औरंगजेब का इतिहास Aurangzeb History In Hindi

Aurangzeb History AND Biography In Hindi

मुहीउद्दीन मोहम्मद औरंगजेब मुगल सम्राट शाहजहां का तीसरे नंबर का पुत्र था, और उसका जन्म 3 नवंबर सन 1618 ईसवी को दाहोद, गुजरात में हुआ था|

वह बड़ा ही मेधावी एवं प्रतिभा संपन्न था और उसने अरबी, फारसी एवं तुर्की आदि भाषाओं का ज्ञान अर्जित कर लिया था| भाषा ज्ञान के अतिरिक्त उसकी रुचि सैनिक शिक्षा में थी, और उसने इसमें भी कुशलता प्राप्त कर ली थी|

सन 1634 ईस्वी के अंतिम चरण में उसे 10 हजारी मनसबदार बना दिया गया था| 10 हजारी मनसबदार बनने के बाद उसे ओरछा के जुझारसिंह देव बुंदेला के विरुद्ध आक्रमण के लिए भेजा गया, और इसके बाद उसे दक्षिण का गवर्नर नियुक्त किया गया|

कालांतर में औरंगजेब का अपने भाई दारा शिकोह से मतभेद हो गया, और इसी कारण उसे दक्षिण की सूबेदारी छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ा| इसके उपरांत सन 1645 ईस्वी में वह गुजरात का सूबेदार नियुक्त हुआ|

बाद में उसे सन 1645 में मुल्तान की सूबेदारी मिली, इस अवसर पर उसे कंधार को पुनः प्राप्त करने का आदेश दिया गया, परंतु इसमें वह असफल रहा| इस पराजय से अप्रसन्न होकर शाहजहां ने 1652 ईस्वी में औरंगजेब को फिर से दक्षिण भेज दिया|

उसने अपने जीवन काल के लगभग 25 वर्ष दक्षिण में ही व्यतीत किए, और दक्षिण में हुए विद्रोह के दमन में उसे अपार धन राशि व्यय करनी पड़ी, परंतु सूबेदार के रूप में औरंगजेब ने एक कुशल प्रशासक का परिचय दिया|

दक्षिण में वह 1658 ईस्वी तक रहा, इस अवधि में उत्तराधिकार-युद्ध प्रारंभ हुआ और महत्वाकांक्षी औरंगजेब अपनी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक भूमिका निभाने के लिए उसमें कूद पड़ा|

औरंगजेब का इतिहास | Aurangzeb History in Hindi-

औरंगजेब का जन्म 3 नवंबर सन 1618 ईसवी
पिता का नाम शाहजहां
राज्यभिषेक सन 1658 ईसवी
संगीत पर प्रतिबंध सन 1668 ईसवी
गुरु तेग बहादुर को मृत्युदंड सन 1675 ईस्वी
जजिया कर पुनः प्रारंभ सन 1679 ईस्वी
औरंगजेब की मृत्यु 3 मार्च सन 1707 ईस्वी

See Also सम्राट अकबर का इतिहास

औरंगजेब का राज्यभिषेक –

शाहजहां के पुत्रों में औरंगजेब सर्वाधिक कूटनीतिज्ञ एवं उच्च कोटि की सैनिक प्रतिभा संपन्न व्यक्ति था| जैसा कि हम जानते हैं कि शाहजहां के पुत्रों में उत्तराधिकार के लिए युद्ध हुआ था और इस युद्ध में औरंगजेब ने सफलता प्राप्त की थी|

उसने अपने सभी प्रतिभागियों को अपने रास्ते से हटा कर 31 जुलाई सन 1658 ईस्वी को शासन की बागडोर अपने हाथों में ले ली| सिंहासन पर विराजमान होने का उत्सव 13 जून सन 1659 को मनाया गया|

एक शुभ मुहूर्त में बादशाह औरंगजेब राज गद्दी पर बैठा| इस अवसर पर धनी और दरिद्र सभी को मुंह मांगा पारितोषिक मिला, तमाशे और खेल इत्यादि की धूम मच गई, इस प्रकार प्रजा को प्रसन्न कर औरंगजेब जैसे कट्टर सुन्नी बादशाह ने अपना राज्य कार्य आरंभ किया|

उसने सत्ता संभालते हुए निम्न परिवर्तन किए-

  • उसने अपने तड़क-भड़क जीवन का परित्याग किया और सादगी का जीवन अपनाया|
  • उसने जन आचरण पर नजर रखने एवं किसी भी अनैतिक कार्य को रोकने के लिए मुहतस्सिब नियुक्त किए|
  • उसके द्वारा जारी किए गए सिक्कों पर से कलमा हटवा दिया गया|
  • मदिरापान एवं भांग आदि का उपयोग सार्वजनिक स्थानों पर वर्जित कर दिया|
  • उसने अपने दरबार में होने वाले नृत्य एवं संगीत पर रोक लगाई परंतु उसने अपने राज्य में संगीत पर प्रतिबंध नहीं लगाया|
  • उसने जनता पर लगे लगभग 80 करों को हटा दिया|

See Also बाबर का इतिहास

More History of Aurangzeb in Hindi-
औरंगजेब ने जब शासन ग्रहण किया था तो उसे अनेक जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ा था, उसके शासनकाल में अधिकारियों की संख्या में वृद्धि हुई और उनके वेतन के लिए अधिक जागीरों की आवश्यकता पड़ी|

औरंगजेब ने अपने राज्य को बाहरी आक्रमण से बचाने के लिए असम, बीजापुर एवं गोलकुंडा प्रांतों को अपने शासन के अधिकार क्षेत्र में कर लिया, परंतु इसका विपरीत परिणाम हुआ, क्योंकि जितना लगान इन राज्यों से मिलता था उतने ही नए अमीरों पर उसे खर्च करना पड़ता था|

उसे अमीरों के विद्रोह को शांत करने के लिए काफी धन, समय और ऊर्जा की हानि उठानी पड़ी|

औरंगजेब को अपने शासन काल में सिखों, जाटो, राजपूतों, मराठों, उत्तर पश्चिम के पठानों एवं नारनौल के सतनामियों से लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा था| औरंगजेब एवं जाटों के मध्य संघर्ष 1669 से लेकर 1691 तक चलता रहा|

Read More to Know Aurangzeb Death Reason in Hindi-

औरंगज़ेब कि मृत्यु

Death History of Aurangzeb in Hindi

सुन्नी मुस्लिम शासक औरंगजेब कि मृत्यु 3 मार्च 1707 को हुई थी| उसने अपने जीवन में कई लड़ाइयां लड़ी, और जब उसकी मृत्यु 88 वर्ष कि अवस्था में हुई थी|

जीवन के अंतिम पड़ाव में उसे कुछ युद्धों में हार का सामना करना पड़ा और उसका बहुत सारा खजाना खाली हो गया था जिस वजह से वह मानसिक रूप से परेशान था।

औरंगज़ेब का मक़बरा

मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब का मक़बरा खुल्दाबाद (महाराष्ट्र) में स्थित है| मुगल सम्राट औरंगज़ेब की कब्र बुरहान-उद-दीन के मकबरे के आंगन के दक्षिण-पूर्वी कोने में स्थित है।

औरंगजेब ने खुल्दाबाद में अपने दफन का स्थान चुना और इसके बारे में निर्देश भी दिए कि यह कैसे होना चाहिए। औरंगजेब के ताबूत उसके पुत्र मोहम्मद आज़म शाह द्वारा लाए गए थे और यहां उसको दफन किया गया था।

औरंगज़ेब को दफनाने के बाद उसको “खुल्द मकान” की उपाधि दी गयी थी| औरंगजेब की इच्छा के अनुसार उसकी कब्र आंगन के दक्षिणी द्वार के दायीं ओर स्थित है।

आज़म शाह औरंगजेब का दूसरा पुत्र था। आज़म शाह और उसकी पत्नी की कब्र औरंगज़ेब की कब्र के पास में ही स्थित है|

Important Facts about Aurangzeb History in Hindi

  • मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब भारतीय इतिहास में अपनी क्रूरता और असहिष्णुता के लिए जाना जाता है| सत्ता की लालच में उसने अपने पिता शाहजहां को कैद कर लिया और दिल्ली की सल्तनत पर विराजमान होने के लिए उसने भाइयों, भतीजे और कई लोगों का क़त्ल कराया|
  • औरंगजेब के राज्याभिषेक की व्यवस्था 13 जून 1659 को लाल किले, दिल्ली में की गयी थी|
  • औरंगजेब एक रूढ़िवादी सुन्नी मुस्लिम शासक था और उसने अपने से पहले के शासकों (अकबर, हुमायूँ आदि) के उदारवादी विचारों का पालन नहीं करने का निर्णय लिया। उसने लोगों के साथ बहुत क्रूर व्यवहार किया|
  • उसने राष्ट्र को एक इस्लामी राज्य के रूप में स्थापित करने का निर्णय लिया| उसने हिंदू त्योहारों को प्रतिबंधित करने और कई हिंदू मंदिरों को नष्ट करने की योजना बनाई थी।
  • उसने यूरोपीय कारखानों के निकट स्थित कई ईसाई बस्तियों को ध्वस्त कर दिया और सिख नेता गुरु तेग़ बहादुर को का भी क़त्ल करा दिया|
  • उसने गैर-मुसलमानों पर भेदभावपूर्ण कर लगाया और कई हिंदुओं को अपनी नौकरी से निष्काषित कर दिया। उसने कई गैर मुसलमानों को इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया और इस्लाम धर्म न अपनाने पर लोगों के ऊपर कई अत्याचार किये|
  • औरंगज़ेब एक आक्रामक सम्राट के रूप में भारत के इतिहास में विख्यात है, उसने अपने शासन काल में कई युद्धों में भाग लिया| इन युद्धों में सबसे प्रमुख मुगल-मराठा युद्ध था|
  • एक सम्राट के रूप में वह अपने शासन के तहत प्रदेशों का विस्तार करने के लिए भी बहुत ही दृढ़ संकल्प था। औरंगजेब के शासनकाल के दौरान मुगल सैनिक लगातार युद्ध में लगे हुए थे। अहमदनगर सल्तनत के कब्जे के अलावा, उसने गोलकोंडा के बीजापुर और कुतुब्सियों के आदिल शाहिस पर विजय प्राप्त की। अपने लंबे शासनकाल के दौरान वह दक्षिण में अपने साम्राज्य का विस्तार करने में भी सफल रहा, उसने ​​तंजौर (अब तंजावुर) और त्रिचिनोपॉली (अब तिरुच्चिरापल्ली) तक के क्षेत्र को अपने कब्जे में ले लिया था|
  • औरंगजेब एक बहुत हावी, क्रूर, और सत्तावादी शासक था, इसी कारण वश उसकी प्रजा उससे बहुत त्रस्त थी|

औरंगज़ेब के निर्माण –

  • औरंगज़ेब ने लाहौर की बादशाही मस्जिद का निर्माण कराया था।
  • सन 1678 ईस्वी में औरंगज़ेब ने अपनी पत्नी रबिया दुर्रानी की याद में बीबी का मक़बरा बनवाया।
  • औरंगज़ेब ने दिल्ली के लाल क़िले में मोती मस्जिद का निर्माण करवाया था।

महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उत्तर-

  • औरंगजेब का जन्म कब हुआ? – 3 नवंबर सन 1618 ईसवी
  • औरंगजेब का राज्याभिषेक कब हुआ?- 31 जुलाई सन 1658 ईस्वी
  • औरंगजेब की मृत्यु कब हुई?- 3 मार्च सन 1707 ईस्वी
  • गुरु तेग बहादुर को मृत्युदंड कब दिया गया? 24 नवंबर सन 1675 ईसवी
  • औरंगजेब की धार्मिक नीति की प्रमुख विशेषता क्या थी? धार्मिक असहिष्णुता
  • औरंगजेब ने जजिया कर पुनः कब शुरू किया? सन 1679 ईस्वी

Related Articales

Logo

Download Our App (1Mb Only)
To get FREE PDF & Materials

Download