महादेवी वर्मा | Mahadevi Varma in Hindi
Category : Biography in Hindi , Essay in Hindi- Nibandh
महादेवी वर्मा हिन्दी भाषा की प्रख्यात कवयित्री हैं और महादेवी वर्मा आधुनिक हिन्दी कविता में एक महत्त्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरीं| वह छायावादी युग के प्रमुख स्तंभों में से एक है|
महादेवी वर्मा का जीवन परिचय-
Mahadevi Varma Biography in Hindi- हिंदी साहित्य में महादेवी वर्मा आधुनिक मीरा के नाम से भी जानी जाती हैं, उनका जन्म 26 मार्च 1907 में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद नामक शहर में हुआ था| उनके पिता का नाम गोविंद सहाय वर्मा था जो कि भागलपुर के लिए कॉलेज में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत थे| उनकी माता का नाम हेमरानी था जोकि एक कवयित्री थी एवं श्री कृष्ण में अटूट श्रद्धा रखती थी| महादेवी वर्मा जी नाना जी को भी ब्रज भाषा में कविता करने की रची थी और नाना एवं माता के इन्हीं गुणों का गहरा प्रभाव महादेवी पर भी पड़ा|
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महादेवी वर्मा की शिक्षा-
उनकी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर में जबकि उच्च शिक्षा प्रयाग इलाहाबाद में हुई थी नववर्ष की छोटी सी अवस्था में ही उनका विवाह स्वरूप नारायण वर्मा से हो गया था किंतु इन ही दिनों में इनकी माता का स्वर्गवास हो गया और इस विकट स्थिति में भी इन्होंने धैर्य नहीं छोड़ा और अपना अध्ययन जारी रखा| और इसी परिश्रम के फलस्वरूप आपने मैट्रिक से लेकर B.A. तक की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की| सन 1935 ईस्वी में इन्होंने प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्रधानाचार्या के पद को सुशोभित किया| आपने बालिकाओं की शिक्षा के लिए भी काफी प्रयास किए और साथ ही साथ नारी की स्वतंत्रता के लिए भी संघर्ष करती रही आपके जीवन पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का एवं कला साहित्य साधना पर रवींद्रनाथ टैगोर का गहरा प्रभाव पड़ा|
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महादेवी वर्मा की जीवनी-
महादेवी वर्मा की मृत्यु-
आपने संपूर्ण जीवन प्रयाग इलाहाबाद में ही रहकर साहित्य की साधना की और आधुनिक काव्य जगत में आपका योगदान अविस्मरणीय रहेगा| आपके कार्य में उपस्थित विरह वेदना अपनी भावनात्मक गहनता के लिए अमूल्य मानी जाती है और इन्हीं कारणों से आपको आधुनिक युग की मेरा भी कहा जाता है| भावुकता एवं करुणा आपके कार्य की पहचान है| 11 सितंबर 1987 को महादेवी वर्मा की मृत्यु हो गई|
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साहित्यिक परिचय-
महादेवी वर्मा संगीत एवं साहित्य में तो रुचि रखती ही थी इसके अलावा उनकी रुचि चित्रकला में भी थी| सर्वप्रथम उनकी रचनाएं चांद नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई, वह चांद पत्रिका की संपादिका भी रही, उन्हें ‘सेकसरिया’ एवं ‘मंगला प्रसाद’ पुरस्कारों से सम्मानित किया गया और आपकी साहित्य साधना के लिए भारत सरकार ने आपको पद्म भूषण की उपाधि से अलंकृत किया| उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा सन 1983 ईस्वी में आपको एक लाख रुपए का भारत-भारती पुरस्कार दिया गया और इसी वर्ष आपके महान काव्य ग्रंथ “यामा” के लिए आप को भारतीय ज्ञानपीठ का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ|
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Anonymous
May 15, 2017 at 4:24 pmVisitor Rating: 5 Stars