बैरोमीटर क्या है? खोज, मात्रक, प्रकार और विशेषताएं

इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि बैरोमीटर क्या है (barometer kya hota hai), इसका आविष्कार किसने किया था। इसके साथ ही साथ हम जानेंगे कि बैरोमीटर का कार्य क्या है और इसकी विशेषताएं क्या हैं।

बैरोमीटर क्या है?

बैरोमीटर एक ऐसा उपकरण है जिसका उपयोग वायुमंडलीय दबाव को मापने के लिए किया जाता है। वायुमंडलीय दबाव वह भार होता है जो वायुमंडल पृथ्वी की सतह पर किसी स्थान पर लगाता है।

जैसा कि हम जानते हैं कि हवा बहुत हल्की होती है परन्तु यह इतनी भी हल्की नहीं होती कि इसका दबाव न महसूस किया जा सके। हवा कई कणों से मिलकर बनी होती है, जैसे ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और पानी। इस मिश्रण का भार पृथ्वी पर पड़ता है और इसे "वायुमंडलीय दबाव" कहा जाता है।

समुद्र तल पर भूमि पर नीचे दबने वाली वायु की परत सबसे मोटी होती है और दाब सबसे अधिक होता है। आप जितनी ऊंचाई पर जाते हैं, हवा की परत की मोटाई उतनी ही कम होती जाती है और दबाव कम होता है। अर्थात ऊँचाई बढ़ने पर दबाव काम होता है|

दबाव को पास्कल (Pa)  में मापा जाता है और वायुमंडलीय दबाव से मौसम की भविष्यवाणी करने में सहायता प्राप्त होती है|

बैरोमीटर का उपयोग सभी प्रकार की गैसों के दबाव को मापने के लिए भी किया जाता है|

अभी तक आपने जाना कि बैरोमीटर क्या होता है चलिए अब जानते हैं इसकी खोज किसने की और यह कितने प्रकार का होता है।

बैरोमीटर कि खोज किसने की?

बैरोमीटर कि सर्वप्रथम खोज 1643 में टोरिसेली नाम के एक भौतिक विज्ञानी और गणितज्ञ ने किया था। टोरिसेली ही वो प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने बैरोमीटर का आविष्कार किया था, और इसे "टोरिसेली ट्यूब" के रूप में जाना जाता था।

उन्होंने इसका निर्माण पारे के उपयोग से किया था और इसमें नीचे की ओर खुली और ऊपर की ओर बंद एक उल्टे बेलनाकार ट्यूब शामिल थी।

टोरिसेली का जन्म 15 अक्टूबर, 1608 को इटली में हुआ था और 22 अक्टूबर, 1647 को उनका निधन हो गया था।

जब बैरोमीटर का अविष्कार हुआ था तो यह टोरिसेली ट्यूब के नाम से जाना जाता था, बाद में 1676 में फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी एडमे मारीओट ने इसे बैरोमीटर का नाम दिया था।

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बैरोमीटर का मात्रक

वर्तमान समय में हम जिनके साथ बैरोमीटर वायुमंडलीय दबाव को मापते हैं, वह मात्रक हेक्टोपास्कल (hPa) हैं, जो पास्कल का 100 गुना होता है। 

1 हेक्टोपास्कल = 100 पास्कल

एक पास्कल 1 वर्ग मीटर की सतह पर 1 न्यूटन के बल के बराबर होता है।

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बैरोमीटर के प्रकार

बैरोमीटर कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से प्रत्येक की अपनी अलग अलग विशेषताएं होती हैं। बैरोमीटर के प्रकार निम्न हैं-

पारा बैरोमीटर

बैरोमीटर का सबसे पुराना प्रकार पारा बैरोमीटर है। इस बैरोमीटर का आविष्कार इटली के वैज्ञानिक टोरिसेली ने किया था। उन्होंने पानी की नली का उपयोग करके अपना पहला बैरोमीटर का प्रयोग किया था। जिसमें एक कांच की ट्यूब होती है, जिसकी ऊंचाई 850 मिमी होती है, जो पारे से भरी होती है और यह पारेसे भरे कंटेनर पर रखी होती है।

एनरोइड बैरोमीटर

इसका आविष्कार 1843 में फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी लुसिएन विडी ने किया था।  इस बैरोमीटर में पारा का उपयोग नहीं किया गया था। यह अत्यधिक लोचदार दीवारों के साथ धातु के बक्से पर होने वाले विकृतियों के माध्यम से वायुमंडलीय दबाव को मापता है। इस डिब्बे के अंदर एक पूर्ण वैक्यूम होता है। परन्तु यह बहुत अधिक कारगर नहीं था और इसमें कई सारी त्रुटियां थीं।

डिजिटल बैरोमीटर

आधुनिक समय का बैरोमीटर नई कंप्यूटर तकनीकों का लाभ उठाता है, और वातावरण के दबाव को सटीक रूप से समझने के लिए विशेष प्रकार के सेंसर का उपयोग करता है। 

आज के डिजिटल बैरोमीटर जटिल वायुमंडलीय डेटा को पहले से कहीं अधिक सटीक और तेज़ी से मापते और प्रदर्शित करते हैं।

सटीक मौसम पूर्वानुमान लगाने के लिए वर्तमान समय के बैरोमीटर हवा और आर्द्रता जैसे अन्य वायुमंडलीय रीडिंग को भी संग्रहीत रखते हैं। यह डेटा बैरोमीटर पर संग्रहीत किया जाता है, और इसे आगे के विश्लेषण के लिए कंप्यूटर पर डाउनलोड भी किया जा सकता है।

डिजिटल बैरोमीटर का उपयोग मौसम विज्ञानियों और अन्य वैज्ञानिकों द्वारा किया जाता है जो प्रयोगशाला में प्रयोग करते समय वातावरण के बारे में अप-टू-डेट रीडिंग प्राप्त करना चाहते हैं।

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