पेरिस शांति सम्मेलन 1919 Paris Peace Conference in Hindi

पेरिस शांति सम्मेलन, (1919 -20), विश्व युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय शांति का उद्घाटन करने वाली एक बैठक थी| यह सम्मेलन 18 जनवरी, 1919 को शुरू हुआ और 21 जनवरी 1920 को समाप्त हुआ, इस बीच इस सम्मलेन में कुछ अन्तराल भी लिए गए थे|

प्रथम विश्व युद्ध के समाप्त होने पर मित्र राष्ट्रों ने फ्रांस की राजधानी पेरिस में शांति सम्मेलन का आयोजन किया| इस सम्मेलन में पराजित देशों तथा रूस के प्रतिनिधियों को आमंत्रित नहीं किया गया| इस सम्मेलन में 32 देशों के 70 प्रतिनिधियों ने भाग लिया|

18 जनवरी, 1919 को सम्मेलन का आयोजन करने के लिए एक सर्वोच्च कार्यपालिका परिषद गठित हुई, जिसमें पांच प्रमुख विजेता राष्ट्रों के प्रतिनिधि- क्लीमेंसो [फ्रांस] , वुडरो विल्सन [ संयुक्त राज्य अमेरिका], लायड जार्ज [इंग्लैंड] ऑरलैंडो [ इटली] सम्मिलित थे |

सम्मेलन की कार्यवाही की अध्यक्षता क्लीमेंसो को मिलने पर जापान पेरिस सम्मेलन से अलग हो गया| क्लीमेंसो की पराजित राष्ट्रों से प्रतिकार लेने की नीति से रुष्ट होकर ऑरलैंडो भी सम्मेलन से अलग हो गए| अब सम्मेलन के कर्ताधर्ता 3 Three Bigs गए|

सम्मेलन की संपूर्ण कार्यवाही क्लीमेंसो की इच्छा अनुसार संचालित हुई, जिस ने विल्सन की 14 सिद्धांतों की अवहेलना करते हुए पराजित राष्ट्रों को अपमानजनक संधियों को स्वीकार करने के लिए बाध्य किया| इस प्रकार पेरिस शांति सम्मेलन से विल्सन के आदर्शवाद तथा यूरोपियन भौतिकवाद में प्रबल टकराव हुआ, जिसमें अंतिम विजय भौतिकवाद की हुई|

पेरिस की शांति सम्मेलन में मित्र राष्ट्रों ने पराजित राष्ट्र से निम्नलिखित संधियां की-

1 वर्साय की संधि 28 जून, 1919 ईस्वी जर्मनी
2 सेंट जर्मेन की संधि 10 सितंबर, 1919 ऑस्ट्रिया
3 न्यूली की संधि 27 नवंबर 1919 बुलगारिया
4 ट्रायनान की संधि ईस्वी 4 जून 1920 हंगरी
5 सेवर्स की संधि ईस्वी 10 अगस्त 1920 टर्की
6 लुसाने की संधि ईस्वी 24 जुलाई 1923 टर्की

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