अहमदशाह अब्दाली Ahmad Shah Abdali History in Hindi
History of Ahmad Shah Abdali in Hindi
अहमदशाह अब्दाली को अहमदशाह दुर्रानी भी कहते हैं। अब्दाली का जन्म 1722 में हुआ था| अहमद शाह अब्दाली के पिता का नाम जमान अब्दाली था,उसकी माता का नाम जरगुना बेगम था| दुर्रानी के पिता हेरात, (अफगानिस्तान का एक शहर) के गवर्नर थे, और ऐसा माना जाता है कि अब्दाली का जन्म भी यही हुआ था|
Ahmad Shah Abdali ka Itihas
राजा चुने जाने से पहले, अब्दाली फारसी सम्राट नादिर शाह के नेतृत्व में एक घुड़सवार सेना के जनरल थे। नादिरशाह की मौत के बाद अहमदशाह अब्दाली अफगानिस्तान का शासक और दुर्रानी साम्राज्य का संस्थापक बना।
अब्दाली ने 10 साल में कई बार भारत पर चढ़ाई की और 1757 में ठिठुरती ठंड के बीच दिल्ली पर हमला किया। कहा जाता है कि पानीपत की तीसरी लड़ाई में ठंड भी मराठों के हारने में अहम थी। उसने उस वक्त सिर्फ दिल्ली में लूटमार नहीं की, बल्कि दिल्ली के आस-पास के क्षेत्रों में भी अपने पांव पसार लिए थे और लगातार आगे बढ़ रहा था।
दिल्ली लूटने के बाद अब्दाली का लालच बढ़ गया। वहां से उसने आगरा, बल्लभगढ़, मथुरा आदि स्थानों पर आक्रमण किया। उसने अपने सिपाहियों से कहा प्रत्येक हिन्दू के एक कटे सिर के बदले इनाम दिया जाएगा। अब्दाली द्वारा मथुरा और ब्रज की भीषण लूट बहुत ही क्रूर और बर्बर थी।
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अब्दाली की सेना की पहली मुठभेड़ जाटों के साथ बल्लभगढ़ में हुई। वहां जाट सरदार बालूसिंह और सूरजमल के ज्येष्ठ पुत्र जवाहर सिंह ने सेना की एक छोटी टुकड़ी लेकर अब्दाली की विशाल सेना को रोकने की कोशिश की। उन्होंने बड़ी वीरता से युद्ध किया पर उन्हें शत्रु सेना से पराजित होना पड़ा।
अहमदशाह ने अपने दो सरदारों के नेतृत्व में 20 हजार पठान सैनिकों को मथुरा लूटने के लिए भेज दिया। कहा जाता है कि उस दौरान उसने कह दिया था कि जो सैनिक जितना लूटेगा, वो उसी का होगा। इसके बाद सैनिकों ने क्रूरता से लोगों पर हमला किया और कई किलोमीटर तक कोई भी इंसान जिंदा नहीं बचा था।
Ahmad Shah Durrani Story in Hindi
मथुरा−वृन्दावन की लूट में अब्दाली को लगभग 12 करोड़ रुपये की धनराशि प्राप्त हुई, जिसे वह तीस हजार घोड़ो, खच्चरों और ऊटों पर लाद कर ले गया। ब्रज में तोड़-फोड़, लूट-पाट और मार-काट करती अब्दाली की सेना आगरा पहुंची।
उसके सैनिकों ने आगरा में जबर्दस्त लूट-पाट और मार−काट की। यहां उसकी सेना में दोबारा हैजा फैल गया और वह जल्दी ही लौटने की तैयारी करने लग गया और लूट की धन−दौलत अपने देश अफगानिस्तान ले गया।
कई मुसलमान लेखकों ने लिखा है− अब्दाली द्वारा दिल्ली और और मथुरा के बीच ऐसा भारी विध्वंस किया गया था कि आगरा−दिल्ली सड़क पर झोपड़ी भी ऐसी नहीं बची थी, जिसमें एक आदमी भी जीवित रहा हो। अब्दाली की सेना के आवागमन के मार्ग में सभी स्थान ऐसे बर्बाद हुए कि वहां दो सेर अन्न तक मिलना कठिन हो गया था।
Ahmad Shah Abdali aur Panipat ka Yudh
पानीपत की तीसरी लड़ाई मराठा साम्राज्य (सदाशिवा राव भाउ) और अफगानिस्तान के अहमद शाह अब्दाली के बीच 14 जनवरी 1761 को वर्तमान हरियाणा मे स्थित पानीपत के मैदान मे हुआ। इस युद्ध मे दोआब के अफगान रोहिला और अवध के नवाब शुजाउद्दौला ने अहमद शाह अब्दाली का साथ दिया।
इस लड़ाई में मराठों को हार का सामना करना पड़ा था| इतिहासकारों के मुताबिक हजारों की संख्या में मराठे मारे गए. कहा जाता है कि महाराष्ट्र में शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा जिसने अपना कोई सगा-संबंधी इस युद्ध में न खोया हो. वहीं, कुछ परिवार तो पूरी तरह खत्म हो गए|
1772 को कंधार प्रांत में दुर्रानी की मृत्यु हो गई। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि उसकी मृत्यु 1773 ईस्वी में हुई थी| उसे कंधार शहर में दफनाया गया था, जहाँ एक मकबरा भी बनाया गया था।
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