दारा शिकोह का इतिहास Dara Shikoh History in Hindi

दारा शिकोह का इतिहास-

Dara Shikoh History in Hindi- शाहजहां के बड़े बेटे का नाम दारा शिकोह था, वह अद्भुत व्यक्तित्व का धनी था| दारा शिकोह शाहजहां के बाद मुगल वंश का अगला बादशाह था, परंतु उसके छोटे भाई औरंगजेब ने सत्ता के लालच में दारा शिकोह को एक युद्ध में पराजित किया, और उसकी हत्या कर दी|

इतिहासकारों के मतानुसार दारा शिकोह एक धर्मनिरपेक्ष एवं पराक्रमी व्यक्ति था, लेकिन औरंगजेब के कारण भारतीय इतिहास ने उसे भुला दिया|

दारा शिकोह का प्रारंभिक जीवन-

Early Life History of Dara Shikoh in Hindi-जब शाहजहां को बेटियां पैदा हो रही थी तब उसने महान चिश्ती संत ख्वाजा मुनुद्दीन चिश्ती की कब्र पर हाथों से घुटने टेककर प्रार्थना की थी और दारा शिकोह मुगल सम्राट शाहजहां की प्रार्थनाओं का फल था|

दारा शिकोह का जन्म 20 मार्च 1615 को अजमेर के पास में हुआ था। दारा शिकोह ने हिंदू और इस्लाम धर्म के बीच पहले विवाद को खत्म करना चाहता था उसके जीवन में सूफी विचारधारा का गहरा प्रभाव था|

मुमताज महल जब अपनी 14 में बच्ची को जन्म दे रही थी तो उस समय उनकी मृत्यु हो गई, और उस समय दारा शिकोह की उम्र मात्र 15 साल थी| मुमताज महल की मृत्यु से शाहजहां को गहरा आघात लगा और वह शासन कार्यों को सही तरह से नहीं चला पा रहे थे|

लगभग एक साल तक शाहजहां अपने शासन कार्य से दूर रहा और इस एक साल में शासन कार्य की सारी जिम्मेदारी दारा शिकोह और उसकी बहन जहांआरा बेग़म के कंधों पर थी| जहांआरा बेगम की उम्र उस समय 17 साल थी|

एक साल के बाद शाहजहां शासन कार्यों की ओर पुनः अग्रसर हुआ परंतु उसने शासन कार्य में इतनी अधिक रुचि नहीं ली और उसने सिर्फ ताजमहल के निर्माण को महत्व दिया| इस स्थिति में दाराशिकोह ने बड़ी ही जिम्मेदारी से शासन कार्य को संभाला|

दारा शिकोह अपने समकालीन बुद्धिजीवियों की नजर में एक महान कवि था, उसके दीवान को इक्सिर-ए-आज़म के नाम से जाना जाता है|

दारा कई अन्य प्रतिभाओं में जैसे ललित कला, संगीत और नृत्य आदि में भी रुचि रखता था इसके अतिरिक्त पेंटिंग में भी उसकी रुचि दिखाई पड़ती है| दारा ने कई चित्रों को चित्रित करके अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है, इन चित्रों की तुलना उसके समय के पेशेवर कलाकारों से की जा सकती है|

उसने एक एल्बम अपनी पत्नी नादिरा बानो को प्रस्तुत किया था जो कि बाद में शाही पुस्तकालय में जमा किया गया था|

Dara Shikoh Biography in Hindi-

नाम दारा शिकोह
वंश मुगल वंश
पिता का नाम शाहजहां
जन्मतिथि 20 मार्च 1615
जन्म स्थान अजमेर
पत्नी का नाम नादिरा बानो बेगम
मृत्यु 30 अगस्त 1659

दारा शिकोह की पत्नी का नाम क्या था?

1 फरवरी 1633 को, दारा शिकोह का विवाह नादिरा बानो बेगम से हुआ था। नादिरा आगरा में पड़ी हुई थी और वह बहुत ही बुद्धिमान और सुंदर थी। दारा और नादिरा दोनों एक दूसरे के प्रति समर्पित थे| दारा शिकोह ने नादिरा से विवाह करने के बाद किसी और से विवाह नहीं किया था|

दारा शिकोह और नादिरा को 8 बच्चे हुए थे जिनमें से दो बेटे और दो बेटियां ही बड़े हो पाए थे| मुमताज महल चाहती थी कि दारा शिकोह और नादिरा की शादी हो जाए और इस शादी के होने से पहले ही मुमताज की मृत्यु हो गई|

उसकी मृत्यु से शाहजहां मानसिक रूप से बीमार हो गया और लगभग 1 साल तक वह राज्य कार्य में रुचि नहीं ले रहा था| इस दुख से शाहजहां को उसकी बड़ी बेटी जहांआरा बेगम ने धीरे-धीरे बाहर निकाला और उस समय उसके जीवन में सबसे बड़ा सुख दारा शिकोह और नायरा की शादी की थी|

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दाराशिकोह और औरंगजेब-

ऐसा माना जाता है कि दाराशिकोह की मृत्यु से कई वर्ष पहले औरंगजेब ने उसके साथ षड्यंत्र किया और उसने दारा शिकोह के भोजन में शेर के बालों और जहर को मिलवाना प्रारंभ कर दिया था|

इस कारणवश दारा शिकोह की तबीयत खराब हो गई और शाहजहां बहुत ही दुखी रहने लगा| उसने देश विदेश के हर जाने-माने हकीम और वैद्य को अपने बेटे को ठीक करने के लिए बुलाया| ऐसा कहा जाता है कि गुरु हर राय जी आर्युवेदिक दवा में अच्छी जानकारी रखते थे और वह जड़ी बूटियों का उपयोग भली-भांति जानते थे| उन्होंने दाराशिकोह को ठीक कर दिया जिसके बदले में उन्हें कई तरह के भेंट और उपहार प्राप्त हुए|

दारा शिकोह की मृत्यु-

जब दो सेनाओं के मध्य युद्ध होता है तो निश्चित रूप से उसमें एक सेना जीतती है और दूसरी हारती है| दिल्ली की सत्ता के लिए दाराशिकोह और उसके भाई औरंगजेब के मध्य युद्ध हुआ, जिसमें अगर औरंगजेब हार जाता तो यकीनन दारा शिकोह उसे मृत्यु देता, परंतु सत्ता के इस युद्ध में औरंगजेब विजयी हुआ था|

भारत के इतिहास में दारा शिकोह की मृत्यु दयनीय थी| इतिहासकारों के मतानुसार मारवाड़ के राजा जसवंत सिंह के साथ दाराशिकोह ने मिलकर औरंगजेब के खिलाफ युद्ध का मोर्चा खोला था, लेकिन देवराज में हुई इस लड़ाई में दाराशिकोह की हार हुई थी|

ऐसा माना जाता है कि इस हार के बाद दारा शिकोह सिंध की तरफ निकला था, और उसने अफगान कबीले के सरदार मलिक जुनैद के यहां शरण ली थी| मलिक जुनेद ने दाराशिकोह के साथ विश्वासघात किया और इस वजह से औरंगजेब ने दाराशिकोह को बंदी बना लिया|

दारा शिकोह को बंदी बनाने के बाद उसे गंदे हाथी पर बिठाकर और चेन से बांधकर पूरे नगर में घुमाया गया था| दारा शिकोह को मृत्यु देने से पूर्व औरंगजेब ने कई तरह की सभाओं का आयोजन किया था, जिसमें इस्लाम के विद्वानों ने बैठकर दाराशिकोह के भाग्य पर विचार विमर्श किया था|

क्योंकि दारा शिकोह हिंदू और मुस्लिम धर्म को एक नजरिए से देखता था, इसलिए बहुत से मुसलमान विद्वान उसके खिलाफ थे| अंततः 30 अगस्त 1659 को औरंगजेब ने दाराशिकोह मृत्युदंड देने का फरमान जारी किया और दारा शिकोह का सर कलम करा दिया गया| औरंगजेब ने अपने भाई के सर को ध्यान से देखा और उसने इस सर को अपने बंदी पिता शाहजहां के पास भिजवाया|

दारा शिकोह की कब्र-

जब दाराशिकोह का सर धड़ से अलग कर दिया गया तो उस सिर को औरंगजेब ने शाहजहां के पास भिजवा दिया था जबकि बचे हुए धड़ को उसने दिल्ली में स्थित हुमायूं के मकबरे में ही कहीं पर दफना दिया था|


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