मलिक मोहम्मद जायसी Malik Muhammad Jayasi Biography in Hindi
प्रमोद भक्ति कालीन धारा की प्रेम मांगी शाखा के अग्रणीय तथा प्रतिनिधि कवि मलिक मोहम्मद जायसी ने मुसलमान होकर भी हिंदुओं की कहानियां हिंदुओं की ही बोली में पूरी सहृदयता से कहकर, उनके जीवन में मर्मस्पर्शनी अवस्थाओं के साथ अपने उदार हृदय का पूर्ण सामंजस्य दिखा दिया| मलिक मुहम्मद जायसी हिन्दी साहित्य के भक्ति काल की निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा के कवि हैं।
मलिक मोहम्मद जायसी का जीवन परिचय-
मलिक मोहम्मद जायसी के जन्म के संबंध में अनेक मत हैं| इनकी रचनाओं से जो मत उभर कर सामने आता है, इसके अनुसार जायसी का जन्म सन 1492 ईस्वी के लगभग रायबरेली के “जायस” नामक स्थान में हुआ था|
कुछ विद्वानों के मतानुसार जायसी की जन्म भूमि उत्तर प्रदेश के जिले गाजीपुर में कहीं हो सकती है, परन्तु इस सबंध में कोई प्रमाण नहीं मिलता। मिस्र में सेनापति या प्रधानमंत्री को मलिक कहते थे और जायसी का सम्बन्ध भी मलिक वंश से था|
इनका नाम केवल मोहम्मद था, जायस निवासी होने के कारण ही यह जायसी कहलाए तथा “मलिक” जायसी को वंश परंपरा से प्राप्त उपाधि थी| इस प्रकार इन का प्रचलित नाम मलिक मोहम्मद जायसी बना|
मलिक मुहम्मद जायसी के पिता का नाम मलिक राजे अशरफ़ था और वह मामूली ज़मींदार थे तथा खेती करते थे। इनके नाना का नाम शेख अल-हदाद खाँ था। बाल्यकाल में ही जायसी के माता-पिता का स्वर्गवास हो जाने के कारण शिक्षा का कोई उचित प्रबंध ना हो सका|
7 वर्ष की आयु में ही चेचक से इनकी एक कान और एक आंख नष्ट हो गई थी| जायसी काले और कुरूप थे और इसी कारणवश एक बार बादशाह शेरशाह इन्हें देख कर हंसने लगे तब जायसी ने कहा- मोहिका हँसेसि, कि कोहरहिं? (अर्थात् तू मुझ पर हंसा या उस कुम्हार पर) इस बात से बादशाह बहुत लज्जित हुए|
Malik Muhammad Jayasi Biography in Hindi
नाम | मलिक मोहम्मद जायसी |
जन्म | सन 1492 |
जन्म स्थान | “जायस” रायबरेली |
पिता का नाम | मलिक राजे अशरफ़ |
रचनाएं | पद्मावत, आखिरी कलाम, अखरावट, चित्ररेखा |
मृत्यु | सन 1542 |
मृत्यु स्थान | अमेठी |
मलिक मोहम्मद जायसी ने गृहस्थ जीवन में भी अपना समय व्यतीत किया है, इनका विवाह भी हुआ था तथा इनके सात पुत्र थे| ऐसा माना जाता है कि दीवार गिर जाने के कारण इनके सभी पुत्र उसमें दब कर मर गये थे और पुत्रों की आकस्मिक मृत्यु से इनके ह्रदय में वैराग्य का जन्म हुआ|
इनके चार घनिष्ठ मित्र थे, जिनके नाम युसूफ मलिक, सालार कादिम, मियाँ सलोने तथा बड़े शेख था| कालांतर में जायसी अमेठी में रहने लगे थे| मलिक मुहम्मद जायसी की मृत्यु सन 1542 ईस्वी में मृत्यु हुई थी| जायसी के आशीर्वाद से अमेठी नरेश के यहां पुत्र का जन्म हुआ, तब से उनका अमेठी के राजवंश में बड़ा सम्मान था| इनकी मृत्यु के उपरांत अमेठी के राजा ने इनकी समाधी बनवाई थी और यह समाधी आज भी विद्यमान है|
मलिक मुहम्मद जायसी की रचनाएं
आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने मध्यकाल के कवियों में जायसी को एक प्रमुख कवि के रूप में स्थान दिया है। पद्मावत, आखिरी कलाम, अखरावट, चित्ररेखा आदि मलिक मुहम्मद जायसी की प्रसिद्ध रचनाएं हैं| इनमें पद्मावत सर्वोत्कृष्ट है, पद्मावत ही जायसी की अक्षय कीर्ति का आधार है|
जायसी की रचनाओं में अनेक रसों का समावेश बड़ी ही सफलता एवं कुशलता के साथ किया गया है। श्रृंगार रस के अतिरिक्त वीर, वीभत्स, रौद्र आदि रसों का मार्मिक चित्रण भी जायसी की कविता में उपलब्ध है। जायसी ने अपने काव्य में दोहा-चौपाई, छंदों का प्रयोग किया है।
जायसी ने अपने काव्य में अलंकारों की पूरी सहायता ली है, आपकी रचनाओं में अलंकारों का प्रयोग प्रचुर मात्रा में किया गया है| जायसी हिन्दी के प्रथम महाकाव्य के रचयिता हैं। आपकी प्रेम-पद्धति हिन्दी काव्य साहित्य की मूल्यवान निधि है| आपके साहित्य हिंदी साहित्य को दिए गए अमूल्य उपहार हैं|
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