चम्पारण सत्याग्रह Champaran Satyagraha History in Hindi

चम्पारण सत्याग्रह पर निबंध-

चंपारण किसान आंदोलन को चम्पारण सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है| यह आंदोलन तत्कालीन परिस्थितियों में बहुत ही महत्वपूर्ण एवं अहम् था| जब गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से वापस भारत लौटे, तो उन्होंने चंपारण (बिहार) और इसके बाद में खेड़ा (गुजरात) में किसान संघर्षों को नेतृत्व देकर अंग्रेजों के प्रति असहयोग की भावना को जगाया।

इन संघर्षों को एक सुधारवादी आंदोलन के रूप में लिया गया था, लेकिन इन आंदोलनों का प्रमुख उद्देश्य किसानों को उनकी मांगों के लिए संगठित करना था|

Brief History of Champaran Movement in Hindi-

आंदोलन का नाम चंपारण सत्याग्रह
सत्याग्रह कब शुरू हुआ? 19 अप्रैल, साल 1917
आंदोलन कब तक चला? करीब एक साल तक
ये आंदोलन कहां किया गया? चंपारण जिला, बिहार
ये सत्याग्रह किस के लिए किया गया? किसानों के हक के लिए

Champaran Satyagrah History in Hindi-

चंपारण किसान आंदोलन 1917-18 में शुरू हुआ था, इस सत्याग्रह का उद्देश्य यूरोपीय लोगों के खिलाफ किसानों के बीच जागृति पैदा करना था। यूरोपीय लोगों ने गैर परंपरागत तरीके से नील की खेती करना प्रारम्भ कर दिया था| इसके अतिरिक्त किसानों उनके काम के हिसाब से पारिश्रमिक भी नहीं दिया जाता था|

चंपारण के ज्यादातर किसान अशिक्षित थे और इसी कारणवश उनका शोषण हो रहा था| किसानों का शोषण वहां के जमींदारों और यूरोपीय लोगों के द्वारा किया जा रहा था|

राजकुमार शुक्ला किसानों पर हो रहे अत्याचार से खुश नहीं थे, और वे उनपर हो रहे अत्याचार को रोकना चाहते थे| गणेश शंकर विद्यार्थी ने शुक्ल को महात्मा गाँधी द्वारा अफ्रीका में किये गए कार्यों से अवगत कराया|

उस समय ब्रजकिशोर प्रसाद और राजेंद्र प्रसाद पटना के सम्मानित वकील थे| उन्होंने महात्मा गाँधी से मिलने का सुझाव दिया| अंत में राजकुमार शुक्ला और संत राउत ने गाँधी जी से मुलाकात की और उन्हें चम्पारण चलने को राजी किया|

गाँधी जी 10 अप्रैल 1917 को चम्पारण पहुंचे थे| महात्मा गांधी ने चंपारण के किसानों की शिकायतों को जाना और उन्होंने न केवल यूरोपीय बागानों बल्कि वहां के जमींदारों का भी विरोध किया।

Causes of Champaran Satyagrah in Hindi-

चंपारण किसान सत्याग्रह के कारण क्या थे?

चंपारण सत्याग्रह के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

  • चंपारण में और पूरे बिहार में भूमि कर (Tax) में वृद्धि कर दी गयी थी, जिससे किसान वर्ग पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा था|
  • किसानों को नील की खेती को बढ़ाने के लिए जोर दिया गया जिससे वे अन्य फसलों को नहीं उगा पा रहे थे, इस कारणवश किसानों में काफी असंतोष था|
  • किसानों को जमींदारों द्वारा तय की गयी फसलों के लिए अपनी भूमि का सबसे अच्छा हिस्सा उपयोग करने के लिए मजबूर किया गया था।
  • उन्हें मालिक द्वारा तय फसलों को तैयार करने के लिए ज्यादा से ज्यादा समय देने के लिए बाध्य किया गया था|
  • किसानों की मजदूरी बहुत कम कर दी गयी थी और जितनी मजदूरी उन्हें मिलती थी उससे उनका जीवन यापन नहीं हो रहा था|
  • चंपारण आंदोलन का एक प्रमुख कारण यह था की वहां के किसानों का जीवन बहुत ही बुरा हो गया था| गांधी जी ने जब चम्पारण का दौरा किया तब उन्होंने कहा था कि- “चंपारण में किसान अपने जीवन में सभी तरह के दुखों से पीड़ित हैं और वो जानवरों की तरह जीवन जी रहे हैं।”

इस प्रकार हम उपरोक्त बिंदुओं से देख सकते हैं कि उस समय चम्पारण के किसान कई तरह कि यातनाओं को झेल रहे थे, और उनका जीवन यापन बहुत ही दयनीय था|

जब गाँधी जी अफ्रीका से लौटे तो वह अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन और सत्याग्रह करना चाहते थे, और उन्हें चम्पारण कि स्थिति बिलकुल उपयुक्त लगी| लोग गांधीजी के नेतृत्व को स्वीकार करने के लिए भी तैयार थे, और किसानों ने गाँधी जी का सहयोग किया|

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Champaran Satyagraha ke Parinaam in Hindi-

चम्पारण सत्याग्रह के परिणाम क्या थे?

  • चम्पारण आंदोलन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण परिणाम यह था कि 1 मई, 1918 को भारत के गवर्नर जनरल ने चंपारण कृषि अधिनियम को स्वीकृति प्रदान की|
  • इस आंदोलन ने किसानों के जीवन को एक नयी दिशा दी|
  • इस सत्याग्रह के परिणाम स्वरूप भारत में स्वतंत्रता की भावना को बल मिला|
  • चम्पारण सत्याग्रह ने देश में कई और आंदोलनों को बढ़ावा दिया|

Champaran Satyagraha in Hindi के बाद यह भी जानें-

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सविनय अवज्ञा आंदोलन का इतिहास|
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