
Bharat ke Padosi Desh भारत के पड़ोसी देशों के नाम
Bharat ke Padosi Desh Ke Naam भारत के पड़ोसी देशों के नाम
भारत, दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश, 19वीं और 20 वीं सदी के दौरान भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था और सन 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी|
दक्षिण एशिया में भारत एक विशाल देश है। इसकी पाकिस्तानी, चीन ,नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और म्यांमार के साथ साझा सीमाएं हैं तथा श्रीलंका और मालदीव भारत की समुद्री सीमा से जुड़े हुए देश हैं| इनके अतिरिक्त अफगानिस्तान एवं मालदीव भी भारत के निकटतम पड़ोसी देश हैं।
आम तौर पर अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित कुल 17 भारतीय राज्य हैं। ये 17 भारतीय राज्य एक, दो या तीन देशों के साथ अपनी सीमा साझा करते हैं। ये भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम; जम्मू एंड कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान और गुजरात हैं।
भारत के पड़ोसी देश के नाम क्या है?
भारत के कुल मिलाकर 9 पड़ोसी देश हैं, जिनमें से 7 के साथ भारत स्थलीय सीमा तथा दो देशों के साथ जलीय सीमा साझा करता है|
- नेपाल
- चीन
- म्यांमार ( बर्मा)
- भूटान
- पाकिस्तान
- बांग्लादेश
- अफगानिस्तान
- श्रीलंका
- मालदीव
Bharat ke padosi desh ke naam और उनसे जुड़े हुए भारतीय राज्य-
Bharat ke Padosi desh | Bhartiya Rajy |
पाकिस्तान | जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात |
नेपाल | बिहार, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, सिक्किम और पश्चिम बंगाल |
चीन | जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश |
बांग्लादेश | पश्चिम बंगाल, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा और असम |
भूटान | पश्चिम बंगाल, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और असम |
म्यांमार | अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम |
अफगानिस्तान | सीमावर्ती जम्मू-कश्मीर (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का क्षेत्र) |
भारत के पड़ोसी देशों के नाम Trick
भारत के पड़ोसी देशों से संबंध-
Bharat ke padosi desh se sambandh-
भारत के इन पड़ोसी देशों के साथ संबंध भौगोलिक, ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण रहे हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत भारत ने इन देशों के साथ शांतिपूर्ण ढंग से अपने संबंध बनाए रखने का प्रयास किया है परंतु कभी-कभी कुछ कारणवश किन देशों के साथ संबंधों में उतार चढ़ाव आते रहे हैं|
भारत एक शांतिप्रिय देश है इसलिए अपने पड़ोसी देशों के साथ सदैव मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने का प्रयास किया है। वर्तमान परिस्थिति में हम यह कह सकते हैं कि भारत सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति के मामले में बेहतर स्थिति में है|
वह विश्व के अन्य देशों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहा है| भारत आज शिक्षा, पर्यटन, रोजगार आदि क्षेत्रों में अपने आपको साबित करके विश्व के अग्रणी देशों में एक है|
नेपाल- नेपाल के साथ भारत के बहुत प्राचीन संबंध हैं । नेपाल भारत के पूर्वोत्तर में स्थित है, जो हिमालय में स्थित एक देश है। नेपाल की राजधानी काठमांडू है। नेपाल उत्तराखंड, सिक्किम, उत्तर प्रदेश और बिहार के साथ अपनी सीमाएं साझा करता है।
क्षेत्रफल के हिसाब से नेपाल बहुत बड़ा देश नहीं है परंतु दुनिया की 10 सबसे ऊंची चोटियों में से आठ नेपाल में ही स्थित है, जिसमें दुनिया का सबसे ऊंचा बिंदु माउंट एवरेस्ट भी शामिल है। नेपाल की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है; कृषि के अतिरिक्त पर्यटन भी देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है|
नेपाल के नागरिकों को भारत में अनेक सुविधाएं प्राप्त हैं भारत ने नेपाल की अनेक परियोजनाओं की पूर्ति के लिए पर्याप्त आर्थिक सहायता भी दी है। दोनों देशों के गणमान्य नेताओं ने एक दूसरे के यहां जाकर परस्पर मैत्री व सहयोग को प्रोत्साहन दिया है।
वर्तमान में दोनों देश आतंकवाद से निपटने तथा जल विद्युत उत्पादन के लिए सहमत हो गए है। भारत और नेपाल के बीच बहुत कम यात्रा प्रतिबंध हैं। भारत में नेपाली श्रमिकों को नियोजित किया जाता है और नेपाली छात्र भारतीय विश्वविद्यालयों में पढ़ते हैं।
चीन- वर्तमान में, चीन दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। चीन भारत के उत्तर में स्थित है और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों के साथ अपनी सीमाएं साझा करता है।
चीन की राजधानी बीजिंग है,और यह दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है। जब कम्युनिस्ट चीन में सत्ता में आए, तो भारत ने इस परिवर्तन का स्वागत किया, भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ में चीन के प्रवेश की भी वकालत की थी।
1954 में, तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और चीनी प्रधान मंत्री ने “पंचशील” समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
इसके बावजूद 1962 में, चीन ने उत्तर-पूर्व में भारत पर हमला किया और भारतीय क्षेत्र का हिस्सा लिया। युद्ध जल्द खत्म हो गया लेकिन भारत और चीन के बीच संबंध लंबे समय तक तनावग्रस्त रहे।
भारतीय प्रधान मंत्री राजीव गांधी और नरसिम्हा राव चीन की यात्राओं ने कुछ हद तक स्थिति में सुधार किया। कई व्यापार समझौते पर भी हस्ताक्षर किए गए हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच शांति और पारस्परिक विश्वास बहाल करना एक आसान काम नहीं है।
म्यांमार- म्यांमार (बर्मा) पहले ब्रिटिश भारत का हिस्सा था और यह 1948 में स्वतंत्र हुआ था| इसकी वर्तमान राजधानी नयपीडो है| बर्मा भारत के अच्छे पड़ोसी देशों में से एक है जिसके साथ भारत एक लंबी और संवेदनशील सीमा साझा करता है, दोनों देशों के बीच संबंध मैत्रीपूर्ण रहे हैं।
नागालैंड, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर के भारतीय राज्य बर्मा के साथ अपनी सीमा साझा करते हैं और इस सीमा पर तस्करी के साथ-साथ कई अन्य अवैध कार्य होते रहते हैं, और यह दोनों देशों के मध्य बहुत बड़ी समस्या है|
भूटान- भारत भूटान से लगभग 69 9 किमी लंबी सीमा साझा करता है, भारत के दुनिया के सबसे खुश देशों में से एक, पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम राज्य भूटान के साथ अपनी सीमायें साझा करते हैं| भारत प्रतिवर्ष भूटान को आर्थिक सहायता रहता है।
भारत और भूटान के बीच संबंध बहुत पुराने हैं और इन दोनों देशों के बीच संबंध बहुत ही मजबूत है| दोनों देशों के बीच आर्थिक क्षेत्र में सहयोग ने उन्हें उन्नत किया है। भारत ने दूरसंचार, जल विद्युत सर्वेक्षण, शिक्षा और वानिकी के क्षेत्र में, उद्योग विकास में भूटान की मदद की है।
पाकिस्तान- गुजरात, राजस्थान, पंजाब और कश्मीर राज्य पाकिस्तान के साथ अपनी सीमा को साझा करते हैं| भारत के अन्य पड़ोसी देशों की अपेक्षा पाकिस्तान के साथ संबंध काफी तनावपूर्ण रहते हैं| 1947 में, भारत को विभाजित किया गया था और पाकिस्तान का निर्माण हुआ था|
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद है और पाकिस्तान की जनसंख्या लगभग 20 करोड़ है| दोनों देश एक ही ऐतिहासिक, भाषाई और सांस्कृतिक विरासत साझा करते हैं फिर भी, आजादी के बाद से, दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी कटुता रही है|
सन 1947 से 1971 तक भारत एवं पाकिस्तान के संबंध अच्छे नहीं रहे और कश्मीर तथा बांग्लादेश के प्रश्न पर दोनों देशों के मध्य भयंकर युद्ध भी हो चुके हैं। इसके उपरांत भी भारत प्रारंभ से ही पाकिस्तान के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने का इच्छुक रहा है।
शिमला समझौता, दिल्ली समझौता, भारत- पाक जल-संधि होने के बाद दोनों देशों के संबंध कुछ सामान्य होने लगे थे, किंतु सन 1985 से 1988 तक पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्र अध्यक्ष जिया-उल-हक परमाणु बम बनाने में प्रयत्नशील रहे।
इससे दोनों देशों के मध्य संबंधों में कटुता उत्पन्न हुई जिया -उल -हक के निधन के पश्चात बेगम बेनजीर भुट्टो के सत्ता में आ जाने से प्रारंभ में दोनों देशों के पारस्परिक संबंधों में कुछ सुधार हुआ किंतु कालांतर में पाकिस्तान में सैनिक तानाशाही स्थापित हो गई। पाकिस्तान के सैनिकों द्वारा कश्मीर को अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बनाने का निरंतर प्रयास किया जाता रहा है।
बांग्लादेश- भारत सरकार ने अपने पड़ोसी देश बांग्लादेश से हमेशा महत्वपूर्ण संबंध बनाने का प्रयास किया है| वर्ष 1971 में बांग्लादेश के गठन में भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
भारत के 5 राज्य पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम बांग्लादेश के साथ अपनी सीमा साझा करते हैं| सन 1972 में ‘शांति व मैत्री संधि’ होने से दोनों देशों के संबंध घनिष्ठ और महत्वपूर्ण चल रहे हैं।
वर्तमान में दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध हैं किंतु कुछ प्रश्नों पर आज भी मतभेद बने हुए हैं। बांग्लादेश की राजधानी ढाका है और बांग्लादेश की मुद्रा का नाम टका है|
अफगानिस्तान- भारत अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से अपनी सीमाएं साझा करता है| प्राचीन काल से ही अफगानिस्तान एवं भारत के मध्य व्यापारिक, सांस्कृतिक व तकनीकी संबंध स्थापित हैं।
सन 2001 में तालिबान सरकार के पतन के बाद दोनों देशों के मध्य मैत्रीपूर्ण संबंधों में मजबूती आई है। भारत ने 1988 में अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रायोजित जिनेवा समझौते की सराहना की। भारत ने अफगानिस्तान के विकास हेतु प्रत्येक क्षेत्र में योगदान दिया है।
भारत स्वास्थ्य, लघु उद्योगों शिक्षा के साथ साथ अनेक क्षेत्रों में में अफगानिस्तान का सहयोग कर रहा है। भारत और अफगानिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंध पारंपरिक रूप से मजबूत और सुखद रहे हैं।
श्रीलंका- भारत और श्रीलंका पारंपरिक रूप से एक-दूसरे के करीब हैं। भारतीय मूल के तमिलों की बड़ी संख्या श्रीलंका में रहती है। श्रीलंका की राजधानी श्री जयवर्धनापुरा-कोट्टी है| श्रीलंका और भारत के संबंध प्राचीन काल से ही महत्वपूर्ण एवं घनिष्ठ रहे हैं। अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने पुत्र महेंद्र व पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा था। भारत एवं श्रीलंका के संबंध बहुत सोहार्दपूर्ण रहे हैं।
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