चीन की सभ्यता Chinese Civilization in Hindi

China ki Sabhyata-

चीन एक विशाल देश है जिसमें बहुत सारे इलाके और कई प्रकार के मौसम हैं| इसके साथ ही साथ इस देश में कई पर्वत श्रेणियां, रेगिस्तान और तटीय क्षेत्र स्थित है| एशिया महाद्वीप में आज से कई हजार साल पहले एक सभ्यता विकसित हुई थी जिसे हम चीन की सभ्यता के नाम से जानते हैं, यह सभ्यता आज भी कायम है|

चीन की सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है, यह उतर में ह्वांगहो नदी की घाटी तक एवं वहाँ से दक्षिण तथा मध्य में यांग्त्सीक्यांग नदी की घाटी तक विकसित थी। 

ह्वांगहो नदी अपना मार्ग बदलने तथा निरंतर बाढ़ आने की प्रवृत्ति के कारण विख्यात है। प्रत्येक वर्ष चाइना की यह नदी अपने मार्ग को बदल देती है और इसी कारण इस नदी घाटी में हर वर्ष में नया जलोढ़ जम जाता है जिससे इसके आसपास के इलाकों में कृषि की उत्पादकता में वृद्धि होती रहती है|

उत्पादकता में वृद्धि के बावजूद भी इस नदी में प्रत्येक वर्ष बाढ़ आने का खतरा रहता है जिससे आसपास के इलाकों में काफी मात्रा में जन एवं धन की हानि होती है, इसी कारण वश इस नदी को चीन का शोक भी कहा जाता है|

Important Point- चीन का शोक किस नदी को कहा जाता है? ह्वांगहो नदी|

चीन में प्राचीन काल में अनेक राजवंशों ने शासन किया जिसमें प्रमुख शांग वंश तथा चाऊ वंश हैं| शांग वंश के शासकों ने 1766 ईसा पूर्व से 1122 ईसा पूर्व तक चीन पर शासन कार्य किया था| इस वंश के शासन काल में चीन के लोगों ने प्रत्येक क्षेत्र में उन्नति की|

चाऊ वंश के शासकों ने 1122 ईसा पूर्व से लेकर 249 ईसा पूर्व तक शासन कार्य किया था| इस काल के शासनकाल में शांग वंश के शासन काल की तुलना में अधिक विकास हुआ इसी कारणवश इतिहासकार इसे चीनी इतिहास का स्वर्ण युग मानते हैं|

चीन की सभ्यता की विशेषताएं

चीन की सभ्यता की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित थी-

राजनीतिक जीवन तथा शासन व्यवस्था-

1- सम्राट- प्राचीन चीन में सम्राट शासन तथा धर्म दोनों का प्रधान होता था, जिसे वांग कहा जाता था। चीन का राजा ही अपने राज्य का प्रधान सेनापति और सर्वोच्च न्यायाधीश होता था| राजा की सहायता के लिए कई प्रकार के मंत्रियों का गठन होता था और राजा अपने शासन के कार्यों में अपने मंत्रियों की सलाह लेता था| शासन के प्रमुख विभागों में सेना के अतिरिक्त, न्याय, धर्म एवं शिक्षा आदि के मंत्री अपने-अपने क्षेत्रों में कार्यरत थे|

2- मंत्रीपरिषद- चीनी साम्राज्य में राजा को परामर्श देने के लिए एक मंत्रिपरिषद भी होती थी| इतिहासकारों के मतानुसार इस मंत्रिपरिषद में 4 सदस्य होते थे।

सामाजिक जीवन-

1- समाज का विभाजन- चीन का समाज कई वर्गों में विभाजित था- शासक वर्ग, बुद्धिजीवी तथा साहित्यकार, व्यापारी, कारीगर, किसान एवं दास। सैनिकों को चीन के समाज में निम्न स्थान प्राप्त था। इन चारों वर्गों में छोटे कृषकों एवं मजदूरों को छोड़कर शेष सभी की आर्थिक स्थिति अच्छी थी|

समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार थी। संयुक्त परिवार प्रथा भी प्रचलित थी। तत्कालीन चीनी समाज में पिता को अपने पुत्रों को पत्नियों को बेंचने का भी अधिकार प्राप्त था| परिवार का मुखिया पिता होता था। परिवार के लोग आपस में विवाह नहीं करते थे|

पिता की मृत्यु के बाद जेष्ठ पुत्र ही उत्तराधिकारी होता था। चीनी समाज में प्रारंभ में स्त्रियों की स्थिति ठीक थी परंतु धीरे-धीरे स्त्रियों की स्थिति कमजोर होती गई|

2- शिक्षा- चीन की सभ्यता में शिक्षा का बहुत ज्यादा महत्व था और शिक्षा ग्रहण करके तत्कालीन समाज में कोई भी व्यक्ति उच्च स्थिति को प्राप्त कर सकता था, परंतु ऐसा प्रतीत होता है कि उस समय शिक्षा बहुत महंगी थी जिस कारण वश केवल धनी वर्ग के व्यक्ति ही शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम थे|

3- चीन की सभ्यता में रीति रिवाज एवं परंपराएं- इस सभ्यता में कई प्रकार के रीति रिवाजों एवं परंपराओं का महत्व था| चीन में पर्दा प्रथा एवं दास प्रथा प्रचलित थी|

4- भोजन- तत्कालीन चीन के समाज में गरीब वर्ग एवं अमीर वर्ग में बहुत अंतर था| अमीर वर्ग कुछ प्रकार के भोजन को ग्रहण करता था और वे लोग अपने भोजन में मांस मछली तथा अन्य पदार्थों का उपयोग करते थे। अमीर वर्ग काँसों की बनी तश्तरियों में भोजन ग्रहण करते थे।

जहां एक तरफ अमीर वर्ग उच्च प्रकार के व्यंजन ग्रहण करते थे वहीं दूसरी तरफ गरीब वर्ग के लोग साधारण भोजन के साथ साथ मोटे अनाज जैसे -ज्वार, बाजरा आदि से बना हुआ भोजन ग्रहण करते थे।

5- वेशभूषा एवं आभूषण- चीन के लोगों में वेशभूषा एवं आभूषण के प्रति आकर्षण था| प्रारंभ में यह लोग जूट से बने हुए परिधानों को पहनते थे और बाद में इन्होंने सूती वस्त्र भी पहनना प्रारंभ कर दिया था| स्त्रिया परिधानों के अतिरिक्त फूलों का प्रयोग अपने शरीर को सुंदर बनाने के लिए करती थी|

चीन की सभ्यता का आर्थिक जीवन-

1- कृषि- चीन वासियों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। चीन में चावल, गेहूं, बाजरा, सोयाबीन तथा चाय की खेती की जाती थी| कृषि कार्य के साथ साथ चीन के निवासी पशुपालन का भी कार्य करते थे| पशुओं में भेड़ व सूअर को विशेष रूप से पाला जाता था|

2- व्यापार एवं उद्योग- चीन के लोग व्यापार एवं उद्योग धंधों में काफी विकसित थे| चीन में रेशम उद्योग काफी महत्वपूर्ण और विशेष रूप से प्रसिद्ध था| व्यापार जल एवं थल दोनों ही मार्गो से किया जाता था| चीन का व्यापार विशेष रूप से मिस्र, मेसोपोटामिया ,ईरान ,भारत ,और रोमन साम्राज्य के साथ होता था।

चीन से सबसे ज्यादा रेशम निर्यात किया जाता था इसके अतिरिक्त चीनी मिट्टी के बर्तन, कागज तथा लकड़ी, सोने -चांदी की हाथ से बनी वस्तुओं आदि का निर्यात किया जाता था| ऐसा माना जाता है कि चीन स्वर्ण व चांदी का आयात करता था। चीन के लोग कागज का निर्माण भी करते थे|

3- मुद्रा व सिक्के- ऐसा माना जाता है कि पांचवी शताब्दी में चीन में सोने- चांदी आदि के सिक्के प्रचलित थे। परंतु कागज का आविष्कार हो जाने से कागजी मुद्रा भी प्रचलन में आ गई थी। बैंकिंग प्रणाली का प्रचलन भी चीन के निवासियों द्वारा किया जाने लगा था|

चीन की सभ्यता का धार्मिक जीवन-

प्रारंभ में चीन वासी विभिन्न प्रकार के अंधविश्वास और जादू टोने से ग्रसित थे। प्रारंभ में चीन की सभ्यता के निवासियों में धर्म का विशेष महत्व नहीं था और उस समय पुरोहित भी नहीं होते थे परंतु उस समय के लोग जिस शक्ति की पूजा करते थे उसे वे लोग शंगति के नाम से पुकारते थे|

शंगति का अर्थ होता है स्वर्ग का देवता| शंगति को स्वर्ग का पिता भी कहते थे। राजा को शंगति का पुत्र माना जाता था| छठी शताब्दी ई .पू. में लाओत्से एवं कनफ्यूसियस के दार्शनिक व धार्मिक विचारों ने चीनी धर्म को नया रूप प्रदान किया|

कला का विकास-

1- भवन निर्माण कला- चीन की भवन निर्माण कला उच्च कोटि की थी। चीन की सभ्यता के लोग अपने मकान को बनाने में लकड़ी, चूना एवं पत्थर का प्रयोग करते थे| चीन के इतिहास में सर्वप्रथम जिस स्मारक का नाम आता है वह है- चीन की दीवार|

चीन की दीवार विश्व के सात आश्चर्यों में एक है| इस दीवार का निर्माण हूणों के आक्रमण से बचने के लिए किया गया था, यह दीवार वस्तुकला का अद्भुत नमूना है। चीन की दीवार का निर्माण चीन के सम्राट शी ह्वांग टी ने करवाया था| इस दीवार की कुल लंबाई लगभग 6400 किलोमीटर है|

चीन की सभ्यता में के लोगों ने इस दीवार के अतिरिक्त कई भव्य राजमहलों, बौद्ध धर्म के मंदिरों तथा विहारों का निर्माण भी करवाया था, उस समय के निर्माण में पैगोडा मंदिर भी विश्व प्रसिद्ध है|

2- चित्रकला- चीन की चित्रकला भी काफी उन्नति एवं अद्वितीय थी। खुदाई में प्राप्त हुए बर्तनों तथा मंदिरों की दीवारों पर चित्रकारी के सुंदर नमूने प्राप्त हुए हैं। के निवासी प्राकृतिक दृश्य तथा ऐतिहासिक घटनाओं के सजीव चित्रण में दक्ष थे, उन्होंने कई जगह पर ऐसी घटनाओं को अंकित किया हुआ है|

3- मूर्ति कला- चित्रकला के साथ साथ चीन के निवासी मूर्तिकला के क्षेत्र में भी अग्रणी थे। चीन में मूर्तिकला का समुचित विकास हुआ था| मूर्तियां मिट्टी ,पत्थर तथा हाथी दांत की बनाई जाती थी| मूर्तियां पशुओं, शिकार ,रथ सवार इत्यादि विषयों से संबंधित होती थी।

भाषा लिपि एवं साहित्य का विकास-

1- भाषा एवं लिपि- चीन की लिपि बहुत प्राचीन मानी जाती है। चीन सभ्यता में सांस्कृतिक उन्नति भी देखने को मिलती है| इसी काल में चीनी भाषा का जन्म हुआ था| चीनी भाषा चित्र -लिपि का ही रूपांतरण है। इस लिपि में लगभग 4 हजार संकेत अथवा चिन्ह है।

यह लिपि ऊपर से नीचे की ओर लिखी जाती है। चीन की सभ्यता की लिपि चित्रात्मक थी जिसमें बहुत सारे चिन्ह विद्यमान थे और इसी कारणवश इस भाषा को सीखना अत्यंत कठिन था|

2- साहित्य– भाषा के विकास के साथ-साथ चीन में साहित्य का भी विकास अग्रणी था| चीन का साहित्य गद्य व पद्य दोनों रूपों में लिखा गया। इस काल में इतिहास लेखन भी शुरू हो चुका था। सुमाचीन चीन का प्रथम इतिहासकार था। उस समय के चीन के 26 राजवंशों का इतिहास उपलब्ध है,जिन में चीन के वर्ष 1912 तक के इतिहास का समावेश है।

गणित व विज्ञान का विकास-

वैज्ञानिक दृष्टि से चीन में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कर ली थी| चीनी लोग शून्य के बारे में जानकारी नहीं रखते थे ,परंतु वह दशमलव प्रणाली के प्रयोग से परिचित थे। उनके अंकों की पद्धति गुणों पर आधारित थी। एबेकस का आविष्कार चीनियों ने गणना करने के लिए किया था।

चीन की सभ्यता के लोगों ने यूरोपवासियों से काफी समय पहले पाई का मान निकाल लिया था। चीन के निवासियों को ज्योतिष के बारे में भी काफ़ी जानकारियां थी और उन्होंने ज्योतिष विज्ञान द्वारा चंद्र ग्रहण व सूर्य ग्रहण के कारणों का भी पता लगा लिया था, इसके अतिरिक्त उन्होंने ‘सौर पंचांग’ का भी निर्माण किया।

चीन की सभ्यता के अविष्कार तथा खोजें-

चीन के लोगों ने विज्ञान के क्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त कर ली थी और इसी कारणवश इस सभ्यता के लोगों ने कई प्रकार के अविष्कार तथा खोज किए, चीन की सभ्यता के अविष्कार तथा खोज निम्नलिखित थी-

  • छापेखाने का प्रयोग सर्वप्रथम चीन में हुआ था।
  • चीनी मिट्टी के बर्तनों का आविष्कार सर्वप्रथम चीन  के निवासियों ने किया था|
  • चीन के निवासियों का रेशम का कपड़ा तैयार करने में भी सर्वप्रथम स्थान  था।
  • कागज बनाने की कला की उत्पत्ति चीन में हुई, इसके अतिरिक्त ताश के पत्ते भी चीन की सभ्यता की ही देन है।
  • कुतुबनुमा एक विशेष प्रकार का यंत्र है जिसका प्रयोग प्रमुख रुप से समुद्री यात्रा  के दौरान दिशा ज्ञात करने में किया जाता है| कुतुबनुमा का आविष्कार भी चीन में हुआ।
  • कागजी मुद्रा कागजी मुद्रा का आविष्कार तथा बैंकिंग प्रणाली का आरंभ चीन में हुआ।
  • प्रतियोगी परीक्षाओं की शुरुआत सबसे पहले चीन में ही हुई थी|
  • बारूद का आविष्कार भी चीन में हुआ था|
  • इसके अतिरिक्त भूकंपमापी यंत्र, दशमलव पद्धति तथा पाई का मान निकालने की पद्धति में चीन का  बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है।

यह भी जाने —
सिंधु घाटी की सभ्यता
मेसोपोटामिया की सभ्यता
सुमेरिया की सभ्यता
बेबीलोनिया की सभ्यता

असीरिया की सभ्यता


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