बाबरनामा – बाबर की आत्मकथा

बाबर की आत्मकथा (Babar ki Aatmakatha) को बाबरनामा या तुजुक-ए-बाबरी कहते हैं. इसको बाबर ने तुर्की भाषा में लिखा था और यह बड़ी ही महत्वपूर्ण पुस्तक है. इस पुस्तक में जिन व्यक्तियों के संसर्ग में बाबर आया, उनके तथा उनके व्यक्तित्व का सच्चा चित्रण मिलता है|

बाबरनामा में बाबर के युद्ध-प्रबंधन, सैन्य संचालन की कुशलता, प्रभावशाली व्यक्तित्व, उसके अपूर्व साहस और उदारता का परिचय मिलता है. एशिया के किसी दूसरे शाशक ने अपने जीवन का ऐसा सजीव सत्यतापूर्ण और मनोरंजक विवरण नही लिखा है. बाबरनामा (Baburnama) की शैली सरल और प्रभावशाली है और भाषा सशक्त, स्वाभाविक और ओजसविनी है|

बाबर सच्चाई का बहुत ध्यान रखता था, उसने लिखा है की – मैने यह बातें अपना गुणगान करने के लिए नही लिखी हैं, मैने ठीक वही लिखा है जैसा हुआ है| मैने इस इतिहास मे इस सिद्धांत का पालन किया है की प्रत्येक विषय में सत्य प्रकाशित होना चाहिए और प्रत्येक घटना का मैने ठीक वैसे ही वर्णन किया है जैसे वे घटित हुई हैं|

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इसी विशेषता के कारण यह पुस्तक बहुत ही मूल्यवान हो गयी है. इस पुस्तक की बाबर की लिखी प्रति से हुमायूँ ने 1553 ईस्वी में नकल की और फिर अब्दुर्रहीम ख़ानखाना ने 1590 ईस्वी में इसका फ़ारसी में अनुवाद किया.अब बाबरनामा के कई यूरोपीय भाषाओं में अनुवाद हो चुके हैं|


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