रूस की क्रांति Russian Revolution History in Hindi

Russian Revolution History in Hindi–

विश्व के इतिहास में रूस की क्रांति का विशेष महत्व है, इसका प्रमुख कारण यह है कि इस क्रांति ने रूस के राजनीतिक क्षेत्र में ही नहीं बल्कि आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में भी कई तरह के परिवर्तन किए|

रूस की क्रांति के विपरीत इंग्लैंड, अमेरिका तथा फ्रांस की क्रांतियों ने केवल राजनीतिक क्षेत्र में ही परिवर्तन किए थे| रूस में हुई क्रांति ने बर्जुआजी और पूंजीपतियों का पूरी तरह से सफाया कर दिया, रूस में पूंजीपतियों के एक वर्ग को बर्जुआजी कहा जाता था|

1917 की रूसी क्रांति बीसवीं शताब्दी की सबसे विस्फोटक राजनीतिक घटनाओं में से एक थी। यह एक हिंसक क्रांति थी और इस हिंसक क्रांति में रोमनोवा राजवंश और शदियों से चले आ रहे रूसी साम्राज्य का अंत हुआ।

रूसी क्रांति के दौरान, वामपंथी क्रांतिकारी व्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविकों ने सत्ता को जब्त कर लिया। बोल्शेविक बाद में सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी बन गयी| 1917 में हुई रूसी क्रांति प्रथम विश्व युद्ध के आखिरी चरण के दौरान हुई थी| इस क्रांति ने रूस को युद्ध से अलग कर दिया|

यह क्रांति दो अलग-अलग चरणों में हुई थी, पहला चरण फरवरी और दूसरा अक्टूबर में था|

फरवरी की क्रांति-

रूस की जनता की दशा बहुत दयनीय थी और वह रोटी के लिए पेट्रोगैड की सड़कों पर घूम रहे थे| प्रदर्शहाकारी और वहां का जनमानस भूख से व्याकुल था पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को वहां से हटने का निर्देश दिया परन्तु भीड़ से वहां से न हटी|

इस विद्रोह को दबाने के लिए पेट्रोग्राम में सैनिकों को बुलाया गया| कुछ छिटपुट घटनाएं और गोलीबारी भी हुई परन्तु प्रदर्शनकारी वहां जमे रहे| ड्यूमा ने 12 मार्च को एक अनंतिम सरकार बनाई। और 15 मार्च को ज़ार निकोलस ने सिंहासन का त्याग कर दिया, इससे रूस में रोमनोव शासन की समाप्ति हुई।

अक्टूबर की क्रांति-

अक्टूबर की क्रांति बोल्शेविक पार्टी के नेता व्लादिमिर लेनिन की अगुवाई में हुई थी और इसका प्रमुख उद्देश्य ड्यूमा द्वारा बनायी गयी अंतरिम सरकार के खिलाफ विद्रोह करना था| 

ड्यूमा द्वारा बनाई गई सरकार का गठन रूस के पूंजीपतियों के नेताओं का एक समूह था जबकि लेनिन ने कहा की रूस में ऐसी सरकार का गठन किया जाए जिसकी बागडोर रूस के सैनिकों, किसानों एवं मजदूरों के हाथों में हो|

बोल्शेविक पार्टी के कार्यकर्त्ता और उनके सहयोगियों ने पेट्रॉएड में सरकारी इमारतों और अन्य स्थानों पर कब्जा कर लिया, और जल्द ही लेनिन के साथ एक नई सरकार का गठन हुआ| लेनिन दुनिया के पहले कम्युनिस्ट राज्य के तानाशाह बन गए|

रूस की क्रांति के कारण –

Causes of Russian Revolution in Hindi

रूस क्रांति के समय जारशाही शासन की बुराइयों से ग्रस्त था| जार सम्राटों की अयोग्यता ने क्रांति को अवश्यंभावी बना दिया था इस क्रांति के प्रमुख कारण अग्रलिखित है-

व्यावसायिक क्रांति का प्रभाव –

व्यावसायिक क्रांति के फलस्वरुप रूस में भी बड़े-बड़े कल कारखानों की स्थापना हो चुकी थी| इन कारखानों ने रूस के जनमानस को अपनी ओर आकर्षित किया और इनमें काम करने वाले हजारों श्रमिक गांव तथा कस्बों से आकर कारखानों के निकट नगरों में निवास करने लगे थे|

नगर के आधुनिक वातावरण ने उनकी अज्ञानता का अंत कर दिया था और वह राजनीतिक मामलों में रुचि लेने लगे थे| इन श्रमिकों ने अपने पुराने रूढ़िवादी जीवन को त्याग कर नए जीवन को अपनाया| इसके साथ ही साथ उन्होंने अपने क्लब बना लिए थे और इन क्लबों में एकत्र होकर वे लोग राजनीति सहित विभिन्न विषयों पर विचार विमर्श तथा वाद-विवाद किया करते थे|

उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में इन क्लबों में कार्ल मार्क्स के समाजवादी सिद्धांतों का प्रचार करने के लिए क्रांतिकारी नेता भी आने लगे और उनके विचारों में रूसी सैनिकों ने रुचि लेनी शुरु कर दी| समाजवादी प्रचार ने देश के श्रमिकों में जारशाही के प्रति घोर असंतुष्ट एवं खेड़ा उत्पन्न कर दी जो कि आगे चलकर रूस की क्रांति का मुख्य कारण बनी|

जार की दमनकारी नीति-

सन 1905 की क्रांति के बाद भी जार की सरकार उन्हीं कठोर दमनकारी नीतियों का अनुसरण करती रही और जनता की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ| जनता पर कई तरह की दमनकारी नीतियों का प्रयोग किया गया और इस तरह से रूस का शासन निरंकुश बना रहा| रूस का निरंकुश शासन रूस की क्रांति का एक प्रमुख कारण बना|

राजनीतिक चेतना का उदय-

समाजवादी प्रचार के फलस्वरुप रूस में 1883 में रूसी समाजवादी लोकतंत्र की स्थापना हुई| 1903 ईस्वी में यह दल दो वर्गों में बट गया पहला दल मेनशेविक तथा दूसरा दल बोल्शेविक कहलाया| मेनशेविक दल का प्रमुख नेता करेंस्की था| 

वह वैधानिक तरीके से शासन-सत्ता पलटकर देश में समाजवादी शासन स्थापित करना चाहता था, जबकि बोल्शेविक दल का प्रमुख नेता लेनिन था और वह खूनी क्रांति के द्वारा जारशाही साम्राज्य का समूल विनाश कर के देश में तानाशाही कायम करना चाहता था|

श्रमिकों की दयनीय दशा-

मध्यमवर्ग ना होने के कारण रूस में औद्योगिक क्रांति देर से हुई| रूस के औद्योगिक केंद्रों में मजदूरों में भारी असंतोष व्याप्त हो गया था| 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में औद्योगिक क्रांति का प्रारंभ हुआ| उसके बाद इसका बड़ी तेजी से विकास हुआ परंतु निवेश के लिए पूंजी विदेशों से आई|

विदेशी पूंजी पर अधिक से अधिक लाभ कमाना चाहते थे, अतः उन्होंने मजदूरों की दशा की ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया| वह मजदूरों को कम से कम वेतन देकर अधिक से अधिक काम लेते थे| इसके साथ ही साथ वह उनसे बुरा बर्ताव करते थे|

मजदूरों के संघों को सरकार की दमनकारी नीति के कारण खुले रुप से कार्य करने का अवसर नहीं मिलता था| इन्हीं कारणों से मजदूरों में क्रांतिकारी भावना का उदय हुआ| इसके अतिरिक्त मजदूरों को कोई राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं थे, जिससे मजदूरों में असंतोष बढ़ता जा रहा था और यह असंतोष रूस की क्रांति का एक प्रमुख कारण था|

रूस की निर्धनता-

रूस हर प्रकार से एक पिछड़ा हुआ देश था, और पिछड़ा हुआ देश होने के कारण और रूस की सरकार के पास कोई बड़ा युद्ध लड़ने के लिए पर्याप्त साधन नहीं थे| तत्कालीन रूस को यह आवश्यकता थी कि वहां पर शांति बनी रहे तथा स्वतंत्रता का वातावरण उत्पन्न किया जाए जिससे वहां की आर्थिक उन्नति हो सके|

परंतु इन क्षेत्रों में कोई खास कार्य नहीं किया गया और वहां निर्धन लोगों का एक बड़ा समुदाय उत्पन्न होता चला गया| रूस में निर्धनता बहुत तीव्र गति से बढ़ रही थी जिससे वहां की जनमानस की स्थिति दिनों दिन बदतर होती जा रही थी|

1905 की क्रांति –

सन 1992 रूस के देश भक्तों ने राष्ट्रीयता की भावना से प्रेरित होकर अपनी स्वतंत्रता के लिए जार शाही शासन के विरुद्ध क्रांति प्रारंभ की थी, हलाकि उस समय उन्हें सफलता नहीं मिल सकी थी परंतु फिर भी रूस की जनता को अपने राजनीतिक अधिकारों का ज्ञान अवश्य किया था|

1905 की रूसी क्रांति को 1917 की क्रांति की जननी कहा जाता है| 22 जनवरी 1905 ईसवी को मास्को मैं एक जुलूस एक मांग- पत्र लेकर शांतिपूर्ण ढंग से जा रहा था कि जार की सेना ने इसमें निहत्थे लोगों पर गोली चला दी फल स्वरुप सैकड़ों व्यक्ति मारे गए| 

7000 लोगों को बंदी बनाया गया| जगह जगह हर ताले तथा दंगे हुए| जार ने दमन के द्वारा क्रांति तो दबा दी, परंतु यह अंदर ही अंदर सुलगती रही और 1917 ईस्वी में महान रूसी क्रांति के रूप में प्रकट हुई|

रूसी विचारकों का योगदान-

जिस प्रकार फ्रांस में सन 1789 की क्रांति से पूर्व एक बौद्धिक क्रांति हुई थी, ठीक उसी प्रकार रूस में भी सन 1917 की क्रांति से पहले एक बौद्धिक क्रांति हुई थी| इस बौद्धिक क्रांति का संपूर्ण श्रेय रूस के विचारको को जाता है, जिन्होंने रूस के जनमानस की दशा और दिशा को बदल दिया|

इन विचारकों के विचारों के फलस्वरूप रूस में पश्चिमी विचारों का आना आरंभ हो गया था| अनेक रूसी विचारक यूरोप में हो रहे परिवर्तन से बहुत प्रभावित हुए| कार्ल मार्क्स, टालस्टाय, तुर्गनेव, दोस्तोवस्की आदि विद्वानों ने अपने विचारों से लोगों को बहुत प्रभावित किया| उन्होंने किसानों और मजदूरों में जागृति लाने और संगठित होने की विचारधारा का प्रयास किया|

जार निकोलस द्वितीय की अयोग्यता-

रूस का अंतिम जार, निकोलस द्वितीय था| वह तथा उसकी पत्नी एलिक्स दोनों विलासी तथा बुद्धिहीन थे| उन्होंने अपने दरबार में पाखंडी लोग भरे हुए थे| जार उनके परामर्श पर चलता था| वे राजा को कठोरता तथा दमन से शासन करने की राय देते थे| राजा की ऐसी नीतियों के कारण जनता में असंतोष बढ़ता जा रहा था|

प्रथम विश्व युद्ध में भाग लेना-

प्रथम विश्व युद्ध 1914 में प्रारंभ हुआ था| उन दिनों इटली, आस्ट्रिआ तथा जर्मनी एक गुट मे थे| जब कि इंग्लैंड, फ्रांस और रूस दूसरे गुट में थे|| रूस के पास इस युद्ध के लिए कोई विशेष तैयारी भी नहीं थी| 

तैयारी ना होने के कारण रूस का इस युद्ध में कूदना बहुत बड़ी भूल थी,और रूस की यह भूल उसके लिए बहुत हानिकारक सिद्ध हुई| उसके 600000 सैनिक मारे गए और 2000000 बंदी बना लिए गए| इससे सैनिकों में भी असंतोष फैल गया| अतः जनता तथा सैनिक रूसी शासन को उखाड़ फेंकने के लिए कटिबद्ध हो गए|

जापान से रूस की पराजय-

1904-05 में रूस तथा जापान में युद्ध हुआ| जापान बहुत ही छोटा देश था, जिसकी सैनिक क्षमता भी बहुत ज्यादा ना थी परंतु जापान जैसे छोटे देश से भी रूस हार गया| इस हार ने जनता के मनोबल को बहुत ज्यादा गिरा दिया, जिससे जनता में जारशाही के प्रति आक्रोश और विद्रोह की भावना जागृत हुई|

अकाल-

1916-17 ईसवी में रूस में भारी अकाल पड़ा| अकाल के कारण लोग भूखे मरने लगे तथा देश में महामारी फैल गई| दूसरी ओर जार तथा उसके दरबारी दावते उड़ा रहे थे| 

उन्हें जनता की दयनीय स्थिति से कोई मतलब नहीं था और ना ही उन्होंने जनता की स्थिति सुधारने की दिशा में कोई कार्य किए| पूंजीपति लोग अब भी किसानों और श्रमिकों का शोषण करने में लगे हुए थे| इसने जनता के असंतोष तथा आक्रोश को चरम सीमा पर पहुंचा दिया|

रूस की क्रांति के प्रमुख परिणाम और प्रभाव

Effects of Russian Revolution in Hindi-

1917 ईसवी की रूसी क्रांति विश्व इतिहास की एक अति महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है| इसने ना केवल रूस में निरंकुश रोमनोव वंश के शासन को समाप्त किया, अपितु पूरे विश्व की सामाजिक- आर्थिक व्यवस्था को प्रभावित किया| इसलिए इसे विश्व की महान घटना कहते हैं|

रूसी क्रांति के कारन और रूस पर उसके निम्नलिखित प्रभाव पड़े-

निरंकुश राजशाही का अंत-

रूसी क्रांति की सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि वहां के निरंकुश शासन की समाप्ति थी| इस क्रांति ने रूस की जनता पर हो रहे अत्याचारों का दमन किया, और इस क्रांति ने अभिजात वर्ग तथा चर्च की शक्ति को भी समाप्त कर दिया|

प्रथम समाजवादी समाज का निर्माण-

इस क्रांति से पूर्व रूस में जार का शासन हुआ करता था, परंतु क्रांति के उपरांत रूस में जार के साम्राज्य को एक नए राज्य ‘ सोवियत समाजवादी गणराज्य के संग’ का रूप दे दिया गया| क्रांति के पश्चात सप्ताह में कई बदलाव हुए और इस क्रांति के बाद सत्ता में आई नई सरकार ने कार्ल मार्क्स के सिद्धांतों को कार्य रूप में परिणत किया|

आर्थिक नियोजन

क्रांति के पश्चात बनी नई सरकार के सामने कई चुनौतियां थी| उस समय रूस आर्थिक विपत्तियों से जूझ रहा था और नई सरकार के सामने पहला कार्य तकनीकी दृष्टि से कुछ अर्थव्यवस्था का निर्माण करना था| इसके लिए आर्थिक नियोजन की विधि अपनाई गई|

रूस में क्रांति के उपरांत कई तरह की योजनाओं का विस्तार हुआ| इन योजनाओं का उद्देश्य रूस को आर्थिक रुप से सबल बनाना था|| इन योजनाओं के अंतर्गत तीव्र गति से आर्थिक विकास के लिए अर्थव्यवस्था के सभी साधन और आर्थिक विकास सामाजिक- आर्थिक समानता प्राप्त करना निश्चित किया गया|

सामाजिक असमानता की समाप्ति-

रूस की क्रांति के उपरांत वहां के लोगों में सामाजिक असमानता की समाप्ति हुई| रूस के विकास में वहां का हर व्यक्ति, हर तबका सहयोग करने लगा और क्रांति के फलस्वरुप संघ में एक नए प्रकार की सामाजिक- आर्थिक व्यवस्था का विकास हुआ|

काम करना प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक हो गया तथा प्रत्येक व्यक्ति को काम देना समाज और राज्य का कर्तव्य बन गया| निजी स्वामित्व और मुनाफे की भावना की समाप्ति से समाज में परस्पर विरोधी हितों वाले वर्गों का अस्तित्व भी समाप्त हो गया| इस प्रकार समाज में व्याप्त बड़ी असमानताओं का अंत हो गया|

शिक्षा एवं संस्कृत के क्षेत्र में विकास-

क्रांति के पूर्व रूस की शैक्षिक व्यवस्था बहुत बदतर थी| वहां का जनमानस मूलभूत शिक्षा से वंचित था, परंतु इस क्रांति ने रूस की दशा में अमूल-चूल परिवर्तन की| क्रांति के उपरांत सामाजिक और आर्थिक असमानताओं के उन्मूलन के साथ-साथ शिक्षा और संस्कृत के क्षेत्र में भी विकास हुए|

शिक्षा में विकास के कारण वहां के लोगों के रहन-सहन में भी उन्नति हुई| शिक्षा में उन्नति होने से आर्थिक विकास अब रूस में तीव्रता से बढ़ रहा था| शिक्षा प्रसार द्वारा आर्थिक विकास, अंधविश्वासों के निराकरण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास में सहायता मिली| विज्ञान और कला के विकास के आधुनिकरण की प्रक्रिया को तेज किया गया|

रूस की क्रांति से संबंधित प्रश्न उत्तर

 

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