महामना मदनमोहन मालवीय का जीवन परिचय

महामना मदनमोहन मालवीय का जीवन परिचय

भारत रत्न ‘मदन मोहन मालवीय” एक अनुभवी भारतीय राजनेता, शिक्षाविद और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। मालवीय जी ने कई वर्षों तक भारतीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई और वह चार बार ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस‘ के अध्यक्ष बने| उन्हें विश्व के सबसे बड़े विश्वविद्यालयों में से एक बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के संस्थापक के रूप में जाना जाता है।

Short Biography of Pandit Madan Mohan Malviya in Hindi-

नाम पंडित महामना मदन मोहन मालवीय
जन्म तिथि 15 दिसंबर सन 1961
जन्म स्थान इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश)
पुरस्कार भारत रत्न (मरणोपरांत)
पिता का नाम बैजनाथ
माता का नाम मूना देवी
पत्नी कुंदन देवी
मृत्यु 12 नवंबर 1946

Pandit Madan Mohan Malviya Biography in Hindi-

मदन मोहन मालवीय का पूरा नाम पंडित महामना मदन मोहन मालवीय (Pandit Mahamana Madan Mohan Malviya ) था| आपका जन्म 15 दिसंबर सन 1961 को इलाहाबाद के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था| इलाहाबाद जिला उत्तर प्रदेश में स्थित है|

मालवीय जी के पिता का नाम बैजनाथ एवं माता का नाम श्रीमती मूना देवी था| मालवीय जी के पिता संस्कृत और हिंदी भाषा के प्रकाण्ड विद्वान थे। वे अपने माता-पिता से उत्पन्न कुल सात भाई बहनों में पाँचवें पुत्र थे।

पांच वर्ष की आयु में आपकी शिक्षा प्रारंभ हुई और आपको शिक्षा के लिए महाजनी स्कूल भेज दिया गया। मालवीयजी ब्रह्मचर्य, सत्य, देशभक्ति, व्यायाम तथा आत्मत्याग में अद्वितीय थे। मालवीय जी इन समस्त आचरणों पर केवल उपदेश ही नहीं दिया करते थे परन्तु उनका पालन वह स्वयं भी किया करते थे।

आप अपने सम्पूर्ण जीवन काल में सदैव मृदुभाषी रहे। मालवीय जी बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे और अध्ययन क्षेत्र में आप एक मेधावी छात्र थे|

मदन मोहन मालवीय का विवाह 16 वर्ष की उम्र में मिर्जापुर की कुंदन देवी के साथ वर्ष 1878 में हुआ। उनकी पांच पुत्रियां और पांच पुत्र थे।

परिवार कि आर्थिक स्थिति सही ना होने के कारण आपने सरकारी हाई स्कूल में शिक्षक के पद को सुशोभित किया और आप एक कुशल शिक्षक सिद्ध हुए|

आपने कलकत्ता विश्वविद्यालय से बी-ए की परीक्षा उत्तीर्ण की और तत्पश्चात 40 रुपये के मासिक वेतन पर आप इलाहाबाद में शिक्षक बन गए। शिक्षण कार्य करने के अलावा आपने वकालत करना प्रारंभ किया और इसे ही अपना व्यवसाय बनाया|

More History of Pandit Madan Mohan Malviya in Hindi-

सन 1886 में मालवीय जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने| सन 1902 में वे संयुक्त प्रांत की विधान परिषद के लिए चुने गए| 24 दिसम्बर 2014 को भारत सरकार ने आपको भारत रत्न (मरणोपरांत) से अलंकृत किया।

वे भारत वर्ष के अब तक के इतिहास के ऐसे पहले और अन्तिम व्यक्ति हैं जिन्हें महामना की सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया है| भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया।

महात्मा गांधी जी ने आपको अपना बड़ा भाई कहा और उन्होंने आपको ‘‘भारत निर्माता‘‘ की संज्ञा दी थी। महात्मा गाँधी ने उन्हें ‘महामना’ का खिताब दिया था|

आपमें देशप्रेम कूट कूटकर भरा हुआ था और आप एक ऐसे देश-भक्त थे, जिन्होंने अपने देश की आजादी एवं स्वतंत्रता के लिए हर-संभव कोशिश की, जिस कारण से आज आप युवाओं के प्रेरणा स्रोत हैं।

आपने चौरी-चौरा कांड में दोषी बताए गए और फांसी की सजा पाए हुए 177 लोगों को बचाने के लिए न्यायालय में केस लड़ा, तथा अंत में 177 में से 156 लोगों को कोर्ट ने दोष मुक्त घोषित किया।

‘सत्यमेव जयते’ शब्द भारत का राष्ट्रीय वाक्य (India’s national motto) है और मालवीय जी को ‘सत्यमेव जयते’ शब्द को लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है| यह उपनिषदों का एक मंत्र है, जो हजारों साल पहले लिखा गया था। दोस्तों उन्होंने यह शब्द बनाया नहीं था बल्कि उसे लोकप्रिय बनाया था|

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मालवीय जी अखिल भारतीय हिंदू महासभा के प्रमुख नेताओं में से एक थे, हालाँकि यह पार्टी एक हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी थी परन्तु इस पार्टी का उद्देश्य सभी धर्मों के लोगो को संगठित करना था|

1913 में कोलकाता में कांग्रेस सत्र में पंडित जी ने कहा: “भारत देश हिंदुओं, मुसलमानों, सिखों, पारसी और अन्य धर्म के लोगों से संबंधित है। अगर हमें विकास करना है तो हम सबको संगठित रहना होगा|”

बीजेपी और आरएसएस की उत्पत्ति हिन्दू महासभा से हुई है- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितम्बर 1925 को नागपुर में डॉ॰ केशव हेडगेवार ने की थी।

मदनमोहन मालवीय के नाम पर इलाहाबाद, दिल्ली, लखनऊ, भोपाल, जयपुर आदि कई शहरों के रिहायशी क्षेत्रों को मालवीय नगर नाम दिया गया।

उनके नाम पर मदन मोहन इंजीनियर कॉलेज गोरखपुर (उत्तर-प्रदेश) और मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्टनोलॉजी जयपुर (राजस्थान ) का नामकरण किया गया।

आपकी पहल पर ही हरिद्वार में हर की पौड़ी घाट पर आरती शुरू की गई जो अब भी की जाती है।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) के असेंबली हॉल के मुख्य द्वार पर और पोर्च के बाहर मालवीय जी की अर्द्ध प्रतिमाएं हैं। इन प्रतिमाओं का उद्घाटन 25 दिसंबर 1971 को पंडित जी की जयंती पर किया गया था।

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Life History of Madan Mohan Malviya in Hindi-

  • 1861: मालवीय जी का जन्म इलाहाबाद (उत्तर-प्रदेश) में हुआ|
  • 1878: आपका विवाह कुंदन देवी हुआ|
  • 1879: म्योर सेंट्रल कालेज (वर्तमान में इलाहाबाद विश्वविद्यालय) से मेट्रिक की पढ़ाई पूरी की|
  • 1884: कलकत्ता विश्वविद्यालय से बी-ए की पढ़ाई परीक्षा उत्तीर्ण की|
  • 1886: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के द्वितीय अधिवेशन में दादाभाई नौरोजी की अध्यक्षता में भाग लिया|
  • 1887: राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र में आपने बतौर संपादक नौकरी शुरू की|
  • 1889: संपादक की नौकरी को त्यागकर आपने एलएलबी (LLB) की पढ़ाई शुरू की|
  • 1891: एलएलबी पूरा करने के उपरान्त आपने इलाहाबाद के जिला न्यायालय में अपनी प्रेक्टिस शुरू की|
  • 1907: ‘अभ्युदय’ नामक साप्ताहिक हिंदी समाचार-पत्र का शुभारम्भ किया|
  • 1909: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित हुए|
  • 1910: हिंदी मासिक पत्रिका “मर्यादा” का शुभारम्भ किया|
  • 1911: समाज और देश सेवा के लिए अपनी वकालत की प्रैक्टिस छोड़ दी|
  • 1915: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (B.H.U.) विधेयक पास कराने में मुख्य भूमिका निभाई|
  • 1916: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना हुई|
  • 1919 – 1939: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति के के पद को सुशोभित किया|
  • 1928: साइमन कमीशन के विरोध में हिस्सा लिया|
  • 1931: प्रथम गोलमेज सम्मेलन में आपने भारत का प्रतिनिधित्व किया|
  • 1932: ‘भारतीय खरीदो आंदोलन’ वाले घोषणापत्र की शुरुआत की|
  • 1946: 12 नवंबर 1946 को उनकी मृत्यु हो गई|

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