एडोल्फ हिटलर जीवन परिचय Adolf Hitler Biography in Hindi

जर्मन तानाशाह एडॉल्फ हिटलर ने चरम राष्ट्रवादी और जातिवादवादी नाजी पार्टी का नेतृत्व किया और 1933 से 1945 तक जर्मनी के चांसलर के रूप में कार्य किया। हिटलर बीसवीं सदी के सबसे प्रभावी और शक्तिशाली नेताओं में से एक था, वह विश्व पटल पर एक तानाशाह के रूप में उभरा था और उसके नेतृत्व में करोड़ों लोगों का क़त्ले आम किया गया था| उसने कई ऐसी नीतियों की शुरुआत की जिसने पूरे विश्व के देशों को द्वितीय विश्व युद्ध में धकेल दिया, इस युद्ध में लगभग 1 करोड़ 10 लाख लोगों ने अपनी जान गँवाई, और उसने लगभग 60 लाख यहूदियों का भी क़त्ल कराया था|

Early Life History of Adolf Hitler in Hindi

एडॉल्फ हिटलर का जन्म 20 अप्रैल 1889 को ब्रुनाऊ (Braunau) शहर में हुआ था, यह शहर ऑस्ट्रिया में स्थित है| ब्रुनाऊ शहर ऑस्ट्रिआ-जर्मनी सीमा के नजदीक है| हिटलर के पिता का नाम अलॉइस था और वह सीमा पार करने पर सीमा शुल्क अधिकारी के रूप में काम करते थे। हिटलर की माता का नाम क्लेरा था| अपनी माता पिता की छह संतानों में से चौथे अडोल्फ हिटलर बहुत ही चतुर एवं कुशाग्र बुद्धि के थे परन्तु पिता के कठोर स्वभाव के कारण अक्सर उनका झगड़ा अपने पिता के साथ होता था| सं 1900 में अपने छोटे भाई एडमंड की मृत्यु के बाद, हिटलर का स्वभाव परिवर्तित हुआ और वह अंतर्मुखी बन गया।
एडॉल्फ हिटलर का प्रदर्शन स्कूल में अच्छा नहीं था और उन्होंने कलाकार बनने का सपना देखा और स्कूल को छोड़ दिया| जब हिटलर की उम्र मात्रा तरह वर्ष की थी तब उनके पिता की मृत्यु हो गयी और उसके बाद उनकी माता ने उनका पालन पोषण किया| धीरे धीरे हिटलर की रूचि राजनीती में भी होने लगी थी| जब हिटलर की उम्र मात्रा 19 साल की थी तब उनकी माता का भी निधन हो गया और इसके बाद हिटलर का साथ उनके किसी भी रिश्तेदार ने नहीं दिया, अंततः विवश होकर अपनी जीविका के लिए हिटलर ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना चले गए|वियना में हिटलर ने कुछ दिनों तक मजदूरी और चित्रकारी करके अपनी जिंदगी को आगे बढाया| हिटलर ने दो बार फाइन आर्ट्स अकादमी में आवेदन किया परन्तु दोनों बार ही वह असफल रहा|

Short Biography of Adolf Hitler in Hindi

नाम एडोल्फ हिटलर
राष्ट्रीयता जर्मन
जन्म तिथि: 20 अप्रैल 1889
जन्म स्थान ब्रुनाऊ (आस्ट्रिया)
पिता का नाम एलोइस हिटलर
माता का नाम क्लेरा हिटलर
मृत्यु अप्रैल 30, 1945
मृत्यु का स्थान बर्लिन

प्रथम विश्व युद्ध और हिटलर-

1913 में हिटलर म्यूनिख शहर गए और 1914 की शुरुआत में ऑस्ट्रिया की सैन्य सेवा में वह शामिल नहीं हो पाए थे क्यूंकि उन्हें अयोग्य करार दिया गया था|

परन्तु जब 1914 में प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत हुई तब वह 16वीं बवेरियन इन्फैंट्री रेजिमेंट (16th Bavarian Infantry Regiment) में शामिल हो गए और पूरे युद्ध के दौरान उनका कार्य एक बनकर से दुसरे बनकर तक सन्देश पहुंचने का रहा|

यह कार्य काफी कठिन था परन्तु हिटलर ने पूरी दृढ़ता से इसका पालन किया| वह एक सक्षम और बहादुर सिपाही के रूप में उभरकर सामने आये उन्हें दो बार आयरन क्रॉस के तमगे से सम्मानित किया गया| प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वह दो बार घायल भी हुए और युद्ध समाप्त होने से लगभग एक महीने पहले एक हमले के दौरान उनकी आँखों की रौशनी कुछ समय के लिए चली गयी और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया।

युद्ध के बाद उन्होंने जर्मनी के आत्मसमर्पण को देखा जिसने उसके मन पे कठोर आघात किया| उन्हें वर्साइल की संधि पसंद नहीं आयी और इसी वजह से उनके दिल में नफरत पैदा हुई| एक दुश्मन सैनिक ने एक बार दावा किया था कि उसे हिटलर को प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मारने का मौका मिला था।

हिटलर और नाज़ी

प्रथम विश्व युद्ध के बाद एडोल्फ हिटलर म्यूनिख लौट आया और जर्मन सेना के लिए अपना काम करना जारी रखा। वह एक खुफिया अधिकारी के रूप में German Workers’ Party की गतिविधियों पर नजर रखते थे|

उन्होंने इस पार्टी के संस्थापक एंटोन ड्रेक्सलर के कई राष्ट्रवादी और मार्क्सवादी विरोधी विचारों को अपनाया। सितंबर 1919 में हिटलर इस पार्टी में शामिल हो गए और इसका नाम बदलकर नेशनल एसोसिएस्टीश ड्यूश आर्बेइटरपेर्टी (Nationalsozialistische Deutsche Arbeiterpartei) कर दिया, इस पार्टी के संक्षिप्त नाम को नाज़ी का नाम दिया गया|

हिटलर ने व्यक्तिगत रूप से नाजी पार्टी बैनर तैयार किया| इस बैनर में हिन्दू धर्म के प्रतीक “स्वास्तिक” को चुना गया और इसे एक लाल पृष्ठभूमि पर एक सफेद सर्कल में रखा गया| बहुत कम समय में ही हिटलर वर्साइल संधि और यहूदियों के खिलाफ दिए गए भाषणों के कारण कुख्यात हो गए। 1921 में हिटलर ने ड्रेक्सलर को नाजी पार्टी के अध्यक्ष के रूप में चुना|

उस समय की खराब आर्थिक स्थितियों ने नाज़ी पार्टी के तेजी से विकास में योगदान दिया। 1923 के अंत तक, हिटलर को लगभग 60 हज़ार लोगों का समर्थन प्राप्त हो गया था और वह जर्मन राजनीति में एक बहुत मजबूत व्यक्तित्व के रूप में माना जाने लगा|

हिटलर ने बर्लिन सरकार की उथल-पुथल की स्थित का फायदा उठाना चाहा और तख्ता पलट करने के लिए उसने 8 और 9 नवंबर 1923 के नाजी बीयर हॉल में क्रांति का मंचन किया, और उसने बर्लिन की सड़कों पर मार्च करने का प्रयास किया| उसका यह प्रयास विफल रहा और उसे जेल की सजा सुनाई गयी|

हिटलर की पुस्तक- “मेरा संघर्ष”

1924 में हिटलर को नौ महीने की सजा सुनाई गयी और उसे जेल में डाल दिया गया| इन्ही दिनों में उसने अपनी अपनी आत्मकथा Mein Kampf (“मेरा संघर्ष”) का पहला खंड लिखा|

हिटलर की पुस्तक “मेरा संघर्ष” का पहला खंड 1925 में प्रकाशित हुआ था और दूसरा खंड 1927 में प्रकाशित हुआ था| सन 1939 तक इस पुस्तक की 5 लाख से अधिक प्रतियों की बिक्री हुई और इस पुस्तक का 11 भाषाओं में अनुवाद किया गया था।

द्वितीय विश्व युद्ध और हिटलर

हिटलर का मानना ​​था कि जर्मनी को फिर से महान बनाना होगा, और इसके लिए क्षेत्रीय विस्तार का निर्माण करना होगा| 1938 में, हिटलर, कई अन्य यूरोपीय नेताओं के साथ, म्यूनिख समझौते पर हस्ताक्षर किए। संधि के अनुसार जर्मनी को सुडेटेनलैंड जिलों को सौंप दिया गया।

शिखर सम्मेलन के परिणामस्वरूप, हिटलर का नाम 1938 में टाइम मैगजीन का मैन ऑफ़ द ईयर में भी प्रकाशित किया गया था। हालांकि, हिटलर और अधिक चाहता था जिस वजह से 1 सितंबर 1939 को जर्मन सेना ने पोलैंड पर हमला किया जिससे द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत हुई।

जवाब में, ब्रिटेन और फ्रांस ने दो दिन बाद जर्मनी पर युद्ध की घोषणा की। 1940 में हिटलर ने अपनी सैन्य गतिविधियाँ बढ़ाई, जिसमें नॉर्वे, डेनमार्क, फ्रांस, लक्समबर्ग, नीदरलैंड और बेल्जियम पर हमला किया गया। जुलाई तक, हिटलर ने यूनाइटेड किंगडम पर आक्रमण करने का आदेश दिया और यूनाइटेड किंगडम पर बमबारी करने के आदेश दिए|

इसके बाद द्वितीय युद्ध बहुत ही आक्रामक हो गया| शुरुआत में जर्मन सेना ने कुछ सफलताएँ हासिल की परन्तु हिटलर द्वारा लिए गए कई गलत निर्णयों के कारण रुसी सेना ने जर्मन सेना को पराजित कर दिया| इस हार ने हिटलर को पूरी तरह से पागल बना दिया और वह मानसिक विक्षिप्त हो गया|

Death History of Adolf Hitler in Hindi Language-

हिटलर की मृत्यु कब और कैसे हुई?

हिटलर की मौत कैसे हुई इस विषय में मतभेद है परन्तु ऐसा माना जाता कि 1945 की शुरुआत में, हिटलर को एहसास हुआ कि जर्मनी युद्ध में पराजित हो जायेगा और इन्ही सब उलझनों और असफलताओं से वह काफी बीमार हो गया|

अंततः हिटलर ने 29 अप्रैल, 1945 को अपनी बर्लिन बंकर में एक छोटी सी नागरिक समारोह में अपनी प्रेमिका ईवा ब्रौन से शादी की। इस समय तक दुश्मन सैनिक हिटलर के सरे ठिकानो तक पहुँच गए थे|

हिटलर को यह आभाष हो गया था की उसे बंदी बना लिया जायेगा या तो मार दिया जायेगा, इसी कारणवश हिटलर और उसकी पत्नी ब्रौन ने 30 अप्रैल 1945 को अपने विवाह के एक दिन बाद ही आत्महत्या कर ली।


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