
Kannauj, Bilgram ka Yudh- कन्नौज का युद्ध
Kannauj and Bilgram ka yudh
- कन्नौज का युद्ध मई 1540 ईस्वी में हुमायूं और शेरशाह के बीच लड़ा गया|
- कन्नौज के युद्ध को बिलग्राम का युद्ध (Bilgram ka yudh) भी कहा जाता है|
Battle of Kannauj and Bilgram in hindi–
कन्नौज का युद्ध शेरशाह सूरी एवं बादशाह हुमायु के मध्य हुआ था| बादशाह हुमायूँ को यह मालूम था की शेरशाह की सेना उसकी सेना के मुकाबले ज्यादा ताकतवर एवं शक्तिशाली है और शेरशाह को इस लड़ाई में पराजित करना आसान नहीं है|
इसी कारण उसने अपने भाइयों को इस युद्ध में मिलाने का प्रयास किया, परंतु उसके भाई इस युद्ध में उसके साथ सम्मिलित ना हुए| बल्कि वह हुमायूं की युद्ध की तैयारियों में अनेक तरह से रुकावटें डालने लगे|
शेरशाह एक कुशल शासक था और उसको यह ज्ञात हो गया था कि हुमायूं के भाई कन्नौज के युद्ध में उसका साथ नहीं देने वाले हैं जिससे वह बहुत ही प्रसन्न हुआ| जैसे ही शेरशाह को हुमायु के भाइयों के बारे मैं ज्ञात हुआ उसने अपनी सेना एवं अफगान साथियों के साथ हुमायूं पर आक्रमण करने का फैसला किया|
हुमायु भी उसका सामना करने के लिए तैयार था| कन्नौज के युद्ध के लिए दोनों पक्षों की सेनाओं ने कन्नौज के पास ही गंगा के किनारे अपना अपना पड़ाव डाला|
इतिहासकारों के मत के अनुसार दोनों सेनाओं की संख्या लगभग दो लाख थी, और दोनों सेनाएं लगभग एक महीने तक बिना युद्ध किए वहीं पर अपना पड़ाव डाले रही|
शेरशाह को इस बात से कोई हानि नहीं थी, परंतु हुमायूं की सेना के सिपाही धीरे-धीरे उसका साथ छोड़ कर चले जा रहे थे| इसी कारणवश हुमायु ने कन्नौज के युद्ध को प्रारंभ करना ही उचित समझा| इस युद्ध में अफगानी सेना ने हुमायूं के सेना को बड़ी आसानी से पराजित कर दिया क्योंकि उसके सैनिक इस युद्ध में डटकर नहीं लड़े|
अफगान सेना ने भागती हुई मुगल सेना को नदी की ओर पीछा किया और कई सैनिकों को मार गिराया| जिससे उसकी बड़ी क्षति हुई, बहुत से मुगल सैनिक नदी में डूब गए| कन्नौज की लड़ाई ने मुगलों और शेरशाह सूरी के बीच मामले का फैसला कर दिया|
इस युद्ध के बाद बादशाह हुमायूं बिना राज्य का राजा था, और काबुल तथा कंधार कामरान के हाथों में थे| कन्नौज के युद्ध के पश्चात ही हुमायूं को अपनी राजगद्दी छोड़कर भागना पड़ा और दिल्ली का राज्य शेरशाह सूरी के अधिकार में आ गया|
Important points of Kannauj War (Yudh) in Hindi-
- इस युद्ध में शेरशाह (शेरख़ाँ) ने हुमायूँ को बुरी तरह से पराजित किया|
- बिलग्राम युद्ध की विजय बाद शेरशाह सूरी ने हुमायूँ को भारत से पलायन करने के लिए विवश कर दिया।
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