मोनेरा जगत क्या है? परिभाषा, लक्षण, वर्गीकरण और उदाहरण
रॉबर्ट व्हिटकर ने जीवन के पांच जगत का उल्लेख किया है जिनमें से मोनेरा जगत एक है| जबकि चार अन्य जगत पौधे, जानवर, कवक और एककोशिकीय जीव हैं| मोनेरा जगत में विशेष रूप से प्रोकैरियोटिक जीव शामिल हैं।
वास्तव में, "मोनेरा" शब्द ग्रीक शब्द मोनरेस से बना हुआ है, जिसका अर्थ है "सरल"| चलिए जानते हैं कि मोनेरा जगत क्या है और इसके लक्षण और उदाहरण क्या है|
मोनेरा जगत क्या है?
मोनेरा जगत के जीव पृथ्वी पर बहुत आम हैं, और जीवमंडल के पूरे पारिस्थितिक तंत्र में व्यापक रूप से पाए जाते हैं।
मोनेरा जगत प्रोकैरियोटिक जीवों से बना है| इस जगत के जीव एककोशिकीय प्राणी हैं जिनके पास नाभिक नहीं होता है| मोनेरा जगत के जीव के आकार 0.1 से 10 माइक्रोन के बीच होते हैं|
मोनेरा साम्राज्य सभी प्रकार के पारिस्थितिक तंत्रों में मौजूद पुराने, व्यापक और कई जीवों (दोनों जलीय और स्थलीय) से बना है|
ये ऐसे जीव हैं जो या तो स्वपोषी या विषमपोषी (परजीवी या मृतजीवी) हो सकते हैं। इसके अलावा, इन प्राणियों को अकेले या समूहों में भी पाया जा सकता है|
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मोनेरा जगत के लक्षण और विशेषताएं
मोनेरा जगत की विशेषताएं और लक्षण निम्नलिखित हैं-
- मोनेरा जगत के जीव के आकार अलग-अलग हो सकते हैं| कुछ जीव अपने विकास के दौरान आकार भी बदल सकते हैं|
- ये गोलाकार, छड़ के आकार का, धागे जैसा, आदि आकार के हो सकते हैं।
- वे सूक्ष्म एककोशिकीय जीव हैं और अलैंगिक रूप से प्रजनन करते हैं|
- मोनेरा जगत के जीव प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं से बने होते हैं, यानी उनके पास एक वास्तविक झिल्लीदार नाभिक नहीं होता है|
- इन सभी में एक कोशिका भित्ति होती है|
- इस जगत के जीव अपने बाहरी सतह से पोषक तत्वों को अवशोषित करके भोजन करते हैं। जबकि कुछ अन्य जीव अपना भोजन स्वयं बनाते हैं|
- उनमें माइटोकॉन्ड्रिया, लाइसोसोम, गॉल्जीकाय, सेंट्रोसोम जैसे अंग नहीं होते हैं।
- इस जगत के जीव जानवरों, पौधों और कवक जैसे बहुकोशिकीय जीवों की तुलना में सरल जीव होते हैं।
- इस जगत के जीव 0.1 से 10 माइक्रोन के आकार के हो सकते हैं|
- उनकी आनुवंशिक सामग्री (DNA डीएनए) प्रोटीन से जुड़ी हो भी सकती है और नहीं भी।
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मोनेरा जगत का वर्गीकरण-
शुरुआत में मोनेरा जगत का वर्गीकरण दो रूप में किया गया था- पहला था यूबैक्टेरिया और दूसरा आर्कबैक्टीरिया। लेकिन उस समय बैक्टीरिया के बारे में कोई खास जानकारी प्राप्त नहीं थी| आगे चलकर मोनेरा जगत का वर्गीकरण पुनः दो रूप में किया गया- आर्किया और बैक्टीरिया।
आर्किया (पूर्व में "आर्कोबैक्टीरिया" के रूप में जाना जाता था)
आर्किया पृथ्वी पर सबसे पुराने प्रोकैरियोट्स हैं| ये कई तरह की परिस्थितियों और वातावरण में रह सकते हैं| उदाहरण के लिए, गर्म पानी, झरने और खारा क्षेत्र आदि| क्योंकि उनके पास एक कोशिका भित्ति होती है जिसकी विशिष्ट संरचना उन्हें ऐसी परिस्थितियों में जीवित रहने की मदद करती है।
बैक्टीरिया (पहले "यूबैक्टीरिया" के रूप में जाना जाता था)
बैक्टीरिया छोटे एककोशिकीय जीव होते हैं। बैक्टीरिया पृथ्वी पर लगभग हर जगह पाए जाते हैं और पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
साइनोबैक्टीरीया
इन्हें नीले शैवाल के रूप में जाना जाता है| लंबे समय से ऐसा माना जाता है, वे एकमात्र प्रोकैरियोटिक जीव हैं जो ऑक्सीजन युक्त प्रकाश संश्लेषक प्रक्रियाओं को पूरा करने में सक्षम हैं।
ये वास्तव में सबसे बड़े प्रोकैरियोटिक जीव हैं। ये 60 माइक्रोमीटर तक के हो सकते हैं। उन्होंने विशेष कोशिकाओं को विकसित किया है, जिन्हें हेटरोसिस्ट कहा जाता है|
इनमें से कुछ जीवों का विशिष्ट रंग फाइकोबिलिन और क्लोरोफिल के संयोजन द्वारा दिया जाता है, लेकिन अन्य प्रजातियां हरे, भूरे, पीले, काले या लाल रंग की हो सकती हैं|
मोनेरा जगत के जीवों का पोषण
मोनेरा जगत से संबंधित जीवों में, पोषण के कई रूप देखे जा सकते हैं, जैसे कि विषमपोषी या स्वपोषी। यद्यपि अधिकांश जीव विषमपोषी होते हैं, अर्थात उन्हें अपने भोजन के लिए अन्य जीवों की आवश्यकता होती है, परंतु इस जगत के कुछ अन्य जीव सूर्य की ऊर्जा से अपना भोजन उत्पन्न करते हैं।
मोनेरा जगत के जीवों का प्रजनन
मोनेरा जगत में मुख्य रूप से अलैंगिक प्रजनन होता है और इसे हम विखंडन या द्विभाजन भी कहते हैं| इस प्रकार के प्रजनन में एक कोशिका दो नई कोशिकाओं को बनाने के लिए विभाजित होती है।
जैसा कि जानवरों और पौधों के जीवों में यौन प्रजनन देखा जाता है, वह इस जगत के जीवों में नहीं होता है| लेकिन इनमें दो कोशिकाओं के बीच डीएनए के संयोजन की प्रक्रिया होती है, जिसे संयुग्मन कहा जाता है।
मोनेरा जगत के उदाहरण
मोनेरा जगत के कुछ प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित हैं-
हेलोफिलिक आर्किया, स्चेरिचिया कोलाई, क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम आदि|
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