Mohan Rakesh Biography in Hindi मोहन राकेश का जीवन परिचय
मोहन राकेश हिंदी साहित्य में नई कहानी आन्दोलन के एक सशक्त हस्ताक्षर थे। मोहन राकेश के नाटक हिंदी साहित्य को दिए गए अद्भुत उपहार हैं, उन्होंने हिंदी नाटकों को फिर से रंगमंच से जोड़ा और उसे संवारा|
उन्होंने कई अच्छे नाटक लिखे, मोहन राकेश के नाटकों ने हिन्दी नाटक को अँधेरे बन्द कमरों से बाहर निकालकर उसे प्रकाशित किया|
Mohan Rakesh Biography in Hindi-
मोहन राकेश का जीवन परिचय-
मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी, 1925 को अमृतसर में हुआ था| मोहन राकेश का वास्तविक नाम मदनमोहन गुगलानी था। इनके पिता का नाम श्री करमचंद गुगलानी था और वह एक प्रसिद्ध वकील और साहित्यकार एवं संगीत- प्रेमी थे| मोहन राकेश अमृतसर की जण्डीवाली गली में एक किराये के घर में रहा करते थे। राकेश जी ने लाहौर के “ओरिएंटल कॉलेज” से पढाई की तथा हिंदी और संस्कृत दोनों विषयों में M.A. किया|
Mohan Rakesh Short Biography in Hindi
नाम | मोहन राकेश |
जन्म | 8 जनवरी, 1925 |
जन्म स्थान | अमृतसर |
पिता का नाम | करमचंद गुगलानी |
मृत्यु | 3 जनवरी 1972 |
मोहन राकेश एक सफल नाटककार एवं लेखक रहे हैं| मोहन राकेश की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी और जब 8 फरवरी, 1941 को पिता की आकस्मिक मृत्यु हो गयी तब उन्हें अपने पिता के दाह संस्कार के लिए अपनी माता के हाथों की सोने की चूडियां बेचनी पड़ी|
इनके द्वारा रचित कथा- साहित्य में समाज के विभिन्न पात्रों के जीवन का स्वभाविक चित्रण हुआ है| मानवीय संवेदना पर आधारित हिंदी निबंध अत्यंत रोचक एवं प्रभावपूर्ण है| इन्होंने आधुनिक नाट्य साहित्य को नई दिशा प्रदान की और हिंदी गद्य साहित्य को आधुनिक परिवेश से संबंध करने का महत्वपूर्ण कार्य संपन्न किया|
राकेश जी की प्रथम कहानी ”नन्ही” थी। मोहन राकेश के नाटक भारत के कई निर्देशकों को भाए और कई प्रमुख भारतीय निर्देशकों ने मोहन राकेश के नाटकों का निर्देशन किया। इनकी आजीविका अध्यापन-कार्य से शुरू हुई|
इन्होंने मुंबई, शिमला, जालंधर और दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया|“नाटक की भाषा” पर काम करने के लिए भारत सरकार ने उन्हें “नेहरू फेलोशिप” भी प्रदान की| राकेश जी को 3 जनवरी 1972 को अचानक सीने में दर्द उठा और मोहन राकेश जी की मृत्यु हो गयी|
साहित्यिक-योगदान-
मोहन राकेश आधुनिक नाटक साहित्य को नई दिशा देने वाले प्रतिभा-संपन्न साहित्यकार के रूप में विख्यात हैं| उन्होंने हिंदी गद्य- साहित्य को आधुनिक परिवेश के साथ सम्मिलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान की|
सन 1962-63 में इन्होंने दिल्ली से प्रकाशित होने वाली साहित्यिक पत्रिका “ सारिका” का संपादन भी किया, लेकिन उन्होंने इस पद से अपना त्यागपत्र दे दिया और अपने अंतिम समय तक स्वतंत्र लेखन में व्यस्त रहें| नाटक, उपन्यास, कहानी, निबंध, यात्रावृत्त और आत्मकथा के क्षेत्र में इन्होंने हिंदी- साहित्य को कई अमूल्य कृतियां प्रदान की है|
मोहन राकेश की रचनाएँ-
- मोहन राकेश के नाटक एवं एकांकी- आषाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस, आधे- अधूरे, अंडे के छिलके, दूध और दांत
- अनूदित नाटक- “मृच्छकटिक”, शाकुंतल
- उपन्यास- अंतराल, अंधेरे बंद कमरे, न आने वाला कल, नीली रोशनी की बातें
- कहानी संग्रह- क्वार्टर, पहचान, वारिस
- यात्रावृत्त- आखिरी चट्टान तक
- निबंध संग्रह- परिवेश, बकलम खुद
- जीवनी- संकल्प- समय- सारथी
- डायरी- मोहन राकेश की डायरी
- संपादन- सारिका [हिंदी मासिक कहानी पत्रिका]
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