थियोसोफिकल सोसायटी Theosophical Society in Hindi
Theosophical Society in Hindi
‘थियोसोफी’ ग्रीक भाषा (Greek Language) के दो शब्दों “थियोस” और “सोफिया” से मिलकर बना है, थियोसॉफी को ‘ब्रह्म विद्या’ कहा जाता है| थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना एक रूसी महिला मैडम ब्लावत्सकी और एक अमेरिकी नागरिक कर्नल आल्काट द्वारा 1875 में अमेरिका के न्यूयार्क नगर में की गई थी|
इस संस्था का उद्देश्य सभी धर्मों को अध्ययन और सत्य की खोज करना था| सन् 1879 में थियोसोफिकल सोसाइटी का प्रमुख कार्यालय न्यूयार्क से भारत के सबसे बड़े शहर मुम्बई में लाया गया था इसके उपरांत सन 1882 में सोसाइटी का कार्यालय मुंबई से चेन्नई के के अड्यार नामक स्थान पर स्थानांतरित किया गया था|
18 दिसम्बर 1890 को भारत की राष्ट्रीय शाखा अड्यार में स्थापित हुई थी। इसके बाद आयरलैंड निवासी श्रीमती एनी बेसेंट ने 1893 में भारत आकर हिंदू धर्म अपना लिया था और इस संस्था में जुड़ गई| उन्होंने इस संस्था के प्रमुख की स्थिति भी प्राप्त कर ली| श्रीमती एनी बेसेंट के प्रयासों से इस संस्था ने पर्याप्त प्रगति की|
एनी बेसेंट का वेदों और उपनिषद की शिक्षाओं में बहुत गहरा विश्वास था| उन्होंने तत्कालीन भारतीय समाज में फैली कुप्रथाओं जैसे बाल विवाह, दहेज प्रथा आदि का विरोध किया था| राष्ट्रीय शाखा का प्रधान कार्यालय 1895 में उत्तर प्रदेश के वाराणसी में लाया गया था।
Facts about Theosophical Society in Hindi-
प्रश्न- थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना कब हुई थी?
उत्तर- थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना 1875 में हुई थी|
प्रश्न- थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना किसने की थी?
उत्तर- थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना मैडम ब्लावत्सकी और कर्नल आल्काट ने की थी|
प्रश्न- थियोसोफिकल सोसायटी का मुख्यालय कहां स्थित है?
उत्तर- थियोसोफिकल सोसायटी का मुख्यालय चेन्नई के अड्यार में स्थित है|
थियोसोफिकल सोसायटी ने हिंदू धार्मिक विचारों पर शोध किए और उन्होंने हिंदू शास्त्रों का अनुवाद करके उन्हें प्रकाशित किया| इस कारणवश भारत में बौद्धिक जागरूकता की प्रक्रिया में गतिशीलता उत्पन्न हुई| थियोसोफिकल सोसायटी ने हिंदू आध्यात्मिक सिद्धांतों की महानता की स्थापना की और शिक्षित भारतीय युवाओं के दिमाग में राष्ट्रीय गौरव के प्रति आकर्षण उत्पन्न किया, जिसने राष्ट्रवाद की आधुनिक अवधारणा को जन्म दिया।
थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना के उद्देश्य-
- कर्मकांडों में अविश्वास
- सत्कर्मों को महत्व
- जाति प्रथा का विरोध
- ईश्वर भक्ति को महत्व
- आदर्श समाज की स्थापना पर बल
- निम्न जाति तथा कमजोर वर्ग के लोगों के प्रति सहानुभूति
- वेद तथा शास्त्रों में विश्वास और
- हिंदू तथा बौद्ध धर्म की श्रेष्ठता की पुनः स्थापना
करना थियोसोफिकल सोसायटी के प्रमुख उद्देश्य थे|
थियोसोफिकल सोसायटी के प्रमुख सिद्धांत-
- थियोसोफिकल सोसायटी के प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित है|
- ईश्वर एक है| वह अनंत असीम और सर्वव्यापी है| अनंत सत्ता अज्ञेय है और वह पूजा का विषय नहीं है|
- ईश्वर ही हमारा उद्गम और अंत है|
- आत्मा परमात्मा का अंश है और समस्त आत्माएं एक समान है|
- इस लोक के अतिरिक्त एक और लोक है जहां आत्माएं निवास करती हैं|
- सभी धर्मों के सारभूत सिद्धांतों में सत्य है, वर्तमान काल में हिंदू और बौद्ध धर्म ही पुरातन ज्ञान के भंडार हैं|
- प्रत्येक मनुष्य को स्वविवेक के आधार पर अपने चरित्र निर्माण को प्रमुखता देनी चाहिए|
- सभी मनुष्य समान है और जातिगत भेदभाव निरर्थक है अतः सभी को समानता भ्रातृत्व और प्रेम की भावना के आधार पर एक दूसरे से व्यवहार करना चाहिए|
- बाल विवाह जैसी रूढ़िवादी परंपराओं का परित्याग कर दिया जाना चाहिए|
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