
प्रकाश किसे कहते हैं? परिभाषा, चाल, प्रकृति, गुण और प्रकार
इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि प्रकाश किसे कहते हैं, इसके आलावा प्रकाश की चाल कितनी होती है, प्रकाश के गुण, प्रकार और प्रकृति के बारे में हम चर्चा करेंगे।
प्रकाश किसे कहते हैं?
प्रकाश ऊर्जा का ही एक रूप है। प्रकाश एक ऐसा भौतिक साधन है जिसके कारण हम अपने चारों ओर स्थित वस्तुओं को देख सकते हैं।
प्रकाश एक विद्युत चुम्बकीय तरंग है, जिसे जिसे मानव नेत्र द्वारा देखा जा सकता है। दूसरे शब्दों में विद्युतचुंबकीय स्पेक्ट्रम का वह भाग जिसे मानव नेत्र द्वारा देखा जा सकता है, उसे प्रकाश कहा जाता है।
दृश्य प्रकाश फोटॉन से बना होता है। फोटॉन दोहरे तरीके से व्यवहार करते हैं: तरंगों के रूप में और कणों के रूप में।
प्रकाशिकी (Optics), भौतिकी की वह शाखा है जिसमें प्रकाश, उसके गुणों, व्यवहार एवं प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। हालाँकि, प्रकाश का अध्ययन कई अन्य विषयों जैसे रसायन विज्ञान, क्वांटम भौतिकी में भी किया जाता है।
प्रकाश के अलावा, विद्युत चुम्बकीय विकिरण के विभिन्न रूप हैं, जो ऊर्जा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाते हैं (जैसे पराबैंगनी विकिरण या एक्स-रे), लेकिन उन्हें साधारण आँखों से नहीं देखा जा सकता है।
प्रकाश की चाल-
निर्वात में प्रकाश की चाल सबसे अधिक होती है। प्रकाश अन्य माध्यमों में भी गति कर सकता है, लेकिन उन माध्यमों में प्रकाश कि चाल भिन्न-भिन्न होती है। कुछ प्रमुख माध्यमों में प्रकाश कि चाल निम्नलिखित है-
- प्रकाश निर्वात में 3×108 मीटर प्रति सेकंड की गति से एक सीधी रेखा में चलता है|
- पानी में प्रकाश की गति 2.25 x 108 मीटर प्रति सेकंड होती है, जोकि निर्वात में प्रकाश कि चाल से कम है।
- हीरे में प्रकाश की चाल 1.25 x 108 मीटर प्रति सेकंड होती है।
प्रकाश की चाल कितनी होती है, इसकी गति की अलग अलग माप कई वैज्ञानिकों ने दिया था, परन्तु खगोलशास्त्री ओले रोमर ने प्रकाश की गति का पहला अनुमानित माप 1676 में किया था। वे पहले ऐसे वैज्ञानिक थे, जिनकी माप प्रकाश कि वास्तविक चाल के लगभग बराबर थी।
अभी तक आपने जाना कि प्रकाश किसे कहते हैं (Prakash kise kahate hain) और प्रकाश की चाल विभिन्न माध्यमों में कितनी होती है। अब हम इसकी प्रकृति, विषेशताओं आदि के बारे में जानेंगे।
प्रकाश की प्रकृति और विशेषताएं
प्रकाश की प्रकृति दोहरी है, विद्युत चुम्बकीय तरंग के रूप में फैलती है, जिसकी ऊर्जा फोटॉन में आती है। यह हमेशा एक सीधी रेखा में और स्थिर गति से चलता है।
सामान्य रूप से प्रकाश सफेद दिखाई देता है, परन्तु इसमें तरंग दैर्ध्य वाली तरंगें होती हैं जो कि कई रंगों की होती हैं।
जैसा कि हम प्रिज्म के प्रयोग से देख सकते हैं कि प्रकश में सात रंग होते हैं। लेकिन तरंगदैर्ध्य के आधार पर रंगों की संख्या भिन्न-भिन्न हो सकती है।
प्रकाश के परावर्तन और अवशोषण के आधार पर रंग निर्धारित किये जा सकते हैं। अर्थात यदि हम किसी वस्तु को सफेद देखते हैं, तो इसका कारण यह है कि उस पर उत्सर्जित होने वाले सभी प्रकाश प्रवर्तित हो जा रहे हैं। दूसरी ओर, यदि हम इसे काला देखते हैं, तो यह इसलिए है क्योंकि यहाँ सभी प्रकाश को अवशोषित कर लिया गया है।
जब फोटॉन हमारी आंखों तक पहुंचते हैं, तो प्रकाश की उपस्थिति का पता लगाने वाले हमारे शरीर के सेंसर सक्रिय हो जाते हैं। इसके बाद यह जानकारी मस्तिष्क को भेजी जाती है, और वहां उसकी व्याख्या की जाती है।
जब कोई स्रोत बड़ी संख्या में फोटॉन उत्सर्जित करता है, तो हम बहुत तेज प्रकाश को देखते हैं।
प्रत्येक फोटॉन में एक निश्चित ऊर्जा होती है, जिसे मस्तिष्क एक रंग के रूप में व्याख्या करता है। उदाहरण के लिए, लाल फोटॉन की तुलना में नीले फोटॉन अधिक ऊर्जावान होते हैं।
प्रकाश तरंगों की आवृत्ति प्रकाश के ऊर्जा स्तर को निर्धारित करती है, और यही दृश्य प्रकाश को विकिरण के अन्य रूपों से अलग करती है।
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