Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi रामधारी सिंह दिनकर

Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi रामधारी सिंह दिनकर

आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवियों में रामधारी सिंह ‘दिनकर’ (Ramdhari Singh Dinkar) अग्रणी स्थान रखते हैं, आपने हिंदी जगत को अपने लेखन से कई कविताएं (Poems) एवं निबंध (Essays) प्रदान किए हैं, आप हिन्दी के प्रसिद्ध कवि, लेखक, एवं निबंध-कार हैं।

रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय-

Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi- रामधारी सिंह ‘दिनकर’ जी का जन्म बिहार प्रांत के मुंगेर जिले के सिमरिया नामक ग्राम में 23 सितंबर सन 1908 ईस्वी को हुआ था| आपका जन्म एक साधारण कृषक परिवार में हुआ था|

आपके पिता का नाम श्री रवि सिंह था, जोकि एक किसान थे, आपकी माता का नाम श्रीमती मनुरूप देवी था| अल्प आयु में ही दिनकर जी के पिता का देहांत हो गया था|

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दिनकर जी की शिक्षा-

दिनकर जी ने पटना विश्वविद्यालय से बी. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की थी, परंतु कुछ पारिवारिक कारणों के कारण उन्हें अपनी पढ़ाई का त्याग करना पड़ा और वे नौकरी करने लगे|

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जीवनी-

नाम रामधारी सिंह ‘दिनकर’
जन्मतिथि 23 सितंबर सन 1908 ईस्वी
जन्म स्थान सिमरिया ग्राम, मुंगेर जिले
मृत्यु 24 अप्रैल सन 1974
मृत्यु स्थान चेन्नई
पिता का नाम श्री रवि सिंह
शिक्षा बी. ए.
उपाधियां डी. लिट्. की मानद उपाधि
पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार

 

उन दिनों आपने माध्यमिक विद्यालय मेकामाघाट के प्रधानाचार्य के पद को सुशोभित किया, तत्पश्चात सन 1934 ईस्वी में आपने बिहार के एक सरकारी विभाग में सब-रजिस्ट्रार का पद ग्रहण किया|आपने प्रचार विभाग में उपनिदेशक के पद को भी सुशोभित किया एवं इस पद पर आप स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद तक कार्य करते रहे|

आपको मुजफ्फरपुर के स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिंदी विभाग का अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया और इसके बाद सन 1952 ईस्वी में आपको राज्यसभा का सदस्य भी मनोनीत किया गया| इसके बाद रामधारी सिंह दिनकर जी ने भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्त किए गए| आप भारत सरकार के गृह विभाग में हिंदी सलाहकार के रूप में नियुक्त किए गए एवं आपने आकाशवाणी के निदेशक के रूप में भी कार्य किया|

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दिनकर जी की उपाधियां एवं पुरस्कार-

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ को भागलपुर विश्वविद्यालय में सन 1962 ईस्वी में डी. लिट्. की मानद उपाधि प्रदान की|आप की काव्य रचना उर्वशी के लिए सन 1972 ईस्वी में आपको भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया|

दिनकर जी की मृत्यु-

हिंदी काव्य जगत के गगन में ‘दिनकर’ बनकर रहने वाले रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की मृत्यु 24 अप्रैल सन 1974 को चेन्नई में हुई, यह सूर्य सदा सर्वदा के लिए अस्त हो गया|

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की रचनाएं-

हिंदी साहित्य जगत में आपका उदय एक कवि के रूप में हुआ था किंतु कालांतर में आपने गद्य के क्षेत्र में भी कई सारी रचनाएं की| आपने प्रगतिवादी युग में कई कविताओं को सृजित किया| दिनकर जी की प्रमुख रचनाएं अग्रलिखित हैं-

  • निबंध संग्रह- दिनकर जी के प्रमुख निबंधों में अर्धनारीश्वर, वट पीपल, मिट्टी की ओर, रेत के फूल, उजली आग इत्यादि हैं|
  • यात्रा साहित्य- आपका प्रमुख यात्रा साहित्य ‘देश-विदेश’ है|
  • दर्शन एवं संस्कृति- दर्शन एवं संस्कृति मेंआपने कई सारी रचनाएं की, जिनमें धर्म, भारतीय संस्कृत की एकता, संस्कृति के चार अध्याय प्रमुख है|
  • आलोचना ग्रंथ- दिनकर जी का प्रमुख आलोचना ग्रंथ ‘शुद्ध कविता की खोज’ है|
  • बाल-साहित्य- सूरज का ब्याह एवं मिर्च का मजा आपकी प्रमुख बाल साहित्य है|
  • काव्य रचना- आप की प्रमुख काव्य रचनाओं में रेणुका, हुंकार, उर्वशी (महाकाव्य), प्राणभंग, रश्मिरथी, कुरुक्षेत्र एवं परशुराम की प्रतीक्षा है|

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हिंदी साहित्य में दिनकर जी का स्थान-

दिनकर जी को क्रांति का बिगुल बजाने वाला कवि कहने में कोई भी अतिशयोक्ति ना होगी, कवि के साथ-साथ आपने एक गद्यकार के रूप में भी हिंदी जगत को अनेक रचनाएं प्रदान की| आपकी रचनाएं राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत हैं, आपकी कृतियां हिंदी साहित्य जगत की अमूल्य निधि हैं| आप की रचनाएं एवं कृतियां आपको हिंदी गद्य एवं पद्य जगत का दिनकर सिद्ध करती हैं|


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