हरदोई का इतिहास History of Hardoi in Hindi

हरदोई जिला उत्तर प्रदेश के मध्य में स्थित एक जिला है, हरदोई जिला लखनऊ डिवीजन का एक हिस्सा है। हरदोई जिले में पांच तहसील हैं- हरदोई, शाहाबाद, सय्याजपुर, बिल्ग्राम और सैंडिला। 2011 की जनगणना के अनुसार हरदोई जिले की आबादी लगभग 40 लाख थी|

हरदोई का इतिहास-

History of Hardoi in Hindi–

हरदोई का इतिहास बहुत प्राचीन है और ऐसा माना जाता है की हरदोई जिला हिरण्यकश्यप से सम्बंधित है| पुरातन काल में हरदोई का नाम “हरि द्रोही” हुआ करता था| हरिद्रोही का अर्थ हरि से द्रोह करने वाला यानी की भगवान् से बैर रखने वाला होता है| यह नाम हिरण्यकश्यप राजा के कारण पड़ा था क्यूंकि हिरण्यकश्यप भगवान् से बैर रखता था| 

हरदोई का हिरण्यकश्यप और होलिका से पुराना नाता है। प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप हरदोई का राजा था और होलिका उसकी बहन थी। हिरण्यकश्यप के एक पुत्र था, जिसका नाम प्रह्लाद था| प्रह्लाद भगवान भक्ति में लीन रहता था और इस बात से उसके पिता उसपर बहुत क्रोधित रहते थे|

होलिका ने अपने अपने भाई को प्रह्लाद को मरने का एक तरीका बताया| और उसके अनुसार होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गयी (होलिका को आग से वरदान प्राप्त था और उसे लगता था की आग से उसका कोई नुक्सान नहीं होगा), परन्तु उस अग्नि में होलिका जल गयी और प्रह्लाद सकुशल बच गया, और तब से ही होलिका दहन शुरू हो गया। 

हरदोई के निकट ही नैमिषारण्य जंगल है और ऐसा माना जाता है कि ऋषि शनका द्वारा महाभारत इसी जंगल में सुनाई गई थी| इस नैमिषारण्य जंगल का बहुत महत्व है और यह एक तीर्थ स्थल है, हर साल इस जंगल में काफी संख्या में तीर्थयात्रियों और प्रकृति प्रेमियों का समूह यहाँ पर आता है|

संस्कृत के विद्वान डा. महेंद्र वर्मा के अनुसार हरदोई में ईश्वर के दो अवतार हुए हैं। पहला अवतार नरसिंह अवतार था और दूसरा वामन अवतार था| दो अवतार के कारण हरदोई शहर का प्राचीन नाम हरिद्वई था, और बाद में यह नाम बदलकर हरदोई हो गया|

हरदोई जिले का राम जानकी मंदिर ऐतिहासिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है और यह अपने तरह के मंदिरों में सबसे पवित्र माना जाता है| मंदिर के प्रमुख देवताओं में भगवान राम और उनकी पत्नी है| भगवान राम की पत्नी का नाम सीता था और उनको कई अन्य नामों से जाना जाता था जिनमें से एक नाम जानकी भी है|

इसी वजह से इस मंदिर को राम जानकी मंदिर के नाम से जाना जाता है| इस मंदिर की दो महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं पहली विशेषता इस मंदिर की यह है कि यह मंदिर शुद्ध सफेद रंग का है और इस मंदिर में भगवान श्री राम की मूर्ति सफेद संगमरमर की है, दूसरी विशेषता यह है कि मंदिर के इस धार्मिक स्थान को ‘मोक्ष’ या मुक्ति का मार्ग माना जाता है।

हरदोई का प्राचीन इतिहास बहुत महत्वपूर्ण है इसके साथ ही साथ इसका आधुनिक इतिहास भी भारत के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण है| इसका प्रमुख कारण यह है कि कई विदेशी आक्रमणकारियों ने हरदोई के क्षेत्र को अपने अंतर्गत करने का प्रयास किया था क्योंकि हरदोई की जमीन बहुत ही समृद्ध और उपजाऊ है|

और उन आक्रमणकारियों तथा राजाओं को यह आभास था कि यदि यह जमीन उनके अंतर्गत आ जाती है तो उन्हें बहुत ज्यादा फायदा होगा| हरदोई क्षेत्र में अफगानी और मुगल साम्राज्य के कई मुस्लिम योद्धा थे जो इस जिले के क्षेत्र पर अपना-अपना दावा पेश करते थे और इसके लिए वह आपस में युद्ध भी किया करते थे| 

मुगल बादशाह बाबर के पुत्र हुमायूं और शेरशाह सूरी के मध्य युद्ध हरदोई के पास में ही हुआ था| ब्रिटिश शासन के दौरान भी इस जिले का महत्वपूर्ण स्थान रहा लॉर्ड डलहौजी ने अवध राज्य को हरदोई से जोड़ा था|

1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में हरदोई जिले के माधोगंज के रुइया नरेश नरपति सिंह ने अपनी सेना के साथ ब्रिटिश सैनिकों का डटकर मुकाबला किया था और 50 से ज्यादा अंग्रेजी सैनिकों को मार गिराया था और लगभग इतने ही सैनिकों को उन्होंने घायल कर दिया था|

इस घटना के उपरांत ब्रिटिश सैनिक वापस लौटने पर मजबूर हो गए थे| इस लड़ाई में ब्रिगेडियर रूप की भी मृत्यु हुई थी, इस मौत की खबर से लंदन में 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था| माधवगंज में आज भी अंग्रेज अफसरों की कब्रे मौजूद हैं रुइया नरेश नरपत सिंह का किला भी मौजूद है|


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