History of Mughal Empire in Hindi
मुगल साम्राज्य का इतिहास-
Mughal Samrajya history in Hindi– मुगल साम्राज्य (Mughal Empire) के शासन काल को भारत के इतिहास में स्वर्ण युग माना जाता है| इस समय में मुगल वंश के शासकों ने चित्र-कला, स्थापत्य कला भवन निर्माण में बहुत अधिक विकास कार्य किए| मुग़ल साम्राज्य के बादशाहों की सूची निम्नलिखित है-
बाबर- बाबर का शासन काल सन् 1526 ईस्वी से 1530 ईस्वी तक माना जाता है और यह मुगल वंश का संस्थापक भी था, बाबर मध्य एशिया में स्थित फरगना का सम्राट था| बाबर ने भारत पर पहला आक्रमण सन 1519 ईस्वी में किया किंतु बाबर का प्रथम महत्वपूर्ण आक्रमण 1526 ईसवी में हुआ|
बाबर मुगल साम्राज्य (Mughal Samrajya) के उत्कृष्ट शासकों में से एक था और उसने पानीपत के प्रथम युद्ध (जोकि सन 1526 ईस्वी में हुआ) में इब्राहिम लोदी को परास्त करके भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखी और भारत में मुग़ल साम्राज्य का विस्तार किया| बाबर ने तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा तुजुक ए बाबरी लिखी जिसको बाबरनामा के नाम से भी जाना जाता है|
बाबर मुगल वंश (Mughal Vansh) का ऐसा शासक था जिसने भारत में पहली बार बारूद एवं तोपखानो का प्रयोग किया| बाबर की मृत्यु 1530 ईस्वी में आगरा में हुई थी|
हुमायूं- हुमायूं का शासन काल दो काल में विभाजित है- पहला 1530 ईस्वी से 1540 ईस्वी तक और दूसरा 1555 ईस्वी से 1556 ईस्वी तक| हुमायूं का प्रमुख शत्रु शेरशाह सूरी था जिस ने उसे चौसा के युद्ध में पूरी तरह से पराजित किया और 1540 ईसवी में कन्नौज (बिलग्राम) के युद्ध में भी पराजित करके भारत से बाहर चले जाने के लिए बाध्य कर दिया|
हुमायु ने ईरान के शाह एवं बैरम खान की मदद से 1555 ईस्वी में पुनः भारत में आकर अपना सिंहासन प्राप्त किया| 1556 इसी में दिल्ली में शेरमंडल नामक पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिरकर हुमायूं की मृत्यु हुई|
History of Mughal Empire (Samrajya) in Hindi
जहांगीर-जहांगीर का शासनकाल 1605 ईस्वी से 1627 ईस्वी तक था और उसके बचपन का नाम सलीम था उसने मुगल साम्राज्य के विस्तार के समय “निसार” नामक सिक्कों का प्रचलन शुरू किया| जहांगीर मुगल वंश के ऐसे शासकों में से था जिस के समय में मुगल चित्रकला अपने चरमोत्कर्ष पर थी|
उसने राज्य की जनता को बेहतर न्याय मिल सके, इसलिए न्याय दिलाने के लिए न्याय की प्रतीक एक सोने की जंजीर को अपने महल के बाहर लगवाया था| जहांगीर के शासनकाल में प्रथम अंग्रेज मिशन कैप्टन हॉकिंस के नेतृत्व में मुगल दरबार में आया था सन 1627 ईस्वी में जहांगीर की मृत्यु हो गई थी|
शाहजहां- मुगल साम्राज्य के राजा शाहजहां के शासन का समय 1627 ईस्वी से लेकर सन 1658 ईसवी तक था| शाहजहां ने दिल्ली के निकट शाहजहानाबाद नगर की स्थापना की एवं अपनी राजधानी को आगरा से परिवर्तित करके इस स्थान पर किया इसे आजकल पुरानी दिल्ली के नाम से भी जाना जाता है|
शाहजहां ने स्वयं अपना एवम् अपनी बेगम मुमताज महल का मकबरा बनवाया जिसे ताजमहल के नाम से जाना जाता है| यह इमारत मुगल वंश की इमारतों में सर्वश्रेष्ठ स्थान रखती है| शाहजहां के शाशनकाल को मुगल काल का द्वितीय स्वर्ण काल कहा जाता है| सन 1658 में औरंगजेब ने शाहजहां पर विजय प्राप्त करते हुए राजधानी पर अधिकार कर लिया एवं उस को गिरफ्तार करके आगरा के किले में कैद करवा दिया जहां पर 1666 ईस्वी में उसकी मृत्यु हो गई|
औरंगजेब- औरंगजेब का शासनकाल सन 1658 इसी से लेकर 1707 ईस्वी तक माना जाता है, अपने राज्य के सिंहासन पर बैठने से पहले वह दक्कन का गवर्नर था| औरंगजेब ने ही नवरोज उत्सव एवं झरोखा दर्शन (जिसको अकबर ने शुरु कराया था) समाप्त कर दिया|
औरंगजेब किस शासनकाल में मुगल साम्राज्य में क्षेत्रफल की दृष्टि से बहुत अधिक वृद्धि की और वह काबुल से लेकर चटगांव तक और कश्मीर से लेकर कावेरी नदी तक फैला हुआ था, उसकी मृत्यु सन 1707 में हुई थी|
मुगल साम्राज्य का पतन-
Mughal Samrajya ka Patan in Hindi- जब मुगल वंश के शासक औरंगजेब की मृत्यु हो गई तब भारत में मुगल साम्राज्य का पतन बहुत ही तेजी से हुआ| मुगल सरदारों के बीच आपसी झगड़े होना शुरू हो गए और मुगल दरबार इन झगड़ों और षड्यंत्रों का अड्डा बन गया|
जिसके फलस्वरुप महत्वाकांक्षी एवं प्रांतीय शासकों ने अपने शासन का विस्तार किया और स्वतंत्र रुप से कार्य करने लगे| सन 1739 ईस्वी में नादिर शाह ने मुगल सम्राट को बंदी बना लिया और दिल्ली को खुलेआम लूटा यह बात सिद्ध करती है कि उस समय मुगल साम्राज्य काफी गंभीर परिस्थितियों का शिकार था|
जैसे-जैसे मुगलकाल में व्यापार, वाणिज्य तथा नए-नए व्यवसायों का विकास हुआ उसी तरह से मुगल सरदारों की विलासिता भी बढ़ती गई और मुगल सरदार अत्यधिक विलासप्रिय हो गए| जैसे जैसे मुगल सरदारों में विलासप्रियता बढ़ी वैसे वैसे जनता एवं प्रशासनिक अधिकारियों में असंतोष एवं भेदभाव फैला|
प्रशासनिक अधिकारियों में असंतोष उत्पन्न होने के कारण जागीरदारी की व्यवस्था में गंभीर संकट उत्पन्न हो गया क्योंकि उस समय हर सरदार यही प्रयास करता था कि वह अधिक आमदनी वाली जागीर का प्रभुत्व अपने हाथों में ले ले और इसी कारणवश मुगल वंश के प्रशासनिक कार्यों में भ्रष्टाचार शुरू हो गया|
उस समय सरदारों ने अपनी स्वाधीनता की कल्पना करना आरंभ कर दिया, जबकि प्रारंभ से मुगल प्रशासन केंद्रित हुआ करता था और उसकी समस्त शक्ति सम्राट के पास होती थी और उस समय की सफलता एवं असफलता सम्राट की योग्यता पर पूर्णतया निर्भर करती थी|
जैसे-जैसे मुगल साम्राज्य में योग्य सम्राटों का भाव उत्पन्न हुआ वैसे वैसे उस समय के सरदारों, वजीरों तथा मनसबदारों ने उनकी जगह लेने का प्रयास किया और यह मुगल साम्राज्य के पतन के कारणों में बहुत ही अहम था|
अगर हम राजनीतिक दृष्टि से देखें तो औरंगजेब ने अपने शासनकाल में कई गंभीर गलतियां भी की थी, उसने राजपूतों एवं मराठी शासकों को मित्र ना बनाकर उन्हें अपना शत्रु बना लिया जो की उसकी प्रमुख गलतियों में से एक थी| जबकि सम्राट अकबर ने कई राजपूत राजाओं को अपना मित्र बनाया था|
जिस समय औरंगजेब की मृत्यु हुई थी उस समय मुग़ल साम्राज्य भारत के दक्षिण तक फैल चुका था, जबकि साम्राज्य का नियंत्रण उत्तर भारत से ही होता था| दक्षिण भारत पर अपना प्रभावशाली नियंत्रण कायम रखना उस समय संभव न हो सका क्योंकि वह उत्तर भारत से काफी दूर स्थित था|
इन्हीं परिस्थितियों का लाभ उठाकर दक्षिण भारत के कई राज्य अपने को स्वतंत्र कराने के लिए हमेशा प्रयत्नशील एवं तत्पर रहते थे| कालांतर में यूरोपीय शक्तियों ने भारत में अपनी जड़ें मजबूत करने लगे और यह मुगल साम्राज्य के पतन का प्रमुख कारण बनी|
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