सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर Subrahmanyan Chandrasekhar in Hindi
सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर का जीवन परिचय
Subrahmanyan Chandrasekhar Biography in Hindi
सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर एक खगोल वैज्ञानिक थे। उन्होंने अपने प्रयोगों से यह पता लगाया कि विशाल तारे अपने गुरुत्वाकर्षण के तहत अनंत घनत्व तक पहुँच सकते हैं। आज हम इन तारों को न्यूट्रॉन स्टार और ब्लैक होल के नाम से जानते हैं|
सुब्रह्मण्यन् चन्द्रशेखर जीवनी-
सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर का जन्म 19 अक्टूबर, 1910 को ब्रिटिश भारत के लाहौर में हुआ था। वर्तमान समय में लाहौर पाकिस्तान में स्थित है|
उनके पिता का नाम चंद्रशेखर सुब्रह्मण्य अय्यर था| उनके पिता नॉर्थवेस्टर्न रेलवे के डिप्टी ऑडिटर जनरल थे। उनकी माता का नाम सीता था| उनकी मां एक अनुवादक थीं, जिन्होंने अपने बच्चों को पढ़ना लिखना सिखाया था|
वह अपनी माता-पिता की 10 संतानों में से तीसरे थे| नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी सी वी रमन उनके पिता के भाई थे।
Subrahmanyan Chandrasekhar Education-
बचपन में सुब्रमण्यन को उनके माता पिता अपने घर पर शिक्षा दी और कुछ अध्यापकों ने भी उनको घर पर ही शिक्षा दी थी| 1922 में, सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर हिंदू हाई स्कूल, मद्रास में शिक्षा ग्रहण करने के लिए गए और वहां उन्होंने 1925 तक शिक्षा प्राप्त की|
इसके बाद मात्र 14 वर्ष की आयु में उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज मद्रास में भौतिकी की डिग्री के लिए अध्ययन करना प्रारंभ किया| 1929 में, 18 वर्ष की आयु में, उन्होंने अपना पहला शैक्षणिक पत्र लिखा जिसका नाम था- द कॉम्पटन स्कैटरिंग एंड द न्यू स्टैटिस्टिक्स। अगले वर्ष, उन्होंने बी.एससी भौतिकी में ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की।
चंद्रशेखर को धीरे-धीरे भौतिकी के क्षेत्र में पहचान मिलने लगी और इसके परिणामस्वरूप उन्हें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पीएचडी डिग्री के लिए अध्ययन करने के लिए छात्रवृत्ति से सम्मानित किया गया। कैम्ब्रिज में उनके पर्यवेक्षक भौतिक विज्ञानी और खगोल विज्ञानी राल्फ फाउलर थे। उन्होंने भौतिकी में कई सारे प्रयोग किए जिन्होंने भौतिकी की दशा और दिशा को परिवर्तित कर दिया|
More Information of Subrahmanyan Chandrasekhar in Hindi-
1931 में, चंद्रशेखर ने जर्मनी का दौरा किया, जहां उन्हें भविष्य के नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी मैक्स बॉर्न के साथ काम करने के लिए आमंत्रित किया गया था।
1932 में, चंद्रशेखर कोपेनहेगन, डेनमार्क चले गए, यहां उन्होंने एक भौतिकी संस्थान में काम किया जो कि नोबेल पुरस्कार विजेता नील्स बोर द्वारा स्थापित किया गया था|
1933 में, वह कैम्ब्रिज लौट आए, जहाँ 22 वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी पीएच.डी. डिग्री प्राप्त की। कैम्ब्रिज में चार और वर्षों तक शोध जारी रखने के लिए उन्हें फेलोशिप से भी सम्मानित किया गया।
1983 में, चंद्रशेखर को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर की मृत्यु
उनकी पत्नी ललिता और उन्होंने अमेरिका की नागरिकता ग्रहण कर ली थी| सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर का दिल का दौरा पड़ने से 21 अगस्त, 1995 को 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
वह 1980 तक शिकागो विश्वविद्यालय में एक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत थे। सेवानिवृत्त होने के पश्चात भी उन्होंने शिकागो में रहना जारी रखा और उनकी वैज्ञानिक पुस्तकों का संपादन जारी रहा।
उनकी अंतिम पुस्तक उनकी मृत्यु से कुछ समय पहले प्रकाशित हुई थी। उनके सम्मान में नासा ने एक वेधशाला बना रखी है|
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