रॉबर्ट क्लाइव Robert Clive History in Hindi

रॉबर्ट क्लाइव का जीवन परिचय-

Life History of Robert Clive in Hindi- भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना रॉबर्ट क्लाइव के द्वारा हुई थी| रॉबर्ट क्लाइव का जन्म 29 सितंबर 1725 को इंग्लैंड के एक साधारण परिवार में हुआ था| रॉबर्ट क्लाइव बचपन से ही बहुत कुशाग्र बुद्धि के थे, और उनका मन पढ़ाई लिखाई में ना लग कर खेलकूद में लगता था|

18 वर्ष की अल्प आयु में क्लाइव मद्रास के बंदरगाह पर क्लर्क बनकर आया। रॉबर्ट अपने माता पिता के 13 बच्चों में सबसे बड़े थे, उसकी सात बहने और पांच भाई थे| क्लाइव के 6 भाई-बहन बचपन में ही मर गए थे| रॉबर्ट क्लाइव ने मार्गरेट मास्कलीन से शादी की थी और उनके नौ बच्चे थे| 

क्लाइव एक साधारण लिपिक थे परंतु अपने बुद्धि बल से वह कंपनी के गवर्नर पद पर आसीन हुए| रॉबर्ट क्लाइव सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हुए 1756 ईस्वी में गवर्नर बने थे| सन 1760 में रॉबर्ट क्लाइव प्रथम गवर्नर कॉल को पूरा करके इंग्लैंड वापस लौट गए थे| इसके बाद कुछ विषम परिस्थितियों में 1765 ईस्वी में क्लाइव को पुनः गवर्नर बनाकर भारत लाया गया|

रॉबर्ट क्लाइव की मृत्यु कैसे हुई?

1767 ईस्वी में बीमारी से ग्रस्त होकर वह फिर वापस लौट गए इसके बाद इंग्लैंड में उन पर भयंकर आरोप लगाए गए| ब्रिटिश सरकार ने रॉबर्ट क्लाइव को बाद में निर्दोष घोषित कर दिया परंतु अपने ऊपर लगे आरोपों से खिन्न होकर रॉबर्ट क्लाइव ने 22 नवंबर 1774 में आत्महत्या कर ली|

Robert Clive Biography in Hindi

नाम रॉबर्ट क्लाइव
जन्म स्थान स्टाएच, इंग्लैंड
जन्मतिथि 29 सितंबर 1725
पत्नी का नाम मार्गरेट मास्कलीन
मृत्यु 22 नवंबर 1774
मृत्यु स्थान लंदन

More History of Robert Clive in Hindi-

क्लाइव ने भारत की इतिहास में कई महत्वपूर्ण विजय प्राप्त की और भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना का श्रेय भी रॉबर्ट क्लाइव को जाता है| क्लाइव की प्रमुख विजय निम्नलिखित है-

फ्रांसीसी कंपनी को अर्काट के युद्ध में हराना-

अर्काट, कर्नाटक का एक महत्वपूर्ण नगर था, जिसे कर्नाटक के नवाब अनवरुद्दीन ने अपनी राजधानी के रूप में विकसित किया था| चंदा साहब और फ्रांस की कंपनी ने मिलकर अपने प्रभुत्व को बढ़ाया और अंग्रेजों के मित्र मोहम्मद अली को त्रिचनापल्ली में घेर लिया|

तब क्लाइव ने ईस्ट इंडिया कंपनी से आज्ञा प्राप्त की और एक सेना का गठन करके चंदा साहब की राजधानी पर अपना डेरा डाल दिया| इस संघर्ष में चंदा साहब की हार हुई और उनका पतन हो गया| इस पतन के उपरांत क्लाइव ने मोहम्मद अली को कर्नाटक के नवाब के रूप में विराजमान किया और कर्नाटक में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव स्थापित की|

चंदा साहब के पतन के उपरांत फ्रांसीसी कंपनी का पतन हो गया और इस पतन के साथ ही साथ अंग्रेजो के लिए भारत में साम्राज्य स्थापना के नए अवसर खुल गए| इन अवसरों का अंग्रेजों ने बहुत लाभ लिया और अपने साम्राज्य का विस्तार भारत के कई क्षेत्रों में किया|

प्लासी का युद्ध-

प्लासी का युद्ध अंग्रेजों के इतिहास का एक महत्वपूर्ण युद्ध था,यह युद्ध 23 जून 1757 को मुर्शिदाबाद के दक्षिण में 22 मील दूर नदिया जिले में गंगा नदी के किनारे ‘प्लासी’ नामक स्थान पर हुआ था| बंगाल का नवाब सिराजुद्दौला था और क्लाइव ने सिराजुद्दौला के सेनापति मीर जाफर को अपनी ओर मिला लिया था|

प्लासी के युद्ध में मीर जाफर ने लड़ाई नहीं की और सिराजुद्दोला की हार हो गई| इस युद्ध की सफलता के उपरांत रॉबर्ट क्लाइव ब्रिटिश साम्राज्य का संस्थापक बन गया| उसने मीर जाफर को बंगाल का नवाब घोषित कर दिया| वास्तव में प्लासी का युद्ध भारत के लिए बहुत ही निर्णायक रहा और इस युद्ध में ही भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव स्थापित की थी|

अवध के नवाब और मुगल सम्राट शाह आलम से संबंध-

प्लासी के युद्ध के उपरांत मीरजाफर को बंगाल का नवाब बनाया गया था, परंतु अंग्रेजों ने उसे मात्र एक कठपुतली की तरह उपयोग किया था| कालांतर में मीर जाफर ने इस बात को समझा और उसने अंग्रेजों के प्रति बगावत के सुर छेड़े| इस कारणवश अंग्रेजों ने मीर जाफर के स्थान पर मीर कासिम को बंगाल का नवाब बना दिया|

मुगल बादशाह शाह आलम, अवध का नवाब शुजाउद्दौला तथा बंगाल के नवाब मीर कासिम के बीच एक संधि हुई| इसके फलस्वरूप इन तीनों ने भारत के मैत्री गुट के खिलाफ 1764 ईस्वी में अंग्रेजो की तरफ से बक्सर का युद्ध लड़ा| इस युद्ध में अंग्रेजों की विजय हुई| क्लाइव ने अवध के नवाब और मुगल बादशाह शाह आलम के साथ 16 अगस्त 1765 को इलाहाबाद की संधि की थी|

यह भी जानें प्लासी का युद्ध विस्तार में

क्लाइव का सैन्य प्रबंध में सुधार-

रॉबर्ट क्लाइव ने अपनी सैन्य व्यवस्था में बहुत अधिक सुधार किया, इस सुधार के फलस्वरूप उसने अपनी सेना को तीन वर्गों में विभाजित किया| प्रथम भाग को मुंगेर में, द्वितीय भाग को बीकापुर में और तीसरी टुकड़ी को इलाहाबाद में रखा गया|

क्लाइव ने सैनिकों को मिलने वाले दोहरे भत्ते की समाप्ति की जिस वजह से ईस्ट इंडिया कंपनी को आर्थिक दृष्टि से बहुत ही लाभ हुआ| मीर जाफर ने क्लाइव को ₹500000 प्रदान किए थे इन रूपों से रॉबर्ट क्लाइव ने क्लाइव कोष की स्थापना की थी| इस कोष का उपयोग युद्ध में शारीरिक रूप से विकलांग हुए सैनिकों की सहायता के लिए किया जाता था|

रॉबर्ट क्लाइव का प्रतिज्ञा पत्र-

कालांतर में ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारी भ्रष्टाचार एवं घूसखोरी जैसे अपराधों में लिप्त हो गए| भ्रष्टाचार एवं घूसखोरी से कंपनी को बहुत नुकसान हो रहा था जिस कारणवश कंपनी की स्थिति बिगड़ रही थी| क्लाइव ने भ्रष्टाचारों को रोकने के लिए एक कानून लागू किया, जिसके अनुसार कंपनी से संबंधित किसी भी कर्मचारी को एक प्रतिज्ञा पत्र भरना पड़ता था|

इस प्रतिज्ञा पत्र में यह हसरत थी कि कोई भी कर्मचारी भारत के निवासियों से किसी भी प्रकार का उपहार स्वीकार नहीं करेगा|

कर्मचारियों के व्यक्तिगत व्यापार पर रोक-

कंपनी के कर्मचारियों द्वारा हो रहे भ्रष्टाचारों को देखते हुए क्लाइव ने कर्मचारियों के व्यक्तिगत व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिया| इस प्रतिबंध के अनुसार कोई भी कर्मचारी अपने व्यक्तिगत हित के लिए व्यापार नहीं कर सकता था| इस प्रतिबंध के बाद कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी जिसको ठीक बनाए रखने के लिए क्लाइव ने कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि की|

क्लाइव का बंगाल में दोहरा शासन-

रॉबर्ट क्लाइव ने मुगल सम्राट शाह आलम से बंगाल के दीवानी और निजामत के सारे अधिकार प्राप्त कर लिए थे| इस दीवानी के अंतर्गत मालगुजारी वसूल करना, फौजदारी के मामले, दीवानी के मुकदमे, सैनिक शक्ति के कार्य आदि कार्य आते थे|

मुगल सम्राट शाह आलम को बंगाल में कोई भी विशेष अधिकार प्राप्त नहीं थे और नवाब को 53 लाख रुपए वार्षिक पेंशन देकर शासन से मुक्त कर दिया गया था| कंपनी की स्थिति कमजोर होने के कारण रॉबर्ट क्लाइव ने निजामत के सभी अधिकार तो अपने लिए सुरक्षित रख लिए थे, परंतु दीवानी के कार्य के लिए क्लाइव ने रजा खान को बंगाल में और सिताब राय को बिहार में नायब नाजिम के पद पर नियुक्त किया था|

इस प्रकार क्लाइव द्वारा निजामत के सभी अधिकार प्राप्त कर लेना और दीवानी के अधिकार भारतीयों को देना ही दोहरा शासन प्रबंध कहलाता था|


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