भारत सरकार अधिनियम Government of India Act 1935 in Hindi
तीसरी गोलमेज कांफ्रेंस की समाप्ति के बाद भारत के नए संविधान के बारे में विचार किया गया और एक श्वेत पत्र तैयार किया गया इस श्वेत पत्र को ब्रिटिश हुकूमत ने तैयार किया था और इस श्वेत पत्र में तीन प्रमुख प्रस्ताव थी|
यह प्रस्ताव संसाधन प्रांतीय स्वतंत्रता और केंद्रीय तथा प्रांतीय कार्यपालिका को विशेष अधिकार देने वाले उपाय से संबंधित थे| इस प्रस्ताव में भारत की तथ्य मौजूद नहीं थी, और इसी कारण से सभी राजनैतिक दलों ने इस श्वेत पत्र की आलोचना की|
किसी भी राजनीतिक दल ने श्वेत पत्रिका समर्थन नहीं किया| इस पत्र को मार्च 1935 में प्रकाशित किया गया, और इसे दोनों सदनों की संयुक्त संसदीय समिति के विचारार्थ प्रस्तुत किया गया गया|
संयुक्त समिति ने 22 नवंबर 1934 को इस श्वेत पत्र से संबंधित अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की| इस रिपोर्ट के आधार पर 2 अगस्त 1935 को एक विधेयक पारित किया गया| राजकीय स्वीकृति मिलने के बाद यह विधेयक भारतीय इतिहास में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 के रूप में जाना गया|
गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 (Government of India Act 1935) में प्रांतों से संबंधित निम्नलिखित बातें थी-
गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट में भारत सरकार के लिए संघीय ढांचे की व्यवस्था की थी| ढांचे में प्रांतों और रियासतों के साथ संघीय केंद्रीय एवं प्रांतीय विधान मंडलों की व्यवस्था की गई थी| विदेशी मामलों और प्रतिरक्षा को गवर्नर जनरल के लिए आरक्षित किया गया था|
इस एक्ट के अनुसार विधानमंडल में दो सदनों की व्यवस्था की गई थी| राज्यसभा ( उच्च सदन) में ब्रिटिश भारत से 156 सदस्य और भारतीय रियासतों से 104 सदस्य शामिल किए गए थे|
1935 का गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट संघ शासन और संसदीय व्यवस्था के आधारभूत सिद्धांतों पर आधारित था| इस एक्ट के संघ सिद्धांत में एकात्मकता मौजूद थी परंतु इस एक्ट के अनुसार प्रांतों की स्थिति अधीनस्थ सत्ता की ना होकर सहकारी सत्ता की थी|
इस एक्ट के अनुसार केंद्रीय और प्रांतीय अध्यक्षों को असाधारण शक्तियां प्राप्त हो गई थी, दंपत्तियों पर किसी का भी अंकुश नहीं था इन प्रावधानों से संघीय चरित्र गंभीर रूप से विकृत हो गया था| इसके अतिरिक्त केंद्र में पूर्ण उत्तरदायित्व कारों की स्थापना नहीं की गई थी|
सुरक्षा उपायों को इस एक्ट में शामिल करने के पीछे एक चतुर संवैधानिक चाल थी ताकि एक उत्तरदाई सरकार की स्थापना को टाला जा सके| यहां पर यह जानना बहुत आवश्यक है कि इन प्रावधानों को केवल संक्रमण काल तक के लिए ही रखा गया था परंतु इस संक्रमण काल की अवधि को स्पष्ट नहीं किया गया था|
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