भक्ति काल एवं उसके कवि
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भक्ति काल (Bhakti Kaal in Hindi)-
हिंदी पद्य साहित्य के इतिहास में आदिकाल के समापन के पश्चात देश की राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों में कई तरह के परिवर्तन हुए| इस समय देश में मुग़लों का साम्राज्य प्रतिष्ठित हो चुका था| मुगलों का साम्राज्य प्रतिष्ठित होने के कारण देश की राजनीतिक एवं सामाजिक परिस्थितियों के अतिरिक्त देश की वैचारिक स्थिति में भी परिवर्तन हुए|
भक्ति काल का समय सन 1343 से लेकर 1643 तक माना जाता है|
आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने लिखा है कि- देश में मुसलमानों का राज्य प्रतिष्ठित हो जाने पर हिंदू जनता के हृदय में गौरव, का एवं उत्साह के लिए वह अवकाश ना रह गया| अपने पौरुष से हताश जाति के लिए भगवान की शक्ति एवं करुणा की ओर ध्यान ले जाने के अतिरिक्त दूसरा मार्ग यही क्या था|
भक्ति काल की धाराएं-
उपासना के आधार पर भक्तिकाल को हम दो धाराओं मे विभाजित कर सकते हैं-
☑ निर्गुण धारा
☑ सगुण धारा
निर्गुण भक्ति धारा को हम पुनः दो भागों में विभाजित कर सकते हैं- ज्ञानाश्रयी एवं प्रेमाश्रयी|
सगुण भक्तिधारा को हम पुणे दो भागों में विभाजित कर सकते हैं- रामाश्रयी एवं कृष्णाश्रयी|
निर्गुण धारा –
Bhakti Kaal ke Kavi in Hindi