सविनय अवज्ञा आन्दोलन Civil Disobedience Movement in Hindi

Savinay Avagya Andolan-

सविनय अवज्ञा आन्दोलन का अर्थ है – विनम्रतापूर्वक आज्ञा या कानून की अवमानना करना|

मार्च, 1930 ईस्वी में गांधी जी ने यह आन्दोलन चलाया| इस आन्दोलन में गुजरात में स्थित दांडी नामक स्थान से समुद्र तट तब उन्होंने पैदल यात्रा की, जिसमें हजारों नर- नारियों ने उनका साथ दिया|

वहां उन्होंने स्वयं नमक बना कर ‘नमक कानून’ तोड़ा| शीघ्र ही हजारों लोगों तथा राष्ट्रीय नेताओं को जेल में डाल दिया गया|

सविनय अवज्ञा आन्दोलन निम्नलिखित परिस्थितियों में बाध्य होकर आरंभ किया गया था-

  • अंग्रेजों द्वारा पारित नमक कानून के कारण भारत की निर्धन जनता पर बुरा प्रभाव पड़ा ; अत: उनमें अंग्रेजों के इस अन्याय पूर्ण कानून के विरुद्ध भारी रोष था|
  • साइमन कमीशन में भारतीय को प्रतिनिधित्व न मिलने के कारण जनता में रोष व्याप्त था|
  • अंग्रेजों ने नेहरू रिपोर्ट के तहत भारतीयों को डोमिनियन स्तर देना अस्वीकार कर दिया था|
  • बारदोली के “ किसान आन्दोलन” की सफलता ने गांधीजी को अंग्रेजों के विरुद्ध आन्दोलन चलाने को प्रोत्साहित किया|

सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारंभ 1930-31 –

सविनय अवज्ञा आन्दोलन गांधी जी की दांडी- यात्रा से आरंभ हुआ| उन्होंने 12 मार्च 1930 को पैदल यात्रा आरंभ की और 6 अप्रैल 1930 ईस्वी को डांडी के निकट समुद्र तट पर पहुंचे|

वहां उन्होंने समुद्र के पानी से नमक बनाया और नमक कानून भंग किया| वह सारे देश में फैल गया| अनेक स्थानों पर लोगों ने सरकारी कानून का उल्लंघन किया|

सरकार ने इस आन्दोलन को दबाने के लिए दमन- आरंभ कर दिया| गांधीजी सहित अनेक आन्दोलनकारियों को जेलों में बंद कर दिया गया, परंतु आन्दोलन की गति में कोई अंतर न आया|

इसी बीच गांधीजी और तत्कालीन वायसराय में एक समझौता हुआ| समझौते के अनुसार गांधी जी ने दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेना तथा आन्दोलन बंद करना स्वीकार कर लिया| इस तरह 1931 ईस्वी में सविनय अवज्ञा आन्दोलन कुछ समय के लिए रुक गया|

आन्दोलन की प्रगति [1930-33] तथा अंत-

1931 ईस्वी में लंदन में दूसरा गोलमेज सम्मेलन बुलाया गया| इसमें कांग्रेस की ओर से गांधी जी ने भाग लिया, परंतु इस सम्मेलन में भी भारतीय प्रशासन के लिए उचित हल ना निकल सका|

गांधीजी निराश होकर भारत लौट आए, और उन्होंने अपना आन्दोलन फिर से आरंभ कर दिया| सरकार ने आन्दोलन के दमन के लिए आन्दोलनकारियों पर फिर से अत्याचार करने आरंभ कर दी|

सरकार ने इन अत्याचारों से आन्दोलन की गति कुछ धीमी पड़ गई| कांग्रेस ने 1935 ईस्वी में इस आन्दोलन को बंद कर दिया|

सविनय अवज्ञा आन्दोलन के परिणाम-

इस आन्दोलन के निम्नलिखित परिणाम थे-

  • इस आन्दोलन में पहली बार बहुत बड़ी संख्या में भारतीयों ने भाग लिया|
  • इस आन्दोलन में मजदूर, किसानों, महिलाओं से लेकर उच्च वर्गीय लोग तक सम्मिलित थे|
  • सरकारी प्रयासों के बावजूद लोगों ने अहिंसा का रास्ता नहीं छोड़ा, जिससे भारतीयों में आत्म- बल की वृद्धि हुई|
  • इस आन्दोलन में कांग्रेस की कर्मचारियों को भी स्पष्ट कर दिया| कांग्रेस के पास भविष्य के लिए आर्थिक- सामाजिक कार्यक्रम ना होने के कारण वह भारतीय जनता में व्याप्त रोष का पूर्णतया उपयोग न कर सकी|

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