Acharya Ramchandra Shukla Biography in Hindi
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल बीसवीं शताब्दी के हिन्दी के प्रमुख साहित्यकारों में से एक हैं। शुक्ल जी एक निबन्ध लेखक, समीक्षक एवं साहित्यिक इतिहासकार के रूप में जाने जाते हैं।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (Acharya Ramchandra Shukla) ने हिन्दी साहित्य का इतिहास लिखा, शुक्ल जी का जीवन परिचय (Biography in Hindi) अग्रलिखित है-
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जीवन परिचय-
Acharya Ramchandra Shukla Biography in Hindi-
आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जन्म बस्ती जिले के अगोना नामक ग्राम में 4 अक्टूबर सन 1884 को हुआ था, यह ग्राम उत्तर प्रदेश में स्थित है| आपके पिता का नाम चंद्रबली शुक्ला था जोकि मिर्जापुर में सदर कानूनगो के पद पर नियुक्त थे|
शुक्ल जी की शिक्षा-
आपकी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा आपके पिता चंद्रबली शुक्ल के पास राठ तहसील नामक गांव में हुई थी| जब आप इंटरमीडिएट की पढ़ाई कर रहे थे तब आप की शिक्षा में कुछ बाधाएं उत्पन्न हुई एवं गणित विषय में कमजोर होने के कारण आप और आगे नहीं पढ़ सके|
आपने सरकारी नौकरी की परंतु अपने स्वाभिमान के कारण आपने वह नौकरी छोड़ दी और कुछ समय के लिए मिर्जापुर के ही मिशन स्कूल में चित्रकला के अध्यापक के रूप में कार्यरत रहे| मिर्जापुर के प्रेमधन एवं पंडित केदारनाथ पाठक के सानिध्य में आकर आपने हिंदी (Hindi), संस्कृत, बांग्ला, उर्दू एवं अन्य कई भाषाओं का ज्ञान अर्जित किया|
आचार्य रामचंद्र शुक्ल की रचनाएँ “आनंद कादंबिनी” नामक पत्रिका में प्रकाशित होने लगी और आपने 19 वर्ष तक नागरी प्रचारिणी सभा में हिंदी शब्दसागर के सहायक संपादक का पद सुशोभित किया| शुक्ला जी काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदी के प्राध्यापक भी रहे एवं वहां पर आप बाबू श्यामसुंदर दास के अवकाश ग्रहण के पश्चात हिंदी विभाग के अध्यक्ष हुए तथा आपकी गिनती उच्च कोटि के विद्वानों में होने लगी|
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आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की जीवनी-
शुक्ल जी की मृत्यु-
आचार्य रामचंद्र शुक्ल जी का हिंदी साहित्य में प्रवेश एक निबंधकार एवं कवि के रूप में हुआ और नाटक रचना में भी आपकी विशेष रुचि रही| इसके बाद आपने “आलोचना” को अपना विषय बनाया और यह विधा आपकी प्रमुख विधा बन गई और आपने लेखन क्षेत्र में विशेष स्थान ग्रहण किया|
शुक्ल जी ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक साहित्य लेखन किया और हिंदी साहित्य की सेवा की आपने अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक किया हिंदी साहित्य की सेवा एवं लेखन कार्य करते हुए आचार्य रामचंद्र शुक्ल की मृत्यु 2 फरवरी सन 1941 ईस्वी में हो गई|
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साहित्यिक परिचय-
शुक्ल जी ने अपने संपूर्ण जीवन को हिंदी साहित्य के प्रति समर्पित किया, हिंदी साहित्य को विश्व पटल पर पहचान दिलवाने में आचार्य रामचंद्र शुक्ल की सेवाओं को हिंदी जगत कभी भी भुला नहीं सकता और आपका योगदान अविस्मरणीय रहेगा|
आरंभिक साहित्यिक जीवन आपने कुछ काव्य रचनाओं से प्रारंभ किया और उसके बाद आपने गद्य विधा के क्षेत्र में बहुत अधिक कार्य करते हुए अपनी पहचान को एक अनुवादक, निबंधकार, संपादक एवं आलोचक के रूप में बनाई और साथ ही साथ गद्य के क्षेत्र में आपने अपूर्ण ख्याति प्राप्त की| आप हिंदी के युग प्रवर्तक आलोचक हैं, आपने सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक दोनों ही प्रकार की आलोचनाओं की रचना की|
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