Acharya Mahavir Prasad Dwivedi Biography in Hindi
Category : Biography in Hindi , Essay in Hindi- Nibandh
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी हिंदी भाषा के एक प्रसिद्ध लेखक थे। उनका नाम मुंशी प्रेमचंद के साथ लिया जाता है, जिन्होंने 20वीं सदी में हिंदी भाषा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हिंदी साहित्य को चार चरणों में विभाजित किया गया है और वह द्विवेदी युग से संबंधित है। वह 20वीं शताब्दी के दौरान आधुनिक हिंदी साहित्य के महानतम हिंदी लेखकों में से एक मैथिलीशरण गुप्त के गुरु थे। वह महान राष्ट्रवादी, गणेश शंकर विद्यार्थी के गुरु भी थे।
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महावीर प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की रचनाएं
महावीर प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी का जन्म सन 1864 ईसवी में रायबरेली जिले के दौलतपुर ग्राम में हुआ था| रायबरेली जिला उत्तर प्रदेश में स्थित है| आपके पिता का नाम राम सहाय द्विवेदी था, जोकि ब्रिटिश भारतीय सेना में कार्यरत थे। आपके बाल्यकाल में आपके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नही थी अतः आपकी प्रारंभिक शिक्षा सुचारू रूप से नही हो सकी, इस कठिनाई को आपने पीछे छोड़ा और स्वाध्याय से ही आपने संस्कृत, मराठी, बांग्ला, फारसी, अंग्रेजी, गुजराती आदि भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया| इसके उपरान्त द्विवेदी जी ने अपनी रचनाओं को तत्कालीन पत्र पत्रिकाओं में भेजना प्रारम्भ कर दिया| प्रारंभ में इन्होंने ब्रिटिश शासन के अंतर्गत झाँसी में रेलवे के तार विभाग में नौकरी की, परंतु सन 1983 में नौकरी छोड़कर पूरी तरह साहित्य सेवा में जुट गए| कुछ दिनों तक आपने नागपुर और अजमेर में भी कार्य किया और उसके बाद पुन: बम्बई लौट आए। सरस्वती पत्रिका के संपादक का पदभार संभालने के बाद आपने अपनी अद्वितीय प्रतिभा से हिंदी साहित्य को आलोकित किया, उसे निखारा और उस की अभूतपूर्व श्रीवृद्धि की|
Acharya Mahavir Prasad Dwivedi Biography in Hindi
नाम | महावीर प्रसाद द्विवेदी |
जन्मतिथि | 15 मई 1864 |
जन्म स्थान | दौलतपुर गाँव, रायबरेली, उत्तर प्रदेश |
पिता का नाम | राम सहाय द्विवेदी |
मृत्यु | 21 दिसम्बर सन् 1938 |
मृत्यु स्थान | रायबरेली |
महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रमुख रचनाएं | काव्य मंजूषा, सुमन, पद्य- देवी स्तुति-शतक, सम्पत्तिशास्त्र, कान्यकुब्जावलीव्रतम, साहित्यालाप, आदि। |
द्विवेदी जी का सबसे महत्वपूर्ण कार्य था- हिंदी भाषा का संस्कार और परिष्कार| आपने भारतेंदु युग की स्वछंदता को नियंत्रित किया| द्विवेदी जी ने हिंदी भाषा को व्याकरण सम्मत बनाने, उसके रूप को निखारने एवं सामान्य, उसके शब्द भंडार को बढ़ाने और उस को सशक्त करने, समर्थ एवं परिमार्जित करने का कार्य किया|
सन 1931 ईस्वी में काशी नागरी प्रचारिणी सभा ने उन्हें ‘आचार्य’ की उपाधि प्रदान की, इसके अतिरिक्त हिंदी साहित्य सम्मेलन में आपको ‘वाचस्पति’ की उपाधि से विभूषित किया था| 21 दिसम्बर सन् 1938 ई. को रायबरेली में हिंदी के यशस्वी साहित्यकार आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी परलोकवासी हो गए|
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का साहित्यिक योगदान-
महावीर प्रसाद द्विवेदी जी का हिन्दी साहित्य में मूल्यांकन तत्कालीन परिस्थितियों के सन्दर्भ में ही किया जा सकता है। वह समय हिंदी के कलात्मक विकास का नहीं हिंदी के अभाव की पूर्ति का था| आपने हिन्दी गद्य की अनेक विधाओं को बहुत उन्नति प्रदान की| द्विवेदी जी ने विज्ञान के विविध क्षेत्रों, अर्थशास्त्र, इतिहास, पुरातत्व, विज्ञान, चिकित्सा, राजनीति, जीवनी आदि सामग्री से हिंदी के अभावों की पूर्ति की| हिंदी गद्य को संवारने और परिष्कृत करने में आजीवन संलग्न रहे| उस समय टीका टिप्पणी करके सही मार्ग का निर्देशन देने वाला कोई नहीं था आपने इस अभाव को दूर किया तथा भाषा के स्वरूप, संगठन, वाक्य विन्यास, विराम चिन्हों के प्रयोग तथा व्याकरण की शुद्धता पर विशेष बल दिया| स्वयं लिखकर तथा दूसरों से लिखवाकर हिंदी गद्य को पुष्ट और परिमार्जित किया, हिंदी गद्य के विकास में आप का ऐतिहासिक महत्व है|
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की रचनाएं
निबंध- द्विवेदी जी के सर्वाधिक निबंध ‘सरस्वती’ में तथा अन्य पत्र-पत्रिकाओं में निबंध संग्रह के रूप में प्रकाशित हुए|
काव्य संग्रह- द्विवेदी जी के काव्य संग्रह को काव्य मंजूषा के नाम से जाना जाता है|
अनूदित- मेघदूत, शिक्षा, स्वाधीनता, बेकन विचार माला, विचार रत्नावली, विनय विनोद, कुमारसंभव, गंगा लहरी, रघुवंश, हिंदी महाभारत आदि|
आलोचना- द्विवेदी जी ने कई आलोचनाओं को रचित किया, आप की प्रमुख आलोचनाओं में नाट्यशास्त्र, रसज्ञ रंजन, हिंदी नवरत्न, साहित्य सीकर, वाग वलास, साहित्य संदर्भ, कालिदास और उनकी कविता, कालिदास की निरंकुशता आदि है|
विविध- जल चिकित्सा, वक्तृत्व कला, संपत्ति शास्त्र शादी
संपादन- द्विवेदी जी ने सरस्वती नामक मासिक पत्रिका का संपादन किया था|
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी का हिंदी साहित्य में स्थान-
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी हिंदी साहित्य के युग प्रवर्तक साहित्यकारों में से एक हैं| आप समाज और संस्कृति के क्षेत्र में अपने वैचारिक योगदान की दृष्टि से “नव चेतना के संवाहक” के रूप में अवतरित हुए| आपने शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली का प्रयोग किया और आपको शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली का वास्तविक प्रणेता माना जाता है| आप की विलक्षण प्रतिभा ने सन 1900 से सनI 1922 ईस्वी तक हिंदी साहित्य के व्योम को प्रकाशित रखा, जिसकी जरूरत आज भी हिंदी साहित्य का मार्गदर्शन कर रही है| इसी कारण सन 1900 से सन 1922 तक के समय को हिंदी साहित्य के इतिहास में द्विवेदी युग के नाम से जाना जाता है|
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