको जानने से पहले हमें पहले यह समझना चाहिए कि पृथ्वी किन भागों से मिलकर बानी है, ताकि आप आसानी से ये समझ सके कि स्थलमंडल किसे कहते हैं?

पृथ्वी के विभिन्न भाग कौन से हैं?

पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल और गोलाकार आकार के कारण, पृथ्वी की एक परतदार संरचना है, जो इसके केंद्र से बाहर की ओर फैली हुई है। इन परतों को हम प्याज कि परतों कि तरह समझ सकते हैं, जैसे कि प्याज में कई परतें होती हैं उसी तरह से, हालाँकि पृथ्वी की परतों का घनत्व अलग अलग होता हैं।

पृथ्वी के विभिन्न भाग निम्नलिखित हैं-

  • पृथ्वी का पहला भाग-  पृथ्वी की सबसे केंद्रीय परत पृथ्वी का पहला भाग है, जिसे कोर कहा जाता है और यह पृथ्वी का केंद्र माना जाता है। यह एक ठोस क्षेत्र होता है परन्तु यहाँ का तापमान बहुत उच्च होता है।
  • पृथ्वी का दूसरा भाग- पृथ्वी की दूसरी परत मेंटल है। यह परत सबसे मोटी है। यह परत मैग्मा से बनी होती है, जो पूरे ग्रह पर ज्वालामुखी विस्फोट के लिए जिम्मेदार है।
  • पृथ्वी का तीसरा भाग- पृथ्वी की अंतिम परत को भूपर्पटी (पपड़ी) कहा जाता है। यह परत ठोस है और यह पृथ्वी के बाहरी भाग का निर्माण करती है।

जैसा कि अब आप पृथ्वी की परतों के बारे में जान चुके हैं तो चलिए अब जानते हैं की स्थलमंडल क्या है, और इसकी प्रमुख विशेषताएं क्या होती हैं।

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स्थलमंडल क्या है?

लिथोस्फीयर शब्द ग्रीक शब्द लिथोस ("पत्थर") और स्पैरा ("गोला") से आया है । लिथोस्फीयर को स्थलमंडल कहा जाता है।

पृथ्वी ग्रह की सबसे ठोस और सतही परत को स्थलमंडल कहते हैं। यह पृथ्वी की पपड़ी और पृथ्वी के मेंटल की ऊपरी परत से बनी है, और ग्रह की सबसे ठंडी सतह है, जिस पर सभी जीवित प्राणी रहते हैं।

दूसरे शब्दों पृथ्वी की वह सतह जिस पर हम रहते हैं उसे स्थलमंडल कहा जाता है।

स्थलमंडल विभिन्न खण्डों से मिलकर बना हुआ है, जिन्हें टेक्टोनिक प्लेट्स (या लिथोस्फेरिक प्लेट्स) के रूप में जाना जाता है और इस पर पृथ्वी की पपड़ी पाई जाती है। ये प्लेटें साल में कुछ सेंटीमीटर हिलती डुलती हैं, जिसके कारण इन प्लेटों में घर्षण या अलगाव हो सकता है|

इन प्लेटों के टकराने और अलग होने से पहाड़, नदियां, मैदान आदि क्षेत्र बनते हैं, और भूकंप तथा ज्वालामुखी जैसी घटनाएं भी उत्पन्न होती हैं।

स्थलमंडल दो प्रकार के होते हैं:

महाद्वीपीय स्थलमंडल

यह महाद्वीपीय क्रस्ट (अर्थात महाद्वीपों) और पृथ्वी के मेंटल के सबसे बाहरी क्षेत्र से बना है। यह ज्यादातर ग्रेनाइट-प्रकार के पत्थरों से बना है और लगभग 120 किमी मोटा है।

महासागरीय स्थलमंडल 

यह पृथ्वी की पपड़ी का वह हिस्सा है जो समुद्र तल का निर्माण करता है। यह महाद्वीपीय परत की तुलना में बहुत पतली परत है और ज्यादातर बेसाल्टिक चट्टानों से बनी है। इसकी मोटाई लगभग 65 किमी है|

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स्थलमंडल की विशेषताएं

  • यह पृथ्वी की परतों में से एक है और यह पृथ्वी की सतह और पृथ्वी के मेंटल की बाहरी परत से बना है।
  • स्थलमंडल का आकर बदलता रहता हैं, जो आमतौर पर 100 से 150 किमी तक होता है।
  • स्थलमंडल में तापमान होता है जो पृथ्वी के विभिन्न स्थानों के अनुसार भिन्न-भिन्न होता है।  उदहारण के लिए- पृथ्वी की सतह पर साधारण तापमान होता है, परन्तु पृथ्वी की गहराई में जाने पर यह तापमान बढ़ता है जोकि 1000 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो सकता है।
  • स्थलमंडल जीवन के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 
  • स्थलमंडल वह परत है जिसमें जीवित जीव रहते हैं। इसी मंडल में पौधे, जानवर और मनुष्य पृथ्वी पर विकसित हो सकते हैं।
  • लिथोस्फीयर रासायनिक रूप से ऑक्सीजन, सल्फर, एल्यूमीनियम, लोहा, कैल्शियम, सोडियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम और सिलिकॉन आदि से मिलकर बना है, इसके अतिरिक्त यह कई तरह के खनिजों और चट्टानों से भी मिलकर बनता है।

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